लेख
18-Apr-2025
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भारत -पाकिस्तान की बीच अमृतसर से लाहौर जा रहे राष्ट्रीय राजमार्ग पर अटारी-बाघा बॉर्डर दोनों देशों के लिए अपनी अपनी राष्ट्रभक्ति प्रदर्शित करने और प्रत्येक दिन कम से कम एक बार दोनों देशों के सैनिकों द्वारा हाथ मिलाने से मधुरता का न सही एक पड़ोसी देश के साथ औपचारिक रिश्ता जरूर बना हुआ है। भारत मे पाकिस्तान की सीमा को अटारी गांव जोड़ता है,तो पाकिस्तान का बाघा गांव भारत की सीमा से सटा हुआ है।अमृतसर से करीब 30 किलोमीटर दूर अटारी-बाघा बॉर्डर पर बीटिंग रिट्रीट समारोह का आयोजन दोनों देशों द्वारा सन 1959 में शुरू हुआ था,जो आज तक बदस्तूर जारी है।राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत यह समारोह देश और दुनिया में काफी प्रसिद्ध है।अटारी-बाघा बॉर्डर पर बीटिंग रिट्रीट समारोह का आयोजन सर्दियों में शाम चार बजे और गर्मियों में शाम 5.15 बजे शुरू होता है। यहां प्रवेश करने का समय 3 बजे शुरू होता है और सीट पहले आओ और पहले पाओ के आधार पर मिलती है। अटारी-बाघा बॉर्डर पर होने वाले बीटिंग रिट्रीट समारोह में भारत की सीमा सुरक्षा बल के जवान और पाकिस्तानी रेंजर्स फोर्स एक साथ मिलकर अपनी अपनी सीमाओं में शानदार परेड व शौर्य का प्रदर्शन करते हैं। जिसे देखने के लिए हर रोज हजारों की संख्या में पर्यटक व नागरिक भाग लेते हैं। भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित अटारी-वाघा बॉर्डर भारत और पाकिस्तान की सीमा के बीच स्थित एक सीमा क्रॉसिंग है। जमीन मार्ग से यहीं से एक दूसरे देश मे आया व जाया जा सकता है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर अटारी- वाघा बॉर्डर भारत और पाकिस्तान के बीच एक सीमा रेखा बनी हुई है। जिसे रेडक्लिफ रेखा के नाम से जाना जाता है।इस रेखा का नाम ब्रिटिश वकील सर सिरिल रेडक्लिफ के नाम पर रखा गया है, जो देश बंटवारे के समय सीमांकन करने के लिए जिम्मेदार रहा। इस आयोजन के तहत सीमा द्वार बंद करने की सैन्य परंपरा हैं, लेकिन यह एक बेहद कोरियोग्राफ़्ड और लोकप्रिय सार्वजनिक सैन्य प्रदर्शन बन गया है, जो पर्यटकों और स्थानीय लोगों को आकर्षित करता है। वाघा बॉर्डर समारोह ऐतिहासिक संघर्षों और राजनीतिक तनावों के बीच भी भारत और पाकिस्तान के बीच शांति और सहयोग की स्थायी उम्मीद का प्रतीक बना हुआ है। यह भारत के अमृतसर व पाकिस्तान के लाहौर आने वाले आगंतुकों के लिए सांस्कृतिक अनुभव का हिस्सा बन गया है सन1959 से दोनों देश यहां रोजाना झंडा उतारने की रस्म निभाते आ रहे हैं। अगस्त 2017 में भारत ने वाघा बॉर्डर के भारतीय हिस्से अटारी में 110 मीटर ऊंचा झंडा फहराया था। जवाब में पाकिस्तान ने अपनी तरफ 122 मीटर ऊंचा झंडा फहराया। भारत की तरफ वाला झंडा फहराने वाला झंडा देश में सबसे ऊंचा है, जबकि पाकिस्तान की तरफ वाला झंडा दक्षिण एशिया में सबसे ऊंचा माना जाता है। सन 1947 में देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद से ही यह बॉर्डर दोनों देशों के बीच सड़क संपर्क के रूप में काम कर रहा है। यह समारोह 30 मिनट की एक ड्रिल है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय ध्वज को नीचे करना और सूर्योदय तक दोनों देशों के बीच सीमा को औपचारिक रूप से बंद करना है। इसकी शुरुआत सीमा के दोनों ओर के सैनिकों द्वारा की जाने वाली एक विस्तृत परेड से होती है। फिर, सीमा पर लोहे के गेटों को खोलना और दोनों तरफ के राष्ट्रीय झंडों को पूरी तरह से समन्वित आंदोलनों में नीचे करना होता है। झंडों को मोड़ने के बाद, दोनों पक्षों के सैनिक हाथ मिलाते हैं और लोहे के गेट बंद हो जाते हैं, जो समारोह के समापन का संकेत भी है।लेकिन भारत-पाकिस्तान के बीच इस रिट्रीट को देखकर ही सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत हर दृष्टि से पाकिस्तान पर भारी है और रहेगा।रिट्रीट के समय भी भारत की तरफ के दर्शकों की संख्या पाकिस्तान के दर्शकों से कम से कम दस गुणा अधिक होती है,इसी कारण पाकिस्तान की सैन्य व जन आवाज़ भारतीय सैनिकों व दर्शको के ऊंचे स्वर के बीच दबकर रह जाती है।सैन्य परेड देखकर तो लगता है जैसे पाकिस्तान भारत से हर रोज़ हार रहा हो। (लेखक स्वतंत्रता सेनानी परिवार कल्याण महापरिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता व वरिष्ठ साहित्यकार है) (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) .../ 18 अप्रैल /2025