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07-Feb-2023
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-मध्यप्रदेश में न्याय के नाम पर अन्याय भोपाल (ईएमएस)। संपूर्ण भारत में चेक बाउंस होने पर न्यायालय में वाद प्रस्तुत करने का शुल्क लगता है। मध्यप्रदेश सबसे ज्यादा शुल्क देना पड़ता है। महंगा न्याय शुल्क देने के बाद भी कई वर्षों तक चेक बाउंस के मामले में न्यायालयों से निराकरण न्यायालयों से नहीं होता है।न्याय के नाम पर मध्यप्रदेश में यह अनूखी लूट कई वर्षों से चल रही है। मध्यप्रदेश में न्यूनतम 200 रूपये और अधिकतम 1 लाख 50 हजार रुपए की न्यायालय फीस देनी पड़ती है। मध्य प्रदेश में न्यायालय शुल्क के रूप में 1 लाख रुपए तक 5 फ़ीसदी, 5 लाख रुपए तक 4 फ़ीसदी, 5 लाख रुपए से अधिक होने पर 21000 रूपये तथा चेक राशि का 3 फ़ीसदी, इससे अधिक राशि होने पर डेढ़ लाख रुपए न्यायालय शुल्क जमा करना पड़ता है। तभी जाकर न्यायालय में चेक बाउंस का मामला चल सकता है। -अन्य राज्यों की फीस चेक बाउंस के मामले में दिल्ली में 10 रूपये का वेलफेयर टिकट वकालतनामा पर और 10 रूपये का टिकट आवेदन पर लगता है। गुजरात राज्य में मात्र 10 रुपये,न्यायालय शुल्क लगता है। कर्नाटक राज्य में 30 रूपये का वेलफेयर टिकट वकालतनामा पर और 10 रूपये का टिकट आवेदन पर लिया जाता है। छत्तीसगढ़ राज्य में 100 रूपये का वेलफेयर टिकट वकालतनामा पर और 15 रूपये का टिकट आवेदन पर लगाना होता है। मुंबई में चेक की राशि का 2 फ़ीसदी और 10 रूपये वेलफेयर टिकट वकालतनामा पर लगानी होती है। मध्यप्रदेश में चेक बाउंस को लेकर भारी शुल्क लगाया जा रहा है। अब भोपाल जिला बार एसोसिएशन भी विरोध दर्ज करा रही है। जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पीसी कोठारी का कहना है, वर्ष 2011 में जारी नोटिफिकेशन व्यवहारिक नहीं है। पक्षकार पहले से ही पीड़ित होता है,न्यायालय शुल्क को लेकर वह और प्रताड़ित होता है। राज्य सरकार को न्यायालय शुल्क में संशोधन करना चाहिए। तभी पक्षकारों को राहत मिलेगी। भोपाल जिला एवं सत्र न्यायालय में चेक बाउंस के 25000 से ज्यादा मामले लंबित हैं।चेक बाउंस के मामले की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने की मांग कई वर्षों से की जा रही है। भारी न्याय शुल्क वसूल करने के बाद भी पीड़ितों को न्यायालय से कोई न्याय नहीं मिल पा रहा है। अब तो यह भी कहा जाने लगा है कि मध्य प्रदेश में न्याय के नाम पर भी अन्याय होने लगा है।