लेख
03-Feb-2023
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मात्र 8 साल में अपने व्यापार के माध्यम से गौतम अडानी दुनिया के तीसरे नंबर के खरबपति बनकर सामने आए थे। उनकी सफलता को लेकर सारी दुनिया आश्चर्यचकित थी। बड़े-बड़े उद्योगपति और कारोबारी उनकी सफलता को देखते हुए उन पर शोध कर रहे थे। अडानी का जादू किसी को समझ नहीं आ रहा था। समझ नहीं आ भी रहा था। तो समरथ को नहिं दोष गुसाईं की तर्ज पर सब उसे स्वीकार करने के लिए विवश थे। गौतम अडानी ने रिलायंस समूह के प्रवर्तक धीरूभाई अंबानी को भी अपने कारनामों से पीछे छोड़ दिया। चांदी का जूता और सोने की पॉलिश करके उसमें जो हीरा जड़ा। हीरे की चकाचौंध और अडानी के जादू ने सभी को वश में कर रखा था। भारत में अडानी ने रिलायंस समूह को भी पीछे छोड़ दिया। मुकेश अंबानी के कोई भी दांवपेच काम नहीं आए। मुकेश अंबानी को पछाड़ाने के बाद अडानी विश्व यात्रा शुरू कर दी। दुनिया भर के सबसे बड़े कारोबारियों को एक के बाद एक पीछे छोड़कर तीसरे नंबर तक पहुंच गए थे। अब अडानी का जादू हिंडन बर्ड की रिपोर्ट के बाद समाप्त हो गया है। असलियत दुनिया के सामने आ गई है। गौतम अडानी तो डूबेंगे ही लेकिन साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत की जनता के लिए भी मुसीबतों का पहाड़ खड़ा कर दिया है। उस से कब निजात मिलेगी यह कोई कह नहीं सकता है। 1984 से 89 के बीच जब देश में आयात निर्यात को लेकर केन्द्र सरकार ने नई नीति बनाई। तब उन्होंने 1988 में अडानी एक्सपोर्ट लिमिटेड कंपनी बनाई। आयात निर्यात का व्यवसाय शुरू किया। 1990 में गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर बंदरगाह बनाया। बिजली के कारोबार में आए। उस समय कंपनी हजार करोड़ को भी नहीं थी। कई राज्यों को बिना प्लांट लगाए भी अरबों रुपए की बिजली विभिन्न राज्यों में सप्लाई की। 2014 में केंद्र की सरकार बदलते ही वह बिजली के सबसे बड़े निजी उत्पादक बन गए। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। दिन दूनी और रात चौगुनी आर्थिक प्रगति कर उन्होंने अपने जादू से सारी दुनिया का मन मोह लिया। कर्ज और शेयर बाजार गौतम अडानी की सफलता की रीढ़ की हड्डी बने। शेयर बाजार में कई कंपनियां बनाई। अपने परिवार के लोगों को एनआरआई बनाया। ऐसे देशों में कंपनियां बनाई जहां टैक्स और आर्थिक लेनदेन को लेकर कानूनी संरक्षण प्राप्त था। वहां से कंपनियों में भारी निवेश कराया। सरकारी संरक्षण से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों से भारी कर्ज लिया। कंपनियों के शेयर को शेयर बाजार के माध्यम से सट्टेबाजी कर उनकी कीमतें बढ़ाई। शेयर को बैंकों में गिरवी रखा। बैंकों से बढ़े हुए शेयर के दामों पर ऋण प्राप्त किया। प्रीमियर दामों में कंपनी के शेयर निवेशकों को बेचे। केंद्र सरकार की कृपा दृष्टि होने से खनन से लेकर अन्य व्यापार जिसमें खाद्य तेल रक्षा नेचुरल रिसोर्सेज एयरोस्पेस एयरपोर्ट डाटा सेंटर ग्रीन एनर्जी ट्रांसमिशन गैस लॉजिस्टिक और ट्रांसपोर्ट उपभोक्ताओं से जुड़े खुदरा व्यापार सीमेंट के बिजनेस में एकाधिकार रियल स्टेट फाइनेंशियल सर्विस हाउसिंग फाइनेंस इत्यादि के क्षेत्र में उन्होंने 8 साल में इतने झंडे गाड़ दिए। उसकों देखकर सारी दुनिया अडानी के जादू से प्रभावित थी। इसकी टोपी उसके सिर उसकी टोपी इसके सिर करके उन्होंने इतनी बार टोपियां घुमाई कि कोई समझ ही नहीं पाया। सब कुछ जानते हुए भी सरकारी संरक्षण होने के कारण वह बेखौफ होकर अडानी टोपियां घुमाते रहे। अडानी के इस जादू के प्रभाव में आकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भारतीय जीवन बीमा निगम सहित पब्लिक सेक्टर की कंपनियों का बहुत सारा निवेश कर्ज और शेयर के रूप में अडानी की कंपनियों में लगा। हिंडन वर्ग की एक रिपोर्ट ने अडानी समूह की असलियत खोली। उसके बाद 1 सप्ताह के अंदर 100 अरब डालर से ज्यादा का नुकसान अडानी समूह की कंपनियों को हो चुका है। यह सिलसिला अभी भी थम नहीं रहा है। शुक्रवार को भी अडानी कंपनी के शेयर भारी गिरावट में रहे। यह दुनिया का सबसे बड़ा आर्थिक घोटाला बताया जा रहा है। इसमें बैंको शेयर बाजार वित्तीय संस्थाओं देसी और विदेशी निवेशकों की कमाई एक ही झटके में हवा-हवाई हो गई है। भारत में स्टेट बैंक भारतीय जीवन बीमा निगम और अन्य कंपनियां भारी नुकसान में आ गई हैं। अडानी खुद तो डूब ही रहे हैं। उनके पास तो पहिले भी कुछ भी नहीं था। उन्होंने जिन से कर्ज लिया और निवेश जिनसे कराया वह सब अडानी के कारण डूब रहे हैं। भारत की अर्थव्यवस्था बहुत नाजुक स्थिति में पहुंच रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्र सरकार पर इसका प्रत्यक्ष असर पड़ रहा है। करोड़ों भारतीय नागरिकों पर भी इसका प्रत्यक् आर्थिक असर पड़ रहा है। शेयर बाजार के जरिए जो गड़बड़झाला अडानी कर रहे थे। वह भी उजागर हो गया है। अब देखते हैं कि यह घोटाला और इसका असर कहा जाकर रुकता है। ईएमएस / 03 फरवरी 23