लेख
05-Feb-2023
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लोक सेवा आयोग को पहले पूरी तरह से निष्पक्ष, निर्भीक, पारदर्शी माना जाता था।जो विश्वास न्यायपालिका पर है,वही विश्वास इन आयोगों पर भी रहा है।लेकिन उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को न जाने किसकी नज़र लग गई कि उसके अपने ही अधिकारी बेवफा हो गए और पैसों के लालच में ईमान बेचने लगे,जिससे इस आयोग की विश्वसनीयता न सिर्फ प्रभावित हुई है बल्कि एक के बाद एक जिस तरह से भर्ती घोटाले सामने आ रहे है ,उनसे आयोग के साथ साथ सरकार की भी किरकिरी हो रही है।वही उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के पेपर लीक मामले में अब सियासत भी गरमाने लगी है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन महारा का कहना है कि उत्तराखंड में भर्ती घोटाला बिना राजनीतिक संरक्षण के नहीं हो सकता।उन्होंने कई कैबिनेट मंत्रियों पर सवाल खड़े किए है।उनका कहना है कि उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग में भर्ती घोटाला होने के बाद बड़े स्तर पर गिरफ्तारियां इस बात का प्रमाण है कि घोटाले बाजो के तार राजनीतिक संरक्षण तक जुड़े है। पटवारी लेखपाल पेपर लीक होने की घटना और दारोगा भर्ती मामला इन दिनों चर्चाओं का विषय बना हुआ है।इन भर्ती घोटालो से साफ जाहिर है कि नकल माफियाओं को बड़े स्तर पर राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है।इससे पहले विधानसभा भर्ती घोटाला, सहकारिता बैंक भर्ती घोटाला भी सामने आ चुका है।उत्तराखंड में सन 2015-16 में हुई पुलिस उपनिरीक्षक भर्ती मामले की जांच में संदिग्ध पाए गए 20 उप निरीक्षकों को निलंबित किया गया है। यह परीक्षा अब दोबारा 12 फरवरी को कराई जा रही है। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने जांच पूरी होने तक इन उपनिरीक्षकों को निलंबित करने के निर्देश दिए हैं ।निलंबित उपनिरीक्षकों में सर्वाधिक सात इस समय उधमसिंह नगर जिले में तैनात हैं जबकि देहरादून में पांच, नैनीताल में चार और एक-एक चमोली, चंपावत, पौड़ी गढ़वाल और राज्य आपदा प्रतिवादन बल में तैनात हैं ।प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उनकी सरकार गड़बड़ी करने वालों को किसी कीमत पर नही बख्शेगी ।उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी की शिकायतें लगातार मिल रही हैं। प्रदेश के अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित कई परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक होने से मचे बवाल के बाद सरकार ने भर्ती परीक्षा आयोजित करने की जिम्मेदारी लोक सेवा आयोग को सौंप दी थी।वहीं लोक सेवा आयोग द्वारा आठ जनवरी को आयोजित पटवारी और लेखपाल पद की भर्ती परीक्षा का प्रश्नपत्र भी लीक हो गया, जिसके बाद उस परीक्षा को भी रद्द करना पड़ा। पेपर लीक प्रकरण में लोक सेवा आयोग पर चिराग तले अंधेरा वाली कहावत सही साबित हुई है क्योंकि पेपरलीक प्रकरण में आयोग के ही अधिकारी व एक अधिकारी की पत्नी की संलिप्तता सामने आई है। लेखपाल भर्ती की परीक्षा के दौरान लोक सेवा आयोग ने परीक्षा केंद्रों पर तो सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए, लेकिन अपने घर यानि आयोग के अंदर की चौकसी बरतना भूल गया,तभी तो जिसके हाथ में परीक्षा की गोपनीयता बनाए रखने की जिम्मेदारी थी, वही अधिकारी पैसों के लालच में फर्ज से दगा कर गया।जबकि यूकेएसएसएससी परीक्षा घोटाले में हुई बदनामी के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बड़ी उम्मीद से परीक्षा की जिम्मेदारी उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को सौंपी थी।उनके द्वारा सभी परीक्षाओं का जिम्मा उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को दिया गया था।लेखपाल भर्ती समेत कुल 23 परीक्षाएं उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को सन 2022 में करानी थी। लेकिन, भर्ती घोटाला खुलने पर और 40 से ज्यादा अधिकारी, कर्मचारियों व माफियाओ के जेल जाने के बाद यूकेएसएसएससी की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आ गई है। परीक्षाओं में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए इन सभी परीक्षाओं का जिम्मा उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को दिया गया।घोटाले के बाद आयोग के कंधे पर दोहरी जिम्मेदारी थी। ऐसे में परीक्षा के दौरान अधिकारियों का पूरा फोकस परीक्षा केंद्र पर चाक-चौबंद व्यवस्था पर रहना चाहिए था। अधिकारियों ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि खतरा परीक्षा केंद्रों पर नहीं, बल्कि उनके अपने आयोग में ही है। पेपर लीक प्रकरण से प्रदेश के हजारों अभ्यर्थियों को तो झटका लगा है।साथ ही उनका कैरियर भी प्रभावित हो रहा है।लोक सेवा आयोग सरकार की उम्मीदों पर भी खरा नहीं उतर पाया है।उत्तराखंड में बड़ा घोटाला सामने आने के बावजूद लोक सेवा आयोग ने गोपनीयता को लेकर और ज्यादा ठोस कदम क्यों नहीं उठाए। जिस तरह परीक्षा केंद्रों पर लीक प्रूफ व्यवस्था की गई, उसी तरह आयोग ने अपने विभाग में क्यों नहीं गहनता से जांच कराई ।लेखपाल भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने के बाद उत्तराखंड लोक सेवा आयोग पर आगे की परीक्षाओं को लेकर भी दबाव बढ़ गया है। आयोग अब बचाव की मुद्रा में है। आयोग ने दावा किया है कि परीक्षाओं को लेकर और सतर्कता बरती जा रही है। जिसमें परीक्षाओं में पर्याप्त सुरक्षा बल और आयोग में सतर्कता एवं स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआइयू) की तैनाती भी शामिल है।आयोग के अध्यक्ष डा. राकेश कुमार का कहना है कि समस्त चयन प्रक्रियाओं की उत्कृष्टता, निष्पक्षता एवं पारदर्शिता के लिए आयोग दृढ़ संकल्पित है। परीक्षाओं की शुचिता एवं गरिमा को अक्षुण रखने के लिए कई प्रयास किए गए हैं और वर्तमान में भी किए जा रहे हैं। हाल ही में निदेशक, सतर्कता के साथ एक बैठक की गई थी। जिसमें सुझाए गए विभिन्न सुरक्षात्मक उपायों को आयोग के स्तर से लागू किया जा रहा है।लेकिन सवाल यह है कि ऐसा अभी तक क्यो नही किया गया। राज्य में विभिन्न परीक्षाओं में नकल, पेपर लीक आदि के प्रकरण आने के बाद किसी भी संस्था पर अपनी गरिमा को बनाए रखना का निश्चित ही दबाव रहता है। ऐसी किसी भी अप्रिय घटनाओं की रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए थे,ताकि घोटालों की पुनरावृत्ति न हो,परन्तु यहां तो एक के बाद एक घोटाले बता रहे है कि आयोग आंखे मुंदे बैठा रहा और बाड ही खेत को खाती रही। आयोग द्वारा गत वर्ष 12 अगस्त को इस बाबत पुलिस महानिदेशक को एक पत्र भेजा गया था। उनके आयोग के परिप्रेक्ष्य में सतर्कता एवं स्थानीय अभिसूचना इकाई के अधिकारियों व परीक्षाओं में पर्याप्त सुरक्षा बल की तैनाती का अनुरोध किया गया था। ताकि किसी भी प्रकार की अवांछित गतिविधियों पर लगाम लग सके।लेकिन क्या सिर्फ पत्र लिखने से दायित्व की इतिश्री हो गई।हकीकत तो यह है कि आयोग के भृष्ट अधिकारियों के लिंक माफियाओं से जुड़े रहे और पेपरलीक करने का गंदा खेल खेला जाता रहा।जिसका खुलासा उंक्त मामले में हुई गिरफ्तारियों से हुआ है। 8 जनवरी को हुई लेखपाल परीक्षा के पेपर लीक मामले में एसटीएफ टीम ने पांचवी गिरफ्तारी भी कर ली है।आरोपित लोक सेवा आयोग के सेक्शन अधिकारी संजीव चतुर्वेदी की पत्नी ऋतु है, जिसकी गिरफ्तारी उनके सरकारी आवास से की गई है इस मामले में पहले से ही गिरफ्तार मुख्य आरोपी लोक सेवा आयोग में सेक्शन ऑफिसर के पद पर तैनात संजीव चतुर्वेदी मुख्य आरोपित है। ऋतु की गिरफ्तारी के दौरान लाखो की नकदी और चैक बरामद होने की जानकारी मिली है। इससे पहले लेखपाल पटवारी परीक्षा लीक के अभियोग के सम्बन्ध में चार लोगो की गिरफ्तारी एवं 22,50,000 रूपये बरामद करने की सफलता मिली थी। जिसके बाद एसटीएफ की टीम द्वारा इस मामले में कार्यवाही करते हुए पूर्व में गिरफ्तार संजीव चतुर्वेदी, अनुभाग अधिकारी, लोक सेवा आयोग उत्तराखण्ड की पत्नी ऋतु को उनके आवास लोक सेवा आयोग आवासीय परिसर से गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा पूर्व में गिरफ्तार अन्य अभियुक्तों की निशानदेही पर लाखों की नकदी, बैंक के ब्लैंक चैक व अभ्यार्थियों के शैक्षिक दस्तावेज बरामद किये गये हैं।अभी तक गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ कर तथ्यों एवं सबूतों को इकट्ठा करते हुए एसटीएफ ने राजपाल से दस लाख नकद, अभ्यार्थियों के दस्तावेज व परीक्षा के प्रश्नो की प्रति, संजीव से आठ लाख रुपए, अभ्यार्थियों के दस्तावेज, चैक व परीक्षा के प्रश्नो की प्रति, रामकुमार से एक लाख रूपये, परीक्षा के प्रश्नो की प्रति सहित कुल इन लोगों से कुल 41 लाख 50 हजार रुपये बरामद किए गए हैं। उत्तराखंड लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सहायक और कनिष्ठ इंजीनियर पदों पर भर्ती परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक होने के मामले में भी शामिल नौ व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा कनखल थाने दर्ज किया गया। मामले की विवेचना कर रहे विशेष जांच दल (एसआइटी) ने परीक्षा प्रश्नपत्र लीक करने में संलिप्त पाए गए नौ आरोपियों को नामजद किया है। हरिद्वार के पुलिस थाना कनखल में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 420, 409, 120बी, 3/4 सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम, 7/8 भ्रष्टाचार अधिनियम 1988 में मुक़दमा दर्ज किया गया है।जिसे स्पष्ट है कि लोक सेवा आयोग निष्पक्ष भर्ती का नही घोटालो की संलिप्तता का आयोग बनकर रह गया है। ईएमएस/ 05 फरवरी 23