व्यापार
19-Jul-2025


- छोटे फंड हाउसों ने मारी बाजी नई दिल्ली (ईएमएस)। पिछले एक दशक में भारत का म्यूचुअल फंड उद्योग तेज़ी से बढ़ा है। 2015 में जहां 41 फंड हाउसों का कुल एयूएम (एसेट अंडर मैनेजमेंट) 12.29 लाख करोड़ था, वह अब बढ़कर लगभग 75 लाख करोड़ हो गया है। यह छह गुना वृद्धि देश के छोटे शहरों और खुदरा निवेशकों तक म्यूचुअल फंड की पहुंच का प्रमाण है। हालांकि इस दौरान दाइवा, एलएंडटी, जेपी मॉर्गन और आईडीएफसी जैसे कई फंड हाउसों ने कारोबार बेचकर बाजार से बाहर भी कदम खींचा। वर्तमान में 47 फंड हाउस सक्रिय हैं, जिनमें 19 के पास एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का एयूएम है। सबसे कम वृद्धि निप्पॉन, फ्रैंकलिन, यूटीआई और आदित्य बिड़ला म्यूचुअल फंड में देखने को मिली। उदाहरण के लिए, निप्पॉन का एयूएम चार गुना बढ़कर 6.12 लाख करोड़ हुआ, जबकि फ्रैंकलिन का एयूएम केवल 1.5 गुना बढ़कर 1.14 लाख करोड़ तक पहुंचा। इसके ‎विपरीत छोटे फंड हाउसों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। एडलवाइस ने 128 गुना वृद्धि के साथ 1.48 लाख करोड़ का एयूएम हासिल किया। मिरै (99 गुना), मोतीलाल ओसवाल (38 गुना), एचएसबीसी (17 गुना) और पीपीएफएएस (19 गुना) ने भी बेहतरीन प्रदर्शन किया। खुदरा निवेशकों की भागीदारी बढ़ने से डीमैट खाते 2019 के 3.6 करोड़ से बढ़कर 2025 में 19.4 करोड़ हो गए हैं। सेबी के अनुसार, घरेलू संस्थागत निवेशकों का स्वामित्व 13 से बढ़कर 20 फीसदी हो गया है, जबकि विदेशी निवेशक 22 से घटकर 17 फीसदी पर आ गए हैं। इससे बाजार की आत्मनिर्भरता और गहराई में इजाफा हुआ है। सतीश मोरे/19जुलाई ---