मुंबई, (ईएमएस)। महाराष्ट्र से मॉनसून लौट गया है और अब मुंबई में वायु प्रदुषण भी तेजी से बढ़ रहा है। खराब हवाओं के कारण आसमान में कोहरे की चादर बिछ गई है। वहीं मुंबई में प्रदूषित हवा के कारण फेफड़ों के संक्रमण के रोगियों में 20 प्रतिशत की वृद्धि के कारण डॉक्टरों ने सावधानी बरतने की सलाह दी है। बारिश की वापसी के बाद एक बार फिर मुंबई शहर में वायु प्रदूषण बढ़ने से लोग परेशान हैं। उधर महानगरपालिका प्रशासन इस पर काबू पाने के लिए कई उपाय लागू करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन मनपा की सारी कोशिशें बेकार साबित हो रही हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, मंगलवार को मुंबई का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 135 था, जो खतरनाक स्तर है। इसके साथ ही कुलाबा में एक्यूआई 155 यानी संतोषजनक दर्ज किया गया। वहीं, मझगांव में 89 एक्यूआई था। वायु गुणवत्ता सूचकांक में वृद्धि के कारण आसमान में धुंध की मोटी परत देखी गई। मुंबई के वर्ली, देवनार, कुर्ला, सायन, बांद्रा, पवई, भांडुप, जुहू, मलाड, बोरीवली, इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक खतरनाक स्तर पर पाया गया। इसके साथ ही सीएसएमटी इलाके में एक्यूआई 81 यानी संतोषजनक दर्ज किया गया। जबकि मझगांव में 89 एक्यूआई था। वायु गुणवत्ता सूचकांक में वृद्धि के कारण आसमान में धुंध की मोटी परत देखी गई। वायु प्रदुषण से बच्चों में भी एलर्जी बढ़ गया है। दरअसल कोविड के बाद माहौल बदल गया है। बच्चों के शरीर में रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं हो पाती है। अब पर्यावरण में बदलाव और शरीर में संक्रमण का असर उनकी श्वसन नली पर पड़ता है। पिछले साल मई में खांसी के मरीजों की संख्या में कमी आयी थी। लेकिन अब बच्चों में फिर से खांसी, अस्थमा और सांस की समस्या होने लगी है। संजय/संतोष झा- ०४ नवंबर/२०२४/ईएमएस