लेख
25-Jan-2023


डाली-डाली में बिखरा बसंत है! मदहोश भरा मेरा तन-मन है!! मलय सुगंधित चंदन सा वास है ! जीवन में अद्भुत सा उच्छवास है!! कलियों पर अलियों का बसेरा है ! मन मलंग तन बसंत का डेरा है !! धानी चुनर से धरती शरमायी है ! मिलन की बेला आज आयी है !! बौराई अमरायी सरसों गदराई है ! गेंदा-गुलाब पर मादकता छायी है!! गुनगुनी धूप आँगन उतर आयी है! नववधू की लगती वह परछायीं है!! शाखों का स्नेह छोड़ पत्ते बिखर गए! नयी उम्मीदों की कोंपल खिल गए!! प्रकृति का यह तो अनुपम श्रृंगार है! मिलन-विछोभ का यह तो संसार है!! ईएमएस/25जनवरी2023