नई दिल्ली,(ईएमएस)। सुप्रीम कोर्ट कल 21 जुलाई सोमवार को वकीलों को जांच एजेंसियों द्वारा तलब किए जाने से जुड़े अहम मामले पर सुनवाई करेगा। यह मामला उच्चतम न्यायालय ने स्वयं संज्ञान में लिया है और इससे वकील-मुवक्किल विशेषाधिकार जैसे संवेदनशील कानूनी मुद्दे जुड़े हैं। सुनवाई प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया की पीठ के समक्ष होगी। मामले की पृष्ठभूमि में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा सुप्रसिद्ध वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार और प्रताप वेणुगोपाल को समन जारी करना शामिल है। दोनों वकीलों ने रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की पूर्व अध्यक्ष रश्मि सलूजा को उनके खिलाफ चल रही मनी लॉन्ड्रिंग जांच के संदर्भ में कानूनी सलाह दी थी, जिसके आधार पर ईडी ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया। यह मामला इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि इसमें वकीलों की स्वतंत्रता, पेशेवर गोपनीयता, और मुवक्किलों के साथ उनकी कानूनी बातचीत की गोपनीयता (लीगल प्रिविलेज) जैसे संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन होने की आशंका जताई गई है। क्या है वकील-मुवक्किल विशेषाधिकार? वकील-मुवक्किल विशेषाधिकार (Lawyer-Client Privilege) एक संवैधानिक अधिकार है, जिसके तहत मुवक्किल द्वारा वकील को दी गई कानूनी जानकारी गोपनीय मानी जाती है और उसे सामान्य परिस्थितियों में उजागर नहीं किया जा सकता। इस अधिकार को कमजोर करने का सीधा असर न्याय प्रक्रिया की निष्पक्षता पर पड़ सकता है। ईडी ने दी सफाई 20 जून को ईडी ने एक स्पष्टीकरण जारी कर कहा कि एजेंसी अब बिना निदेशक की मंजूरी के किसी भी वकील को तलब नहीं करेगी। ईडी ने जांच अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे किसी वकील को उसके मुवक्किल के खिलाफ जारी किसी भी जांच के सिलसिले में सीधे समन न भेजें। हिदायत/ईएमएस 20जुलाई25