राज्य
20-Jul-2025


- भील प्रदेश का नक्शा तैयार, 4 प्रदेशों के बांटे जिले और नदियां भोपाल (ईएमएस)। मप्र, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के आदिवासी बाहुल्य जिलों को मिलाकर अलग भील प्रदेश बनाने की मांग लंबे समय से चली आ रही है। रतलाम में एक बार फिर भील प्रदेश बनाने की मांग उठी। इसी मांग को लेकर भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन सौंपा। इसमें सभी ब्लॉकों से बड़ी संख्या में आदिवासी पहुंचे। बता दें कि भारतीय आदिवासी पार्टी के एकमात्र विधायक कमलेश्वर डोडियार ने विधानसभा में अनुच्छेद 3 के अंतर्गत पृथक भील प्रदेश की मांग रखी थी। वहीं, गुजरात और राजस्थान में भी भारतीय आदिवासी पार्टी के जनप्रतिनिधियों द्वारा यह मांग की गई थी। एक बार फिर आदिवासी संगठनों ने एक साथ इन तीनों प्रदेशों में प्रत्येक आदिवासी बाहुल्य जिला मुख्यालय पर मप्र की मांग को लेकर ज्ञापन दिया है। अलग भील प्रदेश का नक्शा तैयार भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा ने भील प्रदेश का अलग नक्शा तैयार कर लिया है। विभिन्न आदिवासी संगठनों ने भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा के बैनर के अंतर्गत जो ज्ञापन पत्र सौंपा है, उसमें भील प्रदेश का प्रस्तावित नक्शा, जिले और नदियों का आवंटन भी किया गया है। ज्ञापन देने पहुंचे आदिवासी नेता ध्यानवीर डामोर ने बताया कि प्रमुख रूप से मप्र के रतलाम, झाबुआ, अलीराजपुर, धार, बड़वानी, खरगोन, महू और बुरहानपुर जिले प्रस्तावित भील प्रदेश में शामिल कए गए है। वहीं, महाराष्ट्र के नासिक, धुले, ठाणे गुजरात के दाहोद, सूरत, नर्मदा, भरूच और बनासकांठा एवं राजस्थान के डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर और प्रतापगढ़ जिले सहित 2 दर्जन जिलों को मिलाकर बाकायदा प्रस्तावित नक्शा भी ज्ञापन के साथ संलग्न किया गया है। नदियों पर भी किया दावा पेश प्रदेश संयोजक दिनेश माल ने बताया कि पृथक भील प्रदेश की उनकी पुरानी मांग है। जिसे संविधान के अनुच्छेद 3 के अंतर्गत आदिवासी हितों की रक्षा, वनों की रक्षा और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए अलग भील प्रदेश की मांग की जा रही है। भील प्रदेश का नक्शा पूर्ण रूप से आदिवासी संस्कृति और भाषा के अनुसार बनाया गया है। इसमें पर्याप्त मात्रा में जल स्रोत एवं प्राकृतिक संसाधन है। ज्ञापन में भील प्रदेश के नक्शे में नर्मदा, चंबल, माही, बनास और तापी नदियों पर भी अपना दावा पेश किया है। झोपड़ी वाले विधायक भी उठा चुके हैं मुद्दा झोपड़ी वाले विधायक के नाम से मशहूर कमलेश्वर डोडियार ने भी इस मुद्दे को विधानसभा के पटल पर उठाया था। वहीं बांसवाड़ा से सांसद राजकुमार रोत ने भी आदिवासी बाहुल्य पृथक भील प्रदेश की मांग संसद में उठाई थी। इन आदिवासी नेताओं की माने तो यदि सरकार द्वारा भील प्रदेश को अस्तित्व में लाया जाता है तो भील प्रदेश की राजधानी से लेकर नदियां, प्राकृतिक संसाधन आदि के बारे में सब कुछ पहले से तय कर लिया गया है। विभिन्न आदिवासी संगठनों ने जिला मुख्यालय सहित ब्लॉक स्तर पर भी प्रदेश की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा है। विनोद / 20 जुलाई 25