चेन्नई,(ईएमएस)। मद्रास हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को लेकर बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि ईडी यह कोई घूमता हुआ ड्रोन या कॉप नहीं है जो हर मामले की जांच करे और अपनी मर्जी से कार्रवाई करने लगे। जस्टिस एमएस रामेश और वी लक्ष्मीनारायणन की खंडपीठ ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत ईडी की पावर को सीमित करने की बात कही। इसने आरकेएम पावरजेन प्राइवेट लिमिटेड की 901 करोड़ रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट को फ्रीज करने के ईडी के आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने साफ किया कि पीएमएलए के तहत कार्रवाई तभी शुरू हो सकती है जब कोई निर्धारित अपराध (प्रीडिकेट ऑफेंस) और उससे उत्पन्न होने वाली अपराध की आय (प्रोसीड्स ऑफ क्राइम) मौजूद हो। हाई कोर्ट ने कहा कि ईडी की शक्तियों की तुलना लिम्पेट माइन से की जिसे काम करने के लिए जहाज की आवश्यकता होती है, जहां जहाज प्रीडिकेट ऑफेंस और प्रोसीड्स ऑफ क्राइम का प्रतीक है। आरकेएम पावरजेन ने ईडी के 31 जनवरी के फ्रीज आदेश को चुनौती दी थी, जिसे कंपनी के सीनियर वकील बी कुमार ने पूर्व अदालती फैसलों की अनदेखी और नए सबूतों के अभाव में अवैध बताया। कंपनी को 2006 में फतेहपुर ईस्ट कोल ब्लॉक आवंटित किया गया था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में रद्द कर दिया था। सीबीआई ने इस मामले में शुरू में एक एफआईआर दर्ज की थी लेकिन 2017 में इसे बंद कर दिया। इसके बावजूद, ईडी ने 2015 में पीएमएलए के तहत जांच शुरू की और कंपनी के खातों को फ्रीज कर दिया जिसे मद्रास हाई कोर्ट ने पहले रद्द कर दिया था। ताजा फैसले में कोर्ट ने ईडी की कार्रवाई को कानूनी रूप से अस्वीकार्य करार दिया। इसने कहा कि पीएमएलए के तहत कार्रवाई में कानूनी रूप से तय प्रक्रिया का पालन करना जरूरी है। वीरेंद्र/ईएमएस/20जुलाई2025