राष्ट्रीय
30-Nov-2024
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नई दिल्ली (ईएमएस)। वैज्ञानिकों ने कई दशकों तक कौवों की संज्ञानात्मक क्षमता पर शोध किया है। संज्ञानात्मक क्षमता में प्रमुख रूप से याददाश्त, निर्णय लेने की क्षमता, समस्या सुलझाने का कौशल और तार्किक सोच शामिल होती हैं। इस प्रकार के अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया है कि कौवे इन सभी क्षेत्रों में अत्यधिक सक्षम हैं। उदाहरण के लिए, कौवे न केवल समस्याओं का समाधान करते हैं, बल्कि वे उपकरणों का भी निर्माण कर सकते हैं। यह विशेषता केवल प्राइमेट्स (मनुष्य और बंदरों) में पाई जाती है, और यह कौवों को एक विशेष स्थान पर लाती है। आमतौर पर यह माना जाता है कि बुद्धिमत्ता का माप दिमाग के आकार से किया जाता है। यह धारणा भी प्रचलित है कि जैसे-जैसे दिमाग का आकार बड़ा होगा, किसी जीव की बुद्धिमत्ता भी उतनी ही अधिक होगी। लेकिन, हाल के शोध ने इस मान्यता को चुनौती दी है। कौवों के मस्तिष्क का आकार इंसान के मुकाबले छोटा होने के बावजूद, उनके मस्तिष्क के भीतर न्यूरॉन्स की संख्या और उनके घनत्व ने वैज्ञानिकों को चौंका दिया है। कौवों का दिमाग छोटे आकार का होते हुए भी अत्यधिक घने न्यूरॉन नेटवर्क से भरा होता है, जो उन्हें ऊर्जा की कम खपत में तेज़ी से सोचने और निर्णय लेने में मदद करता है। वास्तव में, एक अध्ययन में यह पाया गया कि कौवे इंसान के सात साल के बच्चे के बराबर बुद्धिमान होते हैं। इसके अलावा, एक अन्य अध्ययन में यह सामने आया कि कौवे इंसानों द्वारा दी गई परेशानियों को न केवल याद रखते हैं, बल्कि उनसे बदला भी लेते हैं। वे ऐसी स्थितियों में अपने अनुभवों से सीखने और योजनाएँ बनाने में सक्षम होते हैं, जो उनकी उच्च सोच क्षमता को दर्शाता है। इस शोध ने साबित कर दिया है कि कौवे केवल मिथकों में ही नहीं, बल्कि विज्ञान की नजरों में भी अत्यधिक बुद्धिमान प्राणी हैं। उनके दिमागी क्षमता और तर्कशक्ति को देखकर यह कहा जा सकता है कि वे अपने आकार के मुकाबले कहीं ज्यादा चतुर और समझदार होते हैं। इसलिए अगली बार जब आप इन काले पंछियों को देखें, तो याद रखें कि वे वास्तव में अद्भुत और बेहद बुद्धिमान प्राणी हैं। बता दें कि कौवे हमेशा से ही अपनी चतुराई और बुद्धिमत्ता के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। भारतीय संस्कृति और विभिन्न मिथकों में इन पंछियों को अकसर एक समझदार और चतुर प्राणी के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। सुदामा/ईएमएस 30 नवंबर 2024