लेख
05-Sep-2024
...


बुलडोजर नीति से सुराज मंडित सरकारों के भ्रम पर आखिरकार शीर्ष न्यायालय का अंकुश लग गया । जस्टिसद्व्य वी आर गवई व के वी विश्वनाथन की बेंच ने स्पष्ट किया कि दोषियों को उनके निकेत से वंचित नहीं किया जा सकता। इस प्रकार एक स्वस्थ लोकतंत्र में अपराध के मर्म और प्रकृति को जाने बिना मनमाने ढंग से किसी व्यक्ति के संपूर्ण परिवार को उसकी छाया से बेदखल कर असुरक्षित जीवन जीने के लिए विवश नहीं किया जा सकता। दरअसल अपराध का मार्ग सत्ता के आचरण से उत्पन्न होता है। जब आम आदमी को भरण पोषण के सतही विकल्पों से वंचित कर वीआईपी संस्कृति वाली अपराध की दुनिया में लिप्त लोगों को आदर्श बताते हुए सुनहरे सपने दिखाए जाते हैं तो अपराध कैसे रुकेंगे। ऐसा करने के पीछे अडानी अंबानी जैसे लोगों को उपकृत करना है जो सत्ता प्राप्त की वित्तपोषक है। अवांछित विज्ञापन चलचित्र धर्म प्रदर्शन, भीड़ तंत्र और मीडिया इसकी हवि है जो अपराध तंत्र की पनाहगार है ,जो लोगों के धैर्य और विवेक का क्षरण करते हुए निरपराध और अपराध के अंतर को पाटते है जिसे हम भागलपुर कांड में पुलिस और बिलकिस बानो के दोषियों के महिमा मंडन में देख सकते हैं ।देश में पुलिस प्रशासन और अपराधियों की मिलीभगत चहुंओर बयान हो रही है । उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के बुलडोजर न्याय की कथित लोकप्रियता का प्रभाव राजस्थान,असम, महाराष्ट्र , दिल्ली, हरियाणा और मध्यप्रदेश की सरकारों पर पड़ा। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनाव के मद्देनजर खरगोन मेंअप्रैल 2022 में हुए सांप्रदायिक झड़पों के बाद बुलडोजर नीति का दुरूपयोग किया। उनकी सरकार ने 16 घर और 29 ढाँचे ध्वस्त कर दिए। स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि जब उद्देश्य शुभ न हो तो ज्ञान पाप हो जाता है। इसकी बानगी हम देख ही रहे हैं। लेकिन मध्यप्रदेश के इतिहास में एक दौर ऐसा भी रहा है जब बुलडोजर नीति का सदुपयोग सार्वजनिक विकास के लिए किया गया। इन सबसे पहले मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के कार्यकाल वर्ष 1990-92 में नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर को समर्पित है। नए भोपाल के बुनियादी ढांचे को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में उन्हें बुलडोजर मैन के रूप में याद किया जाता है। उस दौरान गौर ने राज्य में सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने की दृढ़ इच्छाशक्ति के चलते भोपाल, इंदौर और मध्य प्रदेश के अन्य शहरी इलाकों में अभियान शुरू किए गए। सुलभ यातायात के लिए उन्होंने भोपाल की प्रसिद्ध वीआईपी रोड सहित भारत टॉकीज के आसपास के क्षेत्र में बांधा बनी इमारतों को ध्वस्त किया और स्थानीय निवासियों और राजनीतिक नेताओं के कड़े विरोध के बावजूद रेलवे स्टेशन पर यातायात व्यवस्था बहाल की। आपराधिक मामलों पर नकेल कसने के उद्देश्य से दंड प्रक्रिया शिनाख्त सदन में पारित हो चुका है जिसमें अपराधियों के जैविक और शारीरिक नमूने लिए जा सकेंगे। देखना है कि हांगकांग की तरह सरकार अपने दोष छुपाने के लिए कानून का दुरुपयोग करती है या सुशासन लाने की दिशा में अपराध प्रवृत्ति के निर्मूलन में इसका उपयोग। ईएमएस/ 05 सितम्बर 24