क्षेत्रीय
04-Feb-2023
...


शिव कथा सुनने उमड़ रही है लाखों की भीड़ बुरहानपुर (ईएमएस)। श्री शिव महापुराण कथा के द्वितीय दिवस पंडित प्रदीप मिश्रा ने शिव तत्व और श्रद्धा को ही सर्वस्व बताया। भगवान शिव को कुुछ नहीं चाहिए, बस आप अपनी समस्या को श्रद्धापूर्वक अर्ज करें तो वो आपकी सारी दिक्कतें दूर कर देते है। पुण्य, व्रत और दान का पुण्य भले ही फलदायी न हो लेकिन भगवान शिव को श्रद्धा से चढ़ाए गए बेल पत्र, अक्षत और जल का फल आपके साथ जीवनभर रहेगा। भोलेनाथ पर निच्छल होकर चढ़ाया गया जल कभी निष्फल नहीं हो सकता। पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि सनातन हिन्दू धर्म में जो सम्मान नारी शक्ति को दिया जाता है वह दुनिया में उन्हें किसी ओर धर्म में मिलता नहीं दिखता। शिव जी ने अपने गले में जो मुंड माला पहन रखी है वह उनके विभिन्न अवतारों में हुए 51 विवाहों में ब्याही पत्नियों की स्मृतियों को चिरंजीवी रखने का साक्षात उदाहरण है। शिव जी का इन 51 मुंडों की माला से सदैव प्रेम बना रहता है। पंडित प्रदीप मिश्रा ने शिवरात्रि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिवरात्रि वास्तव में शिवलिंग का प्रागट्य दिवस है। किन्तु शिवरात्रि को शिवजी का विवाह दिवस मानकर मनाने वालों की जानकारी हेतु बताना योग्य होगा कि शिवजी का विवाह वैशाख शुक्ल पक्ष की पंचमी पर हुआ। अपने विभिन्न अवतारों में महेश-उमा का विवाह जरूर शिवरात्रि पर होना बताया जाता है। पूर्व मंत्री एवं कथा संयोजक श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) द्वारा पंडित प्रदीप मिश्रा जी से चर्चा दौरान पूछे गए प्रश्न का उन्होंने आज कथा में उत्तर देते हुए बताया कि भोलेनाथ के जन्म का पुराणों में कही वर्णन नहीं मिलता। हां, भोलेनाथ का प्रारब्ध जरूर पढ़ने और सुनने को मिल जाता है। पंडित प्रदीप मिश्रा ने श्री अश्वत्थामा शिवमहापुराण कथा को आज आगे बढ़ाते हुए बताया कि गुरू द्रोणाचार्य ने जब अपने 4 वर्षीय बालक को मित्रों के साथ खेलते हुए देखा और अश्वत्थामा के मित्र उसे आटे में पानी मिलाकर अश्वत्थामा को गाय का दूध बताकर पिलाकर उसका उपहास कर रहे थे तो पिता द्रोणाचार्य ने अपने पुत्र अश्वत्थामा को कांधे पर बैठाकर अपनी कुटिया में ले आए और अश्वत्थामा के साथ घटित घटना उसकी माता को बताई और अपने पुत्र को गाय का दूध अब तक ना पिला पाने के कारण दुःखी हो रहे थे तो 4 वर्षीय अश्वत्थामा ने अपनी मां से पूछा कि सबसे अधिक गाय का दूध कहा और किसे प्राप्त होता है। तब उनकी माता ने बताया कि शिव जी को सबसे अधिक गाय का दूध चढ़ता है। फलस्वरूप अश्वत्थामा जी ने तय कर लिया की वो शिवजी की उपासना कर शिव जी को प्राप्त करेंगे। आज जब चार वर्ष के बालक को मां टाफी और कापी में उलझा देती है उस अवस्था में अश्वत्थामा जी ने अपना घर त्याग कर उपासना की और शिव जी को प्राप्त किया। वैसे अपने भारत में भक्त प्रहलाद, संत तुकाराम हो या नामदेव जी, मीरा बाई हो या करमाबाई सैकड़ों संत-महात्मा, ऋषि मुनि हुए जिन्होंने मात्र 4 वर्ष की आयु में कीर्तन भजन और भगवान के प्रति अगाध श्रद्धा के चलते कठौर तप किए। पंडित प्रदीप मिश्रा ने नारी शक्ति को आव्हान किया कि वो अपने बच्चों को सुसंस्कारित करें, बच्चों को झुठ बोलने की या अन्य बुरी आदतें प्रारंभिक रूप से परिवार में ही प्राप्त होती है। इसलिए हम बच्चों को बचपन से सत्य बोलने के लिए प्रेेरित करें। भगवान सत्यनारायण की कथा केवल कलावती और लीलावती की कथा नहीं वरन् श्री विष्णु और ब्रम्हा जी द्वारा दिया गया वरदान ही सत्यनारायण जी का असली नाम और स्वरूप है। भगवान शिव को जो दिल से जपता है उसे बाबा दिल से सुनते है। जीवन की इस यात्रा में सभी समस्याओं का एक ही हल ‘‘एक लोटा जल और शिव तत्व के प्रति श्रद्धा‘‘ है। जल चढ़ाते समय केवल और केवल शिव श्रद्धा रखनी चाहिए ना कि छल से या दिखावे के लिए जल चढ़ाएंगे तो उसका फल मिलना कठिन होगा। आज प्रदीप मिश्रा ने कथा पांडाल में ग्राम खामनी, शाहपुर, महाजनापेठ की शिव भक्त बहनों और भाईयों को श्रोताओं से रूबरू कराते हुए उनके जीवन में श्री शिव महापुराण कथा से मिले लाभ को रूबरू कराया। राहत बेग/04/02/2023