राष्ट्रीय
08-Feb-2023
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नई दिल्ली (ईएमएस)। दिल्ली हाई कोर्ट ने माना है कि जांच के दौरान केरल की सिस्टर अभया मर्डर केस में आरोपी सिस्टर सैफी का वर्जिनिटी टेस्ट असंवैधानिक है। जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि हिरासत में एक व्यक्ति की बुनियादी गरिमा को बरकरार रखा जाना चाहिए जिसे वर्तमान मामले में तोड़ दिया गया है। कोर्ट का कहना है कि जांच के दौरान आर्टिकल 21 को निलंबित नहीं किया जाता है। न्यायिक या पुलिस हिरासत में किसी महिला बंदी या आरोपी का कौमार्य परीक्षण असंवैधानिक है। कोर्ट ने सिस्टर सेफी को आपराधिक मामला समाप्त होने के बाद मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए मुआवजे की मांग करने की आजादी दी। सीबीआई के खिलाफ कार्रवाई के संबंध में कोर्ट ने कहा कि नन के पास कानूनी उपचार उपलब्ध हैं। याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया था कि उसकी कौमार्य परीक्षा रिपोर्ट लीक हुई थी और हाइमेनोप्लास्टी की झूठी कहानी फैल गई थी। कोर्ट ने जांच एजेंसी को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश भी दिए कि अधिकारी इस संबंध में संवेदनशील हों। दरअसल 1992 में केरल की सिस्टर अभया के हत्या के मामले में सीबीआई कोर्ट ने 2020 में सिस्टर सेफी को हत्या के लिए दोषी पाया था और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सिस्टर अभया 27 मार्च 1992 को केरल के कोट्टायम जिले के सेंट पायस कॉन्वेंट में एक कुएं में मृत पाई गई थीं।स्थानीय पुलिस और राज्य की अपराध शाखा ने उस समय कहा था कि यह आत्महत्या का मामला है। लेकिन सिस्टर बनिकासिया मदर सुपीरियर और नानया कैथोलिक चर्च से 67 ननों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री के करुणाकरन को लिखा था कि जांच ठीक से नहीं की गई थी। जिसके बाद मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। करीब 17 साल बाद 2009 में सीबीआई ने अपने चार्जशीट में कहा कि मृतक ने जाहिर तौर पर सिस्टर सेफी फादर कोट्टूर और एक तीसरे आरोपी फादर जोस पूथ्रीक्कयिल को आपत्तिजनक स्थिति में देखा था। दावा किया गया कि फादर कोट्टूर ने अभया का गला घोंट दिया थाजबकि सिस्टर सेफी ने उसे कुल्हाड़ी से मारा था। एजेंसी ने यह भी पाया कि उन्होंने उसके शव को आत्महत्या का रूप देने के लिए कुएं में फेंक दिया था। 2018 में सबूतों के अभाव में फादर पुथ्रिकायिल को बरी कर दिया गया था।