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24-Jan-2023
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मुंबई (ईएमएस)। लगभग तीन साल के कार्यकाल में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और विवाद का चोली और दामन जैसा साथ रहा। हालांकि अब महामहिम राज्यपाल ने पद मुक्त होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजारिश की है। बीती 19 जनवरी को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुंबई दौरे पर आए थे। उसी दौरान राज्यपाल ने उन्हें खुद को सभी राजनीतिक जिम्मेदारियों से मुक्त किए जाने संबंधी बात कही थी। हालांकि इस दौरान वह अपने विवादित बयानों की वजह से ज्यादा चर्चा में रहे। पद मुक्त होने की अपनी इस इच्छा को महाराष्ट्र के राज्यपाल ने ट्विटर के जरिए भी साझा किया है। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में बिताए हुए इन पलों और उन्हें जनता से मिले प्यार को कभी भुला नहीं पाएंगे। राज्यपाल के इन ट्विट्स की श्रंखला को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि वह बहुत जल्द पद मुक्त हो जाएंगे और इसके लिए उन्होंने पूरा मन बना लिया है। राजपाल ने ट्वीट में कहा कि महाराष्ट्र संतों समाज सुधारकों और वीर योद्धाओं की जन्मस्थली है। यहां बतौर राज्य सेवक या राज्यपाल के रूप में काम करना मेरे लिए गर्व की बात है। पिछले साल महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर एक विवादित बयान दिया था। एक कार्यक्रम में भाषण के दौरान उन्होंने कहा था कि जब हम स्कूल में पढ़ते थे तो हमारे टीचर हमसे पूछते थे कि आपके पसंदीदा नेता कौन हैं तो लोग अपनी अपनी इच्छा से अलग-अलग नाम लेते थे। कोई सुभाष चंद्र बोस तो कोई जवाहरलाल नेहरू तो कोई महात्मा गांधी का नाम लेता था और उन्हें अपना हीरो बताता था। लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि अगर आप से अब कोई पूछे कि आपका फेवरेट हीरो कौन है तो आपको कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं है। सब कुछ आपको यहीं महाराष्ट्र में ही मिल जाएगा। इसके आगे उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज तो पुराने जमाने की बात हैं। मैं नए युग की बात कर रहा हूं सब यहीं मिल जाएंगे। डॉ भीमराव अंबेडकर से लेकर नितिन गडकरी तक आपको यहीं मिल जाएंगे। इस बात पर विवाद खड़ा हो गया था। पिछले साल ही महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एक और विवादित बयान दिया था। अंधेरी में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा था कि अगर गुजराती और राजस्थानी लोग को लोगों को मुंबई और ठाणे से हटा दिया जाए तो मायानगरी में पैसा नहीं बचेगा। कोश्यारी के इस बयान के बाद भी उनकी काफी किरकिरी हुई थी। उनके इस बयान के बाद शिंदे-फडनवीस सरकार भी विपक्ष के निशाने पर आ गई थी। कोश्यारी उस वक्त भी विवादों में आ गए थे जब मुंबई यूनिवर्सिटी में एक बिल्डिंग के उद्घाटन के दौरान उसमें बने हॉस्टल का नाम स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के नाम पर रखने का आदेश वाइस चांसलर को दिया था। इस बात पर मुंबई यूथ कांग्रेस ने भगत सिंह कोश्यारी पर जमकर निशाना साधा था। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने पिछले साल मार्च के महीने में औरंगाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु स्वामी समर्थ रामदास थे। उनके बयान के बाद महाराष्ट्र में जमकर बयानबाजी हुई थी। कोश्यारी ने कहा था कि जिस तरह से चाणक्य के बिना चंद्रगुप्त को कौन पूछेगा? उसी तरह से समर्थ के बिना शिवाजी को कौन पूछेगा? जीवन में गुरु का काफी महत्व होता है। इस बयान के बाद सुप्रिया सुले ने बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ की उस आर्डर कॉपी को भी ट्वीट किया था। जिसमें यह बताया गया था कि शिवाजी महाराज और स्वामी समर्थ रामदास के बीच में किसी भी तरह का गुरु और शिष्य का रिश्ता नहीं था। कोश्यारी ने सावित्रीबाई फुले पर भी विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि 1833 में उनका जन्म हुआ था और दस साल की उम्र में उनकी शादी हो गई थी और उनके पति तेरह साल के थे। अब आप सोचिए इतने छोटे लड़के-लड़की शादी के बाद क्या करते होंगे। अनिरुद्ध ईएमएस 24 जनवरी 2023