भोपाल(ईएमएस)। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में नृत्य,गायन एवं वादन पर केंद्रित गतिविधि संभावना का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें 20 जुलाई, 2025 को सुमन परस्ते एवं साथी, डिण्डोरी द्वारा गोण्ड जनजातीय करमा नृत्य एवं संतोष यादव एवं साथी, सीधी द्वारा अहिराई लाठी नृत्य की प्रस्तुति दी गई। गतिविधि में सुमन परस्ते एवं साथी, डिण्डोरी द्वारा गोण्ड जनजातीय करमा नृत्य की प्रस्तुति दी गई। करमा कर्म की प्रेरणा देने वाला नृत्य है। ग्रामवासियों में श्रम का महत्व है श्रम को ही ये कर्म देवता के रूप में मानते हैं। पूर्वी मध्यप्रदेश में कर्म पूजा का उत्सव मनाया जाता है। उसमें करमा नृत्य किया जाता है परन्तु विन्ध्य और सतपुड़ा क्षेत्र में बसने वाले जनजातीय कर्म पूजा का आयोजन नहीं करते। नृत्य में युवक-युवतियाँ दोनों भाग लेते हैं, दोनों के बीच गीत रचना की होड़ लग जाती है। वर्षा को छोड़कर प्रायः सभी ऋतुओं में गोंड जनजातीय करमा नृत्य करते हैं। यह नृत्य जीवन की व्यापक गतिविधि के बीच विकसित होता है, यही कारण है कि करमा गीतों में बहुत विविधता है। वे किसी एक भाव या स्थिति के गीत नहीं है उसमें रोजमर्रा की जीवन स्थितियों के साथ ही प्रेम का गहरा सूक्ष्म भाव भी अभिव्यक्त हो सकता है। मध्यप्रदेश में करमा नृत्य-गीत का क्षेत्र बहुत विस्तृत है। सुदूर छत्तीसगढ़ से लगाकर मंडला के गोंड और बैगा जनजातियों तक इसका विस्तार मिलता है। अगले क्रम में संतोष यादव एवं साथी, सीधी द्वारा अहिराई लाठी नृत्य की प्रस्तुति दी गई। बघेलखंड में यादव समुदाय द्वारा ‘अहिराई नृत्य’, अहिराई-लाठी नृत्य’, ‘बीछी नृत्य’ के साथ-साथ व्यापक स्तर पर अहीर नायकों की वीर गाथाएँ गाई जाती है। करतब प्रधान संगीतबद्ध लाठी संचालन को अहिराई-लाठी नृत्य कहा जाता है। यह नृत्य युद्ध कला पर आधारित है जो कि नगड़िया, मादर की थाप पर लयात्मक हो जाती है। नृत्य में पारंपरिक परिधान कुर्ता, धोती, चौरासी एवं लोकवाद्य नगड़िया, शहनाई, बाँसुरी, मादर आदि का प्रयोग किया जाता है। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय परिसर में प्रत्येक रविवार दोपहर 02 बजे से आयोजित होने वाली गतिविधि में मध्यप्रदेश के पांच लोकांचलों एवं सात प्रमुख जनजातियों की बहुविध कला परंपराओं की प्रस्तुति के साथ ही देश के अन्य राज्यों के कलारूपों को देखने समझने का अवसर भी जनसामान्य को प्राप्त होगा। हरि प्रसाद पाल / 20 जुलाई, 2025