- बिल्डर से साँठगाँठ कर बनाये फर्जी सदस्य और दस्तावेज - तत्कालीन सहकारिता उपायुक्त ने पत्नी के नाम कराई प्लॉट की रजिस्ट्री - तत्कालीन अध्यक्ष अनिता बिस्ट भट्ट ने भी फर्जीवाड़े में की मदद भोपाल(ईएमएस)। गौरव गृह निर्माण सोसाइटी के सदस्यो द्वार किये गये फर्जीवाड़े की शिकायत की जॉच के बाद ईओडल्ल्यू ने दो महिलाओ सहित सात के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। आरोपी सदस्यो ने बिल्डर से साँठगाँठ कर फर्जी सदस्य और दस्तावेज तैयार कर संस्थापक सदस्यों को बाहर कर दिया। इसमें सहकारी विभाग के अधिकारियों ने अवैध लाभ लेकर सहयोग किया था। * यह था मामला विभाग द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार 18 जून 2008 को गौरव गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित, भोपाल के मूल संस्थापक सदस्यों द्वारा आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ, इकाई भोपाल में शिकायत दर्ज कराई गई थी। शिकायत में जिसमें तत्कालीन अध्यक्ष संतोष जैन एवं उनके सहयोगियों पर संस्था संचालन, भूखण्ड विकास एवं वितरण में व्यापक आर्थिक अनियमितताएं, कूटरचना, फर्जी सदस्यता तथा करोड़ों की जमीन के अनियमित हस्तांतरण का आरोप लगाया गया था। शिकायत के मुताबिक साल 1999 में चुनाव में अनियमितता कर अध्यक्ष बने जैन ने कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी संस्था पर अवैध कब्जा बनाए रखा और अक्टूबर 2005 में नियमों का उल्लंघन कर बिना आमसभा अनुमोदन के आठ फर्जी सदस्य शामिल किए। यह सभी आरोप जांच में सही पाये जाने पर 10 अक्टूबर 2025 को ईओडब्ल्यू ने संतोष जैन सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ धारा 120 बी 420,406,467,468 सहित 471 भा.दं.सं. की धाराओ के तहत मामला कायम किया है। * शिकायत में यह थे आरोप जो सही पाये गये शिकायत में आरोप लगाया गा था कि संस्था की पांच एकड़ जमीन पर विकास कार्य हेतु तत्कालीन अध्यक्ष संतोष जैन ने 30 जून 2004 को मेसर्स शुभालय विला से बिना निविदा प्रक्रिया, बिना आमसभा की अनुमति तथा मूल सदस्यों की जानकारी के अनुबंध करते हुए अधिकांश भूमि बिल्डर को सौंप दी। और केवल 44 प्लॉट मूल सदस्यों के लिए छोड़े गए। साथ ही प्लॉटो का आकार 2400/1500 वर्गफीट से घटाकर 1200 वर्गफीट कर दिया गया। जांच में सामने आया कि संस्था द्वारा किये गये अनुबंध पत्र के पहले तीन पृष्ठ कूटरचित थे, जिन पर गवाहों के हस्ताक्षर नहीं थे। संतोष जैन ने संस्था की आमसभाओं के प्रस्तावों में कूट रचना कर खुद को बिल्डर से एग्रीमेंट के लिए अधिकृत बताते हुए शुभालय विला से फर्जी अनुबंध किया। बाद में उन्होंने मंगलमय और प्रियदर्शनी बिल्डर्स के नाम से फर्जी कोटेशन प्रस्तुत किए,जिन्हें संबंधित संचालकों ने अस्वीकार किया। * 44 सदस्यो को नहीं दिये प्लॉट, 49 नये सदस्य जोड़े जांच में सामने आया कि संस्था के 44 मूल सदस्यों को उनके प्लॉट आवंटित नहीं किए गए, जबकि बाद में नियमों को दरकिनार करते हुए 49 नए सदस्यों को जोड़ा गया। जिनमें कुछ सहकारिता निरीक्षक और अन्य प्रभावशाली व्यक्ति भी शामिल थे। इन नए सदस्यों को मनमाने ढंग से प्लॉट आवंटित और विक्रय कर दिए गए। इन प्लॉटो की बिक्री से प्राप्त रकम का कोई लेखा-जोखा संस्था द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया। वहीं प्लॉटो का साइज घटाने के संबंध में भी संस्था की आमसभा से कोई प्रस्ताव या अनुमोदन नहीं लिया गया। * नगर निगम में बंधक प्लॉटो को भी बेच दिया गया * तत्कालीन सहकारिता उपायुक्त ने मदद करते हुए पत्नि के नाम लिया प्लॉट ईओडब्ल्यू की जांच में हैरानी वाला राज यह भी सामने आया की जिन प्लॉटो को नगर निगम में बंधक रखा गया था, उन्हें भी नियमों के विपरीत अन्य व्यक्तियों को बेच दिया गया। तत्कालीन सहकारिता उपायुक्त बबलू सातनकर ने संस्था की गड़बड़ियो को जानबूझकर नजरअंदाज किया और अपनी पत्नी सुनिता सातनकर को अवैध रूप से संस्था का सदस्य बनवाकर प्लॉट नंबर 7 की रजिस्ट्री करवाई। जिससे यह साफ हो गया कि उन्हें भी इस घोटाले में लाभ हुआ है। इसी तरह तत्कालीन अध्यक्ष अनिता बिस्ट भट्ट ने भी संतोष जैन की फर्जी योजनाओं को समर्थन देते हुए भूखण्डों की अवैध बिक्री में सहयोग किया। * दस्तावेज छिपाये, ईओडब्ल्यू को भी नहीं दी सही जानकारी जांच में यह बात भी सामने आई की 17 जून 2004, 22 मई 2005 और 26 फरवरी 2006 की आमसभाओं में बिल्डर से एग्रीमेंअ का कोई प्रस्ताव नहीं था, फिर भी इन्हीं तिथियों का हवाला देकर अनुबंध को वैध दर्शाया गया। और प्लॉट नंबर 50 कई भूखण्डों की रजिस्ट्री संतोष जैन और शुभालय विला के संयुक्त हस्ताक्षर से की गई और वे भूखण्ड गैर-सदस्यों को दिए गए। इसके साथ ही संस्था के मूल दस्तावेज अध्यक्ष संतोष जैन के निजी निवास से संचालित कार्यालय में रखे जाते थे, और पूर्व प्रशासकों को कोई रिकॉर्ड हस्तांतरित नहीं किया गया। संतोष जैन द्वारा आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ को भेजी गई भूखण्ड आवंटन सूची में भी सदस्यता क्रमांक और दिनांक जानबूझकर नहीं दर्शाए गए ताकि तत्कालीन सहकारिता उपायुक्त पाई जा सके। * भोपाल के बाहर के लोगो को बेच दिये दो-दो प्लॉट जिन 49 विक्रय पत्रों के जरिये प्लॉटो को बेचा गया उनमें कई खरीदार भोपाल से बाहर के थे, इनमें से कुछ को दो-दो भूखण्ड दिए गए और कोई भी वास्तविक सदस्य नहीं था। इससे साफ हुआ कि संतोष जैन और शुभालय विला के भागीदारों ने आपराधिक षड्यंत्र के तहत संस्था की जमीन हड़पने, मूल सदस्यों को वंचित करने, सहकारी अधिनियमों की अवहेलना कर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भूखण्ड आवंटन व विक्रय करने की सुनियोजित योजना बनाई थी। आरोपों की पुष्टि होने पर संतोष जैन,तत्कालीन अध्यक्ष, गौरव गृह निर्माण संस्था, शिशिर खरे, नंदा खरे, मनोज सिंह मीक भागीदार, मेसर्स शुभालय विला, बबलू सातनकर (सेवानिवृत्त उपायुक्त, सहकारिता विभाग), सुनीता सातनकर पत्नी बबलू सातनकर, अनिता बिस्ट भट्ट पूर्व अध्यक्ष, गौरव गृह निर्माण संस्था के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर आगे की जॉच की जा रही है। जुनेद / 10 अक्टूबर