वाराणसी (ईएमएस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को अंतराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आइसार्क) में कृषि विभाग की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर उत्तर प्रदेश को 2030 तक वैश्विक फूड बास्केट बनाने के लिए विचार विमर्श के उद्देश्य से (5-7 अक्टूबर) दो दिवसीय आयोजित डायरेक्ट सीडेड राइस (डीएसआर) कॉन्क्लेव में कहा कि देश के खाद्यान्न उत्पादन में अकेले उत्तर प्रदेश का 21 फीसदी योगदान हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य अतिथि के रूप में एक ऐतिहासिक सत्र की अध्यक्षता की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संबोधित करते हुए कहा कि “पिछले 11 वर्षों में प्रदेश की कृषि प्रणाली में व्यापक एवं क्रन्तिकारी परिवर्तन हुए हैं| प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सॉयल हेल्थ कार्ड, इन्सुर्रेंस, एमएसपी जैसी सुविधियाँ मिल रही है, साथ ही दस करोड़ किसानों को किसान सम्मान निधि योजना का लाभ प्रति वर्ष मिलता है| उत्तर प्रदेश अपने सीमित क्षेत्रफल (11 प्रतिशत) के बावजूद राष्ट्रीय खाद्य उत्पादन में 21 प्रतिशत योगदान देकर कृषि क्षेत्र में अग्रणी राज्य बना हुआ है। भारत की कृषि परंपराओं में निहित शाश्वत ज्ञान पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कहा,हमें अपनी समृद्ध पारंपरिक ज्ञान पर भी सक्रिय रूप से ध्यान देना चाहिए, जो पीढ़ियों से हमें विरासत में मिला है और प्राचीन ग्रंथों तथा यात्रियों के विवरणों में दर्ज है, ताकि हम अपने कृषि विरासत और आधुनिक नवाचार दोनों को मजबूत कर सकें। कलानमक, उत्तर प्रदेश की एक प्रतिष्ठित वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP) किस्म, ऐतिहासिक महत्व रखती है क्योंकि इसे भगवान बुद्ध को महाप्रसाद के रूप में अर्पित किया जाता था। मैं आइसार्क के निरंतर प्रयासों की सराहना करता हूँ, जो इस तरह की मूल्यवान स्थानीय किस्मों की पहचान और प्रचार करने के साथ-साथ इन पारंपरिक किस्मों से नवाचारपूर्ण मूल्य वर्धित उत्पाद विकसित कर रहा है।” उत्तर प्रदेश की कृषि प्रगति और भविष्य की दृष्टि को उजागर करते हुए, उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश में अनुकूल कृषि-पर्यावरणीय परिस्थितियों के कारण अपार संभावनाएं हैं। इन ग्यारह वर्षों में, राज्य सरकार के प्रयासों ने अन्न, दालें, तेलहन और सब्जियों की उत्पादन क्षमता को पांच गुना बढ़ा दिया है। राज्य सरकार CGIAR केंद्रों जैसे इरी और इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर (सिप) की विशेषज्ञता का उपयोग क्षमता निर्माण और ज्ञान प्रबंधन के माध्यम से कर रही है, और मैं सिप से आग्रह करता हूँ कि वे अपने कार्य जल्दी से जल्दी शुरू करें ताकि हमारे आलू किसानों को उन्नत वैश्विक तकनीकों का पूरा लाभ मिल सके। कृषि (CGIAR) केंद्रों जैसे इरी और सिप का समर्थन जारी रखेंगे, ताकि उत्तर प्रदेश दुनिया के लिए एक उदाहरण स्थापित करे और 2030 तक वैश्विक फूड आपूर्तिकर्ता बन सके।” मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विचारों का समर्थन करते हुए, कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सूर्य प्रताप शाही, कृषि मंत्री, कृषि शिक्षा एवं कृषि अनुसंधान ने आइसार्क और इसके निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने राज्य में धान अनुसंधान और विकास को आगे बढ़ाने में संस्थान की सक्रिय भूमिका की प्रशंसा की। मंत्री शाही ने आइसार्क के संस्थापक निदेशक स्वर्गीय डॉ. यू.एस. सिंह को भी भावपूर्ण स्मरण किया, जिनके दूरदर्शी नेतृत्व ने न केवल उत्तर प्रदेश में इरी की मजबूत नींव रखी, बल्कि राज्य में अंतरराष्ट्रीय आलू अनुसंधान केंद्र (सिसार्क) की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह केंद्र उत्तर प्रदेश में आइसार्क के बाद दूसरा सीजीआर (CGIAR) संस्थान है। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश कृषि विभाग की 150वीं वर्षगांठ का भी जश्न मनाया गया। इस अवसर पर “2030 तक उत्तर प्रदेश को ग्लोबल फूड आपूर्तिकर्ता बनाने के लिए विचार विमर्श” विषयक एक विशेष सत्र का भी आयोजन किया गया। जिसमें सतत, जलवायु-स्मार्ट और तकनीक-संचालित कृषि प्रथाओं के माध्यम से राज्य की कृषि में परिवर्तन लाने के दृष्टिकोण को रेखांकित किया। इस सत्र में मुख्य अतिथि के तौर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत विशिष्ट अतिथि के तौर पर राज्य के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, राज्य मंत्री रविन्द्र जायसवाल, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’, कृषि राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख उपस्थित रहे। इसके साथ ही इरी की महानिदेशक डॉ. इवोन पिंटो, सीआइपी के महानिदेशक डॉ. साइमन हेक, कृषि मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त सचिव (बीज) अजीत कुमार साहू, कृषि विभाग-उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव रविंदर, आइसार्क के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह एवं इरी के अनुसंधान निदेशक डॉ. वीरेन्द्र कुमार शामिल रहें| अंतर्राष्ट्रीय पार्टनर के तौर पर श्री लंका के कृषि मंत्रालय के सचिव डी पी विक्रमासिंघे, माफ़-कमबोडिया के जनरल डायरेक्टरेट ऑफ़ एग्रीकल्चर डॉ. कोंग किया, वियतनाम अकादमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंस के पूर्व निदेशक डॉ. नुयेन भान वो ने भी भाग लिया। इससे पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कृषि ज्ञान उत्पादों और मशीनरी नवाचारों की एक श्रृंखला का अनावरण भी किया, जो उत्तर प्रदेश में कृषि के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह राज्य सरकार की तकनीक और क्षमता निर्माण के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। इस पहल के तहत मुख्यमंत्री ने किसानों को मिनी किट भी वितरित कीं, जो आधुनिक खेती की तकनीकों को खेतों में अपनाने के लिए सरकार के व्यावहारिक सहयोग का प्रतीक हैं। डॉ नरसिंह राम/06/10/2025