राज्य
07-Feb-2023
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-कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट ने इस्तीफा दिया -महाराष्ट्र में एमएलसी की एक सीट गंवाई मुंबई (ईएमएस। महाराष्ट्र के एमएलसी चुनाव में नासिक सीट से कांग्रेस के ही नेता रहे सत्यजीत तांबे ने टिकट न मिलने पर निर्दलीय पर्चा दाखिल किया था। इसके बाद नतीजा आया तब वह महाविकास अघाड़ी उम्मीदवार को हराकर बड़े अंतर से जीते। इसतरह कांग्रेस ने टिकट बंटवारे में गलती करके एमएलसी की एक सीट खो दी। इतना ही नहीं पार्टी में इस लेकर कलह इतनी तेज हो गई है कि दिग्गज नेता बालासाहेब थोराट ने इस्तीफा दे दिया है। तांबे उनके भतीजे ही हैं, इस लेकर वहां प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले से नाराज चल रहे हैं। पटोले को अध्यक्ष पद से हटाने की मांग करते हुए थोराट ने मल्लिकार्जुन खड़गे को चिट्ठी भी लिखी थी। थोराट पहले भी नाराज रहे हैं। उनका कहना रहा है कि पार्टी में राज्य में क्या फैसले लिए जाते हैं। इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं मिलती। कांग्रेस में यह कलह उस वक्त में हुई, जब 2024 के लोकसभा चुनाव दूर नहीं हैं। महाराष्ट्र में एनसीपी, शिवसेना के साथ कांग्रेस की एकता का फायदा मिलने की उम्मीद है। लेकिन जिस तरह कांग्रेस आपसी कलह में उलझी है, उससे यह संभावना कमजोर होती दिख रही है। महाराष्ट्र में कांग्रेस के पास सुशील कुमार शिंदे, पृथ्वीराज चव्हाण, अशोक चव्हाण कई सीनियर नेता मौजूद हैं। लेकिन कलह के चलते पार्टी यहां सालों से कमजोर है। एक दौर था जब एनसीपी के साथ कांग्रेस सीनियर पार्टनर हुआ करती थी, लेकिन अब वह महाविकास अघाड़ी में सबसे छोटी साझीदार के रूप में दिखती है। हाल ही में महाराष्ट्र से राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा गुजरी थी। इस यात्रा में एनसीपी और शिवसेना के नेता भी शामिल हुए थे। गठबंधन की एकता और राहुल गांधी की मेहनत के भरोसे कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर उम्मीद लगाए हुए है। लेकिन उससे पहले हुई कलह ने माहौल बिगाड़ने का काम किया है। इसके बाद देखना होगा कि कैसे हाईकमान संकट से निपटता है। कांग्रेस का आलम यह है कि जम्मू-कश्मीर से शुरू करें तब केरल तक कलह खत्म नहीं होती। जम्मू-कश्मीर में गुलाम नबी आजाद जैसे सीनियर नेता पार्टी से बाहर हैं। पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू जेल में हैं, तब चन्नी, रंधाना जैसे नेताओं में नहीं बनती। हरियाणा में हुड्डा और शैलजा कैंप के बीच टकराव जारी हैं, तब राजस्थान में पायलट और गहलोत के बीच रार जारी है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ में भी टीएस सिंह देव और भूपेश बघेल के बीच तलवारें खिंची रहीं हैं। मध्य प्रदेश में जहां पूर्व सीएम कमलनाथ खुद को सीएम चेहरे के तौर पर पेश करने की कोशिश करते हैं, तब एक धड़ा उनके विरोध में है। इस तरह राज्य दर राज्य कांग्रेस अंतर्कलह की शिकार नजर आ रही है।