राज्य
30-Oct-2025
...


मुंबई, (ईएमएस)। स्थानीय निकाय चुनावों से संबंधित कानूनों या नियमों में वीवीपैट के इस्तेमाल का कोई प्रावधान नहीं है। इसके अलावा, कुछ अपवादों को छोड़कर, लगभग सभी स्थानीय निकाय चुनाव बहु-सदस्यीय वार्ड प्रणाली पर होते हैं। इसके लिए, देश के सभी राज्य चुनाव आयोगों की तकनीकी मूल्यांकन समिति (टीईसी) वीवीपैट कनेक्टिविटी सुविधा वाली वोटिंग मशीनों के विकास का अध्ययन कर रही है और इसकी अंतिम रिपोर्ट अभी तक प्रस्तुत नहीं हुई है। इसलिए, राज्य चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि इन चुनावों में फिलहाल वीवीपैट का इस्तेमाल संभव नहीं है। दरअसल स्थानीय निकाय चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के उपयोग का प्रावधान वर्ष 2005 में विभिन्न प्रासंगिक अधिनियमों/नियमों में किया गया था। लेकिन वीवीपैट के उपयोग के संबंध में प्रासंगिक अधिनियमों या नियमों में कोई प्रावधान नहीं है। वहीं, कुछ अपवादों को छोड़कर, लगभग सभी स्थानीय निकायों में बहु-सदस्यीय वार्ड प्रणाली लागू है। बहु-सदस्यीय वार्ड प्रणाली में, प्रत्येक मतदाता को औसतन 3 से 4 वोट डालने का अधिकार होता है। इसे ध्यान में रखते हुए, देश के सभी राज्य निर्वाचन आयोगों की तकनीकी मूल्यांकन समिति (टीईसी) इन चुनावों के लिए वीवीपैट से संबंधित तकनीकी विशिष्टताओं के विकास का अध्ययन कर रही है। उनकी रिपोर्ट अभी प्राप्त नहीं हुई है, यह बात राज्य निर्वाचन आयोग के जनसंपर्क अधिकारी जगदीश मोरे ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा। राज्य सरकार द्वारा स्थानीय निकाय चुनावों से संबंधित अधिनियमों/नियमों में समुचित प्रावधान किए जाने तथा देश के सभी राज्य निर्वाचन आयोगों की तकनीकी मूल्यांकन समिति (टीईसी) से वीवीपैट की तकनीकी विशिष्टताओं की रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद, भविष्य में इस संबंध में उचित निर्णय लिया जाएगा। विशेष रूप से, स्थानीय निकाय चुनावों में अब तक वीवीपैट का उपयोग नहीं किया गया है, ऐसा निर्वाचन आयोग ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया है। * वीवीपैट के उपयोग के संबंध में क्या हैं नियम ? लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के उपयोग के संबंध में वर्ष 1989 में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में धारा 61ए को शामिल किया गया था। इसके साथ ही, वर्ष 2013 में निर्वाचन संचालन नियम, 1961 के अंतर्गत वीवीपैट के उपयोग के संबंध में नियम संख्या 49ए से 49एक्स एवं अन्य नियम बनाए गए थे। तदनुसार, भारत निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और वीवीपीएटी का उपयोग लोकसभा और विधानसभा चुनावों में किया जाता है। * क्या कहना है चुनाव आयोग का ? महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव मुंबई नगर निगम अधिनियम 1888, मुंबई प्रांतीय नगर निगम अधिनियम 1949, महाराष्ट्र नगर परिषद, नगर पंचायत और औद्योगिक नगर अधिनियम 1965, महाराष्ट्र जिला परिषद और पंचायत समिति अधिनियम 1961 और मुंबई ग्राम पंचायत अधिनियम 1958 तथा संबंधित नियमों के प्रावधानों के आधार पर कराए जाते हैं। राज्य चुनाव आयोग ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि इनमें परिवर्तन या संशोधन करने का मामला राज्य चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। * दोहरे नामों के संबंध में आदेश जारी राज्य में स्थानीय निकायों के चुनावों में पारदर्शिता और सटीकता बनाए रखने के लिए, राज्य चुनाव आयोग ने सभी संबंधितों को मतदाता सूचियों में संभावित दोहरे नामों की जाँच करने और दिए गए आदेश के अनुसार उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। स्थानीय निकाय चुनावों पर लागू अधिनियमों के प्रावधानों के अनुसार, केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा तैयार की गई विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची का उपयोग स्थानीय निकायों के सभी चुनावों के लिए यथावत किया जाता है। केवल नगर निगमों, नगर पालिका परिषदों, नगर पंचायतों और ग्राम पंचायतों के चुनावों के लिए इसे वार्ड-वार, तथा जिला परिषद निर्वाचन प्रभाग और पंचायत समिति निर्वाचन प्रभाग द्वारा भी विभाजित किया जाता है। इन निर्वाचक नामावलियों को विभाजित करते समय, मतदाताओं के नाम और पते, विधानसभा क्षेत्र की मूल सूची के अनुसार, निर्वाचक नामावलियों में बनाए रखे जाते हैं। स्थानीय निकाय की प्रारूप या अंतिम निर्वाचक नामावली में संभावित डुप्लिकेट मतदाता के नाम के सामने चिह्न (**) अंकित होता है। इन संभावित डुप्लिकेट मतदाताओं की स्थानीय स्तर पर जाँच की जाएगी और यह पुष्टि की जाएगी कि वे वास्तव में एक ही व्यक्ति हैं या अलग-अलग व्यक्ति हैं। मतदाता के नाम, लिंग, पता और फोटो की प्राथमिक जाँच के बाद, यदि समानता पाई जाती है, तो मतदाता को उस सटीक वार्ड, जिला परिषद निर्वाचन प्रभाग/पंचायत समिति निर्वाचन प्रभाग के बारे में सूचित किया जाएगा जिसमें वह मतदान करने जा रहा है। इस संबंध में निर्धारित प्रपत्र में आवेदन लिया जाएगा। ऐसा मतदाता शेष किसी भी मतदान केंद्र पर मतदान नहीं कर सकेगा। राज्य चुनाव आयोग के जनसंपर्क अधिकारी जगदीश मोरे ने बताया है कि यदि संभावित डुप्लिकेट नाम वाले मतदाता से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती है, तो यदि ऐसा मतदाता मतदान केंद्र पर मतदान करने आता है, तो उस मतदाता से निर्धारित प्रारूप में एक वचनपत्र लिया जाएगा जिसमें कहा जाएगा कि उसने अपने नाम से किसी अन्य मतदान केंद्र पर मतदान नहीं किया है और न ही करेगा। ऐसे मतदाता को कड़ी पहचान के बाद ही मतदान करने दिया जाएगा। इस संबंध में, राज्य चुनाव आयोग ने बुधवार को मतदाता सूची में संभावित डुप्लिकेट नामों के खिलाफ उठाए जाने वाले कदमों के संबंध में एक विस्तृत आदेश जारी किया। स्वेता/संतोष झा- ३० अक्टूबर/२०२५/ईएमएस