सडक़ निर्माण की खुलने लगी पोल...चलते वाहन धंस रहे गड्ढ़ों में बारिश में बह गया विकास...3200 किमी सडक़ें खराब -पूरे प्रदेश में सैकड़ों पुल-पुलिया हुईं जर्जर भोपाल(ईएमएस)। मप्र में सरकार का सबसे अधिक फोकस सडक़ निर्माण पर रहता है। लेकिन इस साल मानसून की एक महीने की बारिश में करीब 3200 किमी सडक़ें खराब हो गई हैं। राजधानी भोपाल हो या प्रदेश का कोई भी क्षेत्र बारिश की पहली बूंदों में सडक़ों का विकास इस कदर बह गया है कि अब सडक़ों पर गड्ढ़े ही गड्ढ़े नजर आ रहे हैं। कई जगह तो सडक़ें इस कदर धंस गई हैं कि उनमें कार हो या बस इसमें फंस रहे हैं। वहीं प्रदेशभर में सैकड़ों पुल-पुलिया जर्जर हो चुकी हैं। प्रदेश में वर्तमान में लोक निर्माण विभाग का हजारों किमी लंबा सडक़ नेटवर्क क्रियाशील है। अधिकारियों के अनुसार विभाग के अधीन कुल 80775 किलोमीटर लंबाई की सडक़ें हैं। इनमें 9315 किमी राष्ट्रीय राजमार्ग यानि एनएच और 11389 किमी लंबे राज्य राजमार्ग यानि स्टेट हाईवे शामिल हैं। पीडब्लूडी के अधीन 25639 किमी लंबाई की मुख्य जिला सडक़ें तथा 34432 किमी के अन्य जिला मार्ग भी हैं। विभागीय जानकारी के अनुसार इन सडक़ों में से 3200 किमी इस बार बारिश में खराब हो गईं। ये सडक़ें लोक निर्माण विभाग, मप्र सडक़ विकास निगम और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की हैं। खास बात यह है कि साल भर पहले ही बनी सडक़े भी खराब हो गई है। सडक़ों पर कई बड़े-छोटे गड्ढे हो गए हैं। 216 करोड़ का पीडब्ल्यूडी प्लान फेल राजधानी भोपाल सहित पूरे प्रदेश की सडक़ों की हालत इस मानसून में बद से बदतर हो गई है। लोक निर्माण विभाग ने 216 करोड़ रुपये के मेगा प्लान के तहत व्हाइट टॉपिंग, नाली निर्माण, और सडक़ सरफेसिंग का दावा किया था, लेकिन पहली ही बारिश ने इस प्लान की पोल खोल दी। भोपाल की कोई भी सडक़ ऐसी नहीं बची, जहां गड्ढे और जलभराव ने जनता का जीना मुहाल न किया हो। लोक निर्माण विभाग ने अप्रैल में भोपाल की सडक़ों को बारिश से बचाने के लिए 216 करोड़ रुपये का प्लान तैयार किया था। इस योजना के तहत 27 प्रमुख सडक़ों पर व्हाइट टॉपिंग (कंक्रीट की परत), नाली निर्माण, और सडक़ सरफेसिंग का काम होना था। दावा था कि यह तकनीक सडक़ों को टिकाऊ बनाएगी और बारिश में गड्ढे नहीं बनेंगे। लेकिन बारिश ने इस प्लान की धज्जियां उड़ा दीं। हमीदिया रोड, रायसेन रोड, भारत टॉकीज, अशोका गार्डन, और रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के सामने की सडक़ों पर गड्ढों और जलभराव ने जनता को परेशान कर दिया। कहां-कहां खर्च हुए 216 करोड़ लोक निर्माण की योजना के तहत भोपाल की जिन सडक़ों पर काम किया गया, उनमें से सभी की हालत खराब है। योजना के तहत हबीबगंज नाका से रायसेन रोड पर 4.40 करोड़ रुपये, सूरज नगर से विशन खेड़ी मार्ग पर 3.80 करोड़ रुपये, भोपाल-चिकलोद मार्ग पर 5.70 करोड़ रुपये, कालीपरेड मार्ग पर 1.20 करोड़ रुपये, भारत टॉकीज चौराहे से रेलवे क्रॉसिंग पर 2.50 करोड़ रुपये, लिली टॉकीज चौराहे से भदभदा सेतु पर 7.60 करोड़ रुपये, लिंक रोड नंबर 1 पर 3.15 करोड़ रुपये और लिंक रोड नंबर 3 पर 1.74 करोड़ रुपये खर्च किए गए। लेकिन अब ये खडक़ें खराब हो चुकी हैं। इनके अलावा, करोंद मंडी पेट्रोल पंप, अशोका गार्डन थाने से सेमरा रोड, सिंधी कॉलोनी चौराहा, डीआईजी बंगला चौराहा से यूनियन कार्बाइड रोड, बैरसिया रोड, करोंद से लामाखेड़ा रोड, कोकता बायपास रोड, सैफिया कॉलेज रोड, हलालपुरा बस स्टैंड रोड, ललिता नगर, अयोध्या नगर, और मिनल रेशिडेंसी की सडक़ों पर भी गड्ढों और जलभराव की स्थिति बनी हुई है। व्हाइट टॉपिंग की हकीकत व्हाइट टॉपिंग, जिसे लोग निर्माण विभाग ने बारिश-प्रतिरोधी तकनीक के रूप में प्रचारित किया था, पहली बारिश में ही फेल साबित हुई। विशेषज्ञों का कहना है कि व्हाइट टॉपिंग की गुणवत्ता और ठेकेदारों की लापरवाही इसकी असफलता का मुख्य कारण है। ग्वालियर में चेतकपुरी रोड, जिस पर 4.09 करोड़ रुपये खर्च किए गए, 12 दिनों में 10 बार धंस चुकी है, जिसके लिए दो इंजीनियरों को निलंबित किया गया। सिविल इंजीनियरिंग विशेषज्ञ प्रो संजय शर्मा ने कहा कि व्हाइट टॉपिंग में उचित मटेरियल और मोटाई का ध्यान नहीं रखा गया। नाली निर्माण और ड्रेनेज सिस्टम की कमी ने स्थिति को और बिगाड़ दिया। जनता का आक्रोश और विरोध भोपाल और मध्य प्रदेश के अन्य हिस्सों में जनता ने सडक़ों की खराब हालत के खिलाफ विरोध शुरू कर दिया है। छतरपुर के खर्रहोही, उदयपुरा, और धनुपुरा गांवों में ग्रामीणों ने गड्ढों में धान की रोपाई करके अनोखा विरोध जताया। कांग्रेस ने इसे प्रशासनिक भ्रष्टाचार और ठेकेदारों की मिलीभगत का परिणाम बताया। कांग्रेस प्रवक्ता मुकेश नायक ने कहा कि 216 करोड़ रुपये का प्लान फेल हो गया, लेकिन कोई जवाबदेही नहीं। शहडोल में ड्राई फ्रूट घोटाला, ग्वालियर में सडक़ धंसना, और भोपाल में गड्ढे-यह भाजपा सरकार की हकीकत है। 26 करोड़ से बनी 35 किमी सडक़ खराब रायसेन जिला मुख्यालय के रतनपुर से चिकलोद तक 26 करोड़ रुपए की लागत से बनी 35 किलोमीटर लंबी सडक़ की हालत खराब हो गई है। सडक़ निर्माण को अभी एक साल भी पूरा नहीं हुआ है, लेकिन कई जगहों पर बनी पुलिया टूट चुकी हैं। शनिवार को कलेक्टर अरुण कुमार विश्वकर्मा ने कहा कि एमपीआरडीसी के अधिकारियों से बात करके जल्द ही पुलियों की मरम्मत कराई जाएगी और निर्माण की गुणवत्ता का ध्यान रखा जाएगा। यह सडक़ एक बड़े परियोजना पैकेज का हिस्सा थी, जिसमें कुल चार सडक़ों का निर्माण होना था। निर्माण के समय से ही सडक़ की गुणवत्ता पर सवाल उठते रहे, लेकिन इसके बावजूद एमपीआरडीसी के अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। वहीं टूटी हुई पुलियों के कारण आए दिन वाहन दुर्घटनाएं हो रही हैं। स्थानीय राहगीर दीपक थोरात और अंकित चंदेल ने बताया कि खराब सडक़ के कारण रोजाना स्थानीय नागरिकों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। विनोद उपाध्याय / 19 जुलाई, 2025