लेख
01-Nov-2025
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बिहार विधानसभा चुनाव में लम्बी खींचतान,जोड़तोड़ और पाला बदल के बाद अब पाले खींच चुके है।कौन किस तरह है और कौन किस तरफ जा चुका है स्थिति साफ हो चुकी है।दो चरणों मे होने वाले चुनाव 6 नवम्बर और 11 नवम्बर को होंगे।इस लिहाज से हवा सबसे गर्म है।पिछले दो दशक से यहां हवा एनडीए गठबंधन के पक्ष में बही है।जिसके सुकानी नीतीश कुमार मुख्यमंत्री है।एनडीए को सबसे बडी राजनैतिक ताकत बनाया है।मुस्लिम ,दलित,अतिपिछडा और यादव के प्रभुत्व से सरकार बनती आ रही है।जिसमे आदिवासी मुख्य भूमिका में रहते है।अलीनगर की प्रत्याशी मैथेली ठाकुर के लिए प्रचार करने आई केतकी सिंह ने पगड़ी पर सियासत करती नजर आई।बात मिथिला की नही है।लेकिन अलीनगर की उम्मीदवार मैथेली भोजपुरी गायक कलाकार हैं।दरअसल, सियासत कलाकार होने के कारण नही हो रही है।परन्तु मिथिला में बाहरी प्रत्याशी की वजह से लोग नाराजगी व्यक्त कर रहे है।अलीनगर विधानसभा में पहले फेज यानी 6 नवम्बर को मतदान होगा ।अलीनगर ने ब्राह्मण और मुस्लिम मतदाता 48 प्रतिशत है।मुस्लिम आरजेडी की तरफ विशेष झुकाव है।लेकिन इस बार तेजस्वी ने वक्फ बिल को कूड़ेदान में डालने की जूठी वाहवाही लूटने की नाकाम कोशिश के कारण मुस्लिम वोटर की दिशा बदलती दिख रही है। अलीनगर और दरभंगा में वोटर एनडीए की कल्याणकारी योजनाओ से खुश है।और अलीनगर से प्रत्याशी मैथिली ठाकुर के लिए कोई मुश्किल दिखाई नही दे रही है।मैथिली ठाकुर का बाहरी मुद्दा कही न कही वोटो की हिस्सेदारी निश्चित कर सकता है।अलीनगर में 2,88,374 वोटर है।जिसमे 1,38,929 महिला मतदाता है।और1,49,443 पुरूष वोटर है।इसमे प्रखण्ड अलीनगर ,तारडीह और घनश्यामपुर आते है।2020 में वीआईपी के उम्मीदवार मिश्रीलाल यादव जीते थे।पाग पर बेमतलब विवाद खड़ा किया जा रहा है।क्योंकि मैथिली ठाकुर ने पगड़ी के बारे मे कुछ कहा ही नही है ।पगड़ी समाज के लिए शान है लेकिन विधानसभा चुनाव के लिहाज से शब्द पर सियासत होना स्वाभाविक है।इस बार निर्णायक जीत होने के कयास लगाए जा रहे है।नीतीश कुमार की आज भी साख बरकरार है।गांव में नीतिश कुमार को फिर से सरकार बनाने के लिए मतदाता तैयार है।लेकिन किसी बाहरी के लिए मन मे मलाल है।यह गीले शिकवे सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के नीचे दबते नजर आ रहे है।सभी को सुशासन की आवश्यकता है।ब्राह्मण- मुस्लिम गठजोड़ के लिए प्रयास होता दिखाई दे रहा है।अलीनगर में ब्राह्मण 23 प्रतिशत,मुस्लिम 25 प्रतिशत,यादव 10 प्रतिशत,एससी एसटी 13 प्रतिशत ,कोडरी कुर्मी 9 प्रतिशत और ईबीसी 20 प्रतिशत मतदाता है।मुस्लिम वोटर 25 प्रतिशत की दो भागों में विभाजित हो जाएगी ।उधर महागठबंधन में मुस्लिम वोटर की हिस्सेदारी पूरी है।लिहाजा,75 प्रतिशत दूसरी जाति के वोटरों में अलीनगर की प्रत्याशी मैथेली ठाकुर के लिए कोई मुश्किल बात नही है।वैसे भी मैथेली सेलिब्रिटी है।नीतीश और मोदी के विकास योजनाओ से बिना सोचे समझे एनडीए को ही वोट देंगे।अलीनगर में उच्च पदों के लिए ब्राह्मणों और यादवों का ही वर्चस्व है।महागठबंधन की तरफ से बिहार विधानसभा के लिए घोषणा पत्र जारी किया।तेजस्वी ने घोज़हन6 पत्र जारी करते हुए कहा कि आरजेडी और कांग्रेस महागठबंधन की सरकार बनती है तो हर घर मे एक नौकरी का वादा किया है।तेजस्वी ने बीस महीनों में 2.8करोड़ लोगों को नौकरी देने का वादा किया है। बिहार विधानसभा चुनाव में युवा वोटर्स निर्णयक बनते दिखाई दे रहे है। तेजस्वी ने हिसाब लगाए बिना 1.63करोड़ युवाओ के लिए कुछ नया करने की ठान रखी है।इनके वादे पतझड़ की तरह है।तेजस्वी ने युवाओ पर फोकस किया है।एनडीए की कल्याणकारी योजनाओं पर तेजस्वी की पूरी नजर रही है।नीतीश कुमार की योजनाओं को ध्यान में रखकर माई बहन योजना के अंतर्गत 25 सौ रुपये हर महीने और 30 हजार सालाना देने की घोषणा की है।महागठबंधन की तरफ संविदा कर्मचारियों को साधने की कोशिश की गई है।शिक्षकों को अपने घोषणापत्र में जगह दी है।बिहार में सबसे ताकतवर अतिपिछडा के हितैषी बताने की कोशिश की है।वादे पूर्ण करने का तेजस्वी के पास कोई रोड मैप नही है।क्योंकि आरक्षण से छेड़छाड़ नही कर सकते है।तेजस्वी के घोषणा पत्र में कोई नई बात नही है।हर चुनाव में घुमा फिराकर घोषणा की जाती है।एक दूसरे की काट कर घोषणाओं को अमलीजामा पहनाया गया है।महागठबंधन की सरकार बनने पर वक्फ संशोधन कूड़ेदान में फेंकने की बात की गई है।जबकि वक्फ बिल केंद्र सरकार के अधीन है।वक्फ को वक्फ की संविधान सूची में शामिल किया गया है।राज्य और केंद्र कानून बना सकती है।लेकिन कोई विवाद हुआ तो केंद्र का कानून ही माना जायगा।वक्फ संशोधन बिल को लेकर केंद्र का ही सर्वोपरि कानून माना जायेगा।क्योकि केंद्र में अलग दल की सरकार है और महागठबंधन के लिए बात हरगिज नही मानी जा सकती है।मुस्लिम वोटरों को साधने के लिए महागठबंधन की यह घोषणा हथेली में चांद बताने की कोशिश की जा रही है।लेकिन मुस्लिम समाज तेजस्वी के झांसे में हरगिज आने वाले नही है।वक्फ संशोधन बिल का मुद्दा उठाकर तेजस्वी राजनौतिक फायदा उठाना चाहते है।बिहार में मुस्लिम वोटरों की संख्या 18 प्रतिशत है।राज्य की 40 सीटें है,जहाँ से ज्यादा मुस्लिम वोटर है।इसके बाद 20 सीटे ऐसी है,जहाँ20 से 25 प्रतिशत मुस्लिम वोटर है।बिहार की 243 विधानसभा सीटो पर 60 से 70 सीटों पर मुस्लिम अहम फैक्टर है।और किसी एक पार्टी के पक्ष में ध्रुवीकरण हुआ तो महागठबंधन को फायदा हो सकता है।तेजस्वी के गुमराह करने वाले वादे से बिहार की जनता और मुस्लिम समाज वाकिफ है।लालू की कथनी करनी समान नही थी।तेजस्वी ने पासा फेंका है।वक्फ बिल के लिए बिहार में बहुत हंगामा हुआ था।बहरहाल,सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी 32 सीटो पर चुनाव लड़ रही है।सीमांचल में 16 सीटे है जहां पर मुस्लिम वोटर अहम है।ओवैसी मुस्लिम हकों की बाते कर रहे है।उनकी आवाज नीचे जमीन तक पहुंच रही है ।आम आदमी पार्टी भी सेंघ मारी करने में कुछ हद तक सफल होगी।बिहार में रस्साकशी वाले चुनाव में किसका घोड़ा जीतेगा,यह तो चुनाव नतीजों के बाद ही पता चलेगा।लेकिन आज के परिपेक्ष्य में सबसे अहम बात जानमाल की हिफाजत और कानून व्यवस्था की है।क्योंकि विकास से पहले वोटर मजबूत सरकार देखते है।जिस वजह से परिवार की सुरक्षा पहली प्राथमिकता बने।जंगलराज को जनता स्वीकार नही करेगी।क्योकि हथेली में चांद बताने वाले अपना घर ही भरते है।इसलिए सोच समझकर नैतिकता और ईमानदारी को सबसे पहले प्राथमिकता दे।और ईमानदार प्रत्याशी और दल का चयन करें,जिसे परिवार की सुरक्षा पर सरकार हर कदम पर खड़ी रहकर हिफाजत कर सके।यही मतदाता करने का सही तरीका है। ईएमएस/01/11/2025