खेल
05-Feb-2023
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- साल 2015 में पिंक बॉल टेस्ट की हुई शुरुआत नई दिल्ली (ईएमएस)। क्रिकेट का पहला इंटरनेशनल मुकाबला 1877 में खेला गया। तभी से टेस्ट क्रिकेट रेड बॉल से खेला जा रहा है। टेस्ट को रोमांचक बनाने के लिए आईसीसी ने 2015 में पिंक बॉल टेस्ट की शुरुआत की। जानकारी के मुताबिक, आने वाले समय में रेड बॉल क्रिकेट पूरी तरह बंद हो जाएग और इसकी जगह पिंक बॉल टेस्ट ले लेगा। ऐसे में अब दिन में नहीं बल्कि रात में फैंस को चौके-छक्के लगते दिखेंगे। टी20 और वनडे की बात करें, तो अब अधिकतर मुकाबले डे-नाइट के आधार पर ही खेले जाते हैं। इसमें व्हाइट बॉल का प्रयोग किया जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक खराब रोशनी के चलते कई बार टेस्ट क्रिकेट प्रभावित होता है। ऐसे में डे-नाइट टेस्ट से इस तरह की चीजें पूरी तरह दूर हो जाएंगी। ड्यूक के मैनेजिंग डायरेक्टर दिलीप जाजोदिया ने हेराल्ड और द एज से बात करते हुए कहा, पिंक बॉल अन्य किसी भी बॉल से बेहतर है, जो 80 ओवर तक चल सकती है। रेड बॉल क्रिकेट की बात करें, तो कई बार उसकी क्वालिटी को लेकर भी सवाल उठे हैं। जाजोदिया ने कहा कि पिंक बॉल से दिन में भी टेस्ट के मुकाबले खेले जा सकते हैं। इसमें कोई समस्या नहीं है। पिछले दिनों सिडनी में ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका के बीच टेस्ट खेला गया। बारिश और खराब रोशनी के चलते मैच का रिजल्ट नहीं निकल सका जबकि मैदान में फ्लट लाइट उपलब्ध थी। इस कारण आयोजकों को आलोचना का सामना करना पड़ा। ऑस्ट्रेलिया की टीम लगातार घर में पिंक बॉल से टेस्ट खेल रही है। टीम इंडिया 9 फरवरी से घर में कंगारू टीम से 4 मैचों की टेस्ट सीरीज खेलने जा रही है, लेकिन कोई भी टेस्ट पिंक बॉल से नहीं खेला जाएगा।ऑस्ट्रेलियन क्रिकेटर्स एसोसिएशन के सीईओ टॉड ग्रीनगर्ब ने कहा कि हमें नए रास्ते खोजने होंगे। इसमें खिलाड़ियों की सुरक्षा भी शामिल है।मालूम हो कि इंग्लैंड ने घर में अब तक सिर्फ एक ही पिंक बॉल टेस्ट खेला है। 2017 में उसने वेस्टइंडीज के खिलााफ डे-नाइट टेस्ट खेला था। सुदामा/ईएमएस 05 फरवरी 2023