विभाग से खरीदी 1082 यूनिट और बेची 1345 यूनिट फिर भी थमाया 128 यूनिट का बिल 21 जून को संशोधित बिल में 741 खपत के सापेक्ष 1132 यूनिट विभाग को देने के बाद उपभोक्ता की 391 यूनिट थीं अवशेष -बिल में अवशेष सौर यूनिट का काॅलम फिर भी दर्ज नहीं हो रही पिछली बकाया यूनिट (चक्रपाणि) हाथरस (ईएमएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना पीएम सूर्यघर योजना को बिजली विभाग किस तरह अमलीजामा पहना रहा है, इसका उदाहरण बिजली बिलों में देखने को मिल रहा है। पिछले तीन माह से आ रहे बिल में उपभोक्ता की उत्पादित सौर यूनिट व विभाग की खपत यूनिट का अंतर बिल में अवशेष सौर यूनिट खाने में दर्ज नहीं हो रहा है। जिससे बार बार बिजली बिल थमाया जा रहा है। जुलाई तक विभाग के पास पहले से बकाया 391 यूनिट का समायोजन न कर केवल जुलाई का 128 यूनिट का बिल थमा दिया है। खाता संख्या 5652393000 उपभोक्ता मदन मोहन शर्मा निवासी मौहल्ला पल्टन सासनी के पास विभाग ने मई में जो बिल भेजा उसमें 901 सौर यूनिट विभाग को दीं थीं और विभाग से 692 यूनिट लीं थीं। लेकिन विभाग ने अपना बिल तो बना दिया, लेकिन सौर यूनिट समायोजित नहीं की। जून के बिल में फिर अगला बिल भेजा और उसमें भी सौर यूनिट दर्ज नहीं की।21 जून को संशोधित बिल में पुराने मीटर की 194 यूनिट व माह जून तक निर्यात यूनिट अधिक होने पर 6 माह का किराया कुल 3384 रूपये जमा करा लिए और विभाग पर 391 यूनिट अवशेष निकाली। लेकिन इन अवशेष यूनिट को अवशेष सौर यूनिट खाने में दर्ज नहीं कियामाह जुलाई के बिल में पिछली आयात यूनिट 741 व निर्यात यूनिट 1132 दर्ज हैं। लेकिन बिल 741 से आगे 1082 तक आयात व 1132 से आगे 1345 के अंतर 128 यूनिट का बिल बनाया है। जबकि पिछली अवशेष 391 यूनिट में 128 यूनिट कम करने के बाद अब भी विभाग केे पास उपभोक्ता की 263 यूनिट अवशेष रहती हैं।आईजीआरएस पर दर्ज शिकायत का परीक्षण व स्थलीय निरीक्षण किए बिना उपखंड अधिकारी ने बिल को सही मानते हुए निस्तारण कर दिया है। जबकि उनका बिल ही उनकी रिपार्ट को झुंठला रहा है। जिसमें अंतिम निर्यात सौर यूनिट 1345 व आयात यूनिट 1082 दर्ज हैं। इसके हिसाब से ही उपभोक्ता की 263 यूनिट अब भी विभाग पर बकाया है।आईजीआरएस में बिल को सही ठहराए जाने की शिकायत उपभोक्ता ने पीएमओ पोर्टल पर दर्ज कराई है। जिसमें बिल में पूर्व की अवशेष सौर यूनिट दर्ज न होने से बिल गलत आने का जिक्र किया है।बार बार बिल में गडबडी का समाधान न किए जाने पर अब उपभोक्ता ने उपभोक्ता अदालत की शरण में जाने का मन बना लिया है। ईएमएस / 20/07/2025