भोपाल(ईएमएस)। कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में एम्स भोपाल अनुसंधान, शिक्षण और जनहित में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की दिशा में लगातार अग्रसर है। इसी क्रम में एम्स भोपाल 19-20 जुलाई 2025 को डेंटल एवं प्रोस्थेटिक ऑन्कोलॉजी पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। यह कार्यशाला डेंटिस्ट्री विभाग द्वारा आयोजित की जा रही है, जिसका उद्देश्य दंत चिकित्सकों, ऑन्कोलॉजिस्ट और स्वास्थ्यसेवा पेशेवरों को ओरल कैंसर रोगियों के मैक्सिलोफेशियल पुनर्वास के क्षेत्र में दक्ष बनाना है। यह विशिष्ट कार्यशाला भारत के विभिन्न हिस्सों से प्रतिभागियों को एक मंच पर ला रही है, जिनमें एम्स बीबीनगर, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू), आर्मी मेडिकल कॉर्प्स, और जम्मू, पटना, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, जबलपुर, कोलकाता, लखनऊ एवं हिमाचल प्रदेश के दंत महाविद्यालयों के प्रतिभागी शामिल हैं। कार्यशाला का मुख्य फोकस हेड एंड नेक कैंसर रोगियों के रूप और कार्य को पुनर्स्थापित करने हेतु इन्ट्राऑरल ऑब्चूरेटर, सिलिकॉन फेशियल प्रोस्थेसिस और कस्टम ऑक्युलर प्रोस्थेसिस के निर्माण पर है। डिजिटल वर्कफ्लो, 3डी प्रिंटिंग और उन्नत सामग्रियों के उपयोग से यह कार्यशाला देश में उच्च गुणवत्ता वाली, किफायती प्रोस्थेटिक पुनर्वास सेवाओं की क्षमता को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। एम्स नई दिल्ली, एनएच-मजुमदार शॉ कैंसर सेंटर बेंगलुरु, अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज कोच्चि, टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुंबई, केजी मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ, सिंहगढ़ डेंटल कॉलेज पुणे, एचबीसीएच एवं आरसी मुल्लांपुर और एम्स भोपाल जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञ इस कार्यशाला में सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करेंगे। इस पहल की महत्ता को रेखांकित करते हुए प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा, “यह कार्यशाला भारत भर में समग्र ओरल कैंसर पुनर्वास को सुलभ और सस्ता बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। अत्याधुनिक डिजिटल तकनीकों का उपयोग कर प्रोस्थेटिक प्रक्रियाओं में विशेषज्ञों को प्रशिक्षित कर एम्स भोपाल ऐसे भविष्य की दिशा में कार्य कर रहा है जहां ओरल कैंसर से उबरे रोगी शीघ्र ही अपनी कार्यक्षमता, गरिमा और जीवन की गुणवत्ता को पुनः प्राप्त कर सकें।” यह आयोजन एम्स भोपाल की नवाचार, शैक्षणिक उत्कृष्टता और रोगी-केंद्रित स्वास्थ्य सेवाओं की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करता है और डेंटिस्ट्री विभाग की सतत अधिगम और बहु-विषयक सहयोग की भावना का परिचायक है। हरि प्रसाद पाल / 19 जुलाई, 2025