लेख
01-Nov-2025
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बिहार विधानसभा चुनाव की छपरा और मुज्जफरपुर की रैलियों में मोदी ने कहा कि जंगलराज की पहचान पांच शब्दो से होती है।मोदी और राहुल ने वार पलटवार किया।मोदी ने पलटवार करते हुए कहा कि बिहार में राजद और कांग्रेस के पांच शब्द बिहार की राजनीति में फलफूल रहे है।कट्टा,क्रूरता, कटुता,कुशासन और करप्शन से विपक्ष की पहचान है।मोदी ने कहा कि छठ पूजा का अपमान कभी नही सहेंगे।राहुल ने मुजफ्फरपुर और छपरा की सभा के दौरान अंतराष्ट्रीय मुद्दा उठाते हुए कहा कि मोदी ट्रम्प को जवाब देने से डरते है।डर शब्द का उपयोग, वो भी मोदी के लिए करने के बाद राहुल देश के युवाओ के निशाने पर है।युवा देश की धड़कन है।युवाओ की पहली पसंद नरेंद्र मोदी है।मोदी ने कई बार कहा है कि यह छप्पन की छाती है।उसके बाद राहुल मोदी पर डर और भय की बात करके सुर्खिया बटोर रहे है।मोदी ने अपनी सभा मे कहा कि बिहार के नौजवानों का सपना ही मेरा संकल्प है।राहुल अपना ही अध्याय लिखने के लिए तत्पर है।देश मे कांग्रेस की खोई हुई विरासत वापस पुनः प्राप्त करने का जिम्मा राहुल को सौंप रखा है।वे मिशन पर निकल पड़े है।गांधी खानदान की उपलब्धियों से लैस राहुल मैदान में उतरकर विश्व नेता मोदी की काट कर राजनीति के गलियारों तक पहुंचने की भरपूर कोशिश कर रहे है।मोदी पर निशाना साधने से कांग्रेस दिनोंदिन खिसक रही है।कांग्रेस को चाहिए कि लोकसभा का चुनाव न होकर विधानसभा का चुनाव बिहार में हो रहा है।इसलिए कांग्रेस को वार-पलटवार मुख्यमंत्री पर किया जाना चाहिए।लेकिन कांग्रेस की सुषुप्त अवस्था जनाधार खत्म करने के पदपर अग्रसर है।कांग्रेस आरोप लगाती है।लेकिन तथ्यात्मक पहलू पेश नही करती है।इसलिए वे जूठे और फरेबी आरोप होते है।राहुल के जातिविहीन समाज के मुद्दे उठाना और मोदी पर बेबुनियाद आरोपो की झड़ी लगाना राहुल और कांग्रेस की फितरत बन गई है।कांग्रेस ने कभी यह नही सोचा है कि आखिर नरेंद्र मोदी को पूरी दुनिया सम्मान क्यों दे रही है?अगर कांग्रेस के जेहन में यह सबकुछ आ जाता है तो कांग्रेस की खोई हुई ताकत और विरासत को थोड़ा बहुत खाद पानी मिल सकता है।राहुल को पता लगने से पहले ही वे कुछ कुछ ऐसा बोल देते है,जो चुनाव में मुद्दा बन जाता है।कांग्रेस की विरासत थामे राहुल को अपने मन की कहने के लिए गांधी परिवार के इस वारिस को स्वतः स्फुर्रता की कीमत तो चुकानी ही पड़ेगी।बिहार को शिक्षा का केंद्र मानने वाली कांग्रेस ने सदियों से चली आ रही वैदिक संस्कृति को पाठ्यक्रम से ही गायब कर दिया।कांग्रेस का तुष्टिकरण प्रेम आज जड़ो से अलग करने का कार्य कर रहा है ।राहुल ब्रांड बिहार की धूल घुसरित गलियों में कांग्रेस ने उतार दिया है।कांग्रेस बचाने के लिए राहुल और प्रियंका को केंद्र में रखा जा रहा है।कांग्रेस को गांधी परिवार से उम्मीदे बेहिसाब है। कांग्रेस ने राहुल को आगे करके कांग्रेस की पतवार थामने का जिम्मा सौंपा है।लेकिन सतारूढ़ उनकी राजनैतिक परिपक्वता पर हर समय अंगुली उठाता आ रहा है।और यह इसलिए सही है कि उनकी रुचि भोजन बनाने,नाश्ता तैयार करने,यात्रा निकालने, जूठे आरोप लगाने और तथ्य बिना भाषण देने जैसे कार्य देश की अनास्था को बढ़ावा दे रहा है।राहुल और कांग्रेस के पास विकास के मुद्दे नही है।कांग्रेस कभी यह नही कहती है कि हम सत्ता में आने के बाद जनता के लिए वो कार्य करेंगे।देश की आलोचना करना और संविधान की किताब जगह जगह प्रदर्शित करना कांग्रेस को पीछे धकेल रही है।उनके कथन मुस्लिम अल्पसंख्यक को लुभाने के लिए पर्याप्त है।देश को साथ लेकर चलने की उनकी नियति कभी सुनने को नही मिली है।राहुल बेहतरीन प्रदर्शन कार्ड है और बिहार को देने के लिए यही सब कुछ है।जहाँ कांग्रेस सब कोई ताकत नही रही है।इनके पुरखो ने आजादी के बाद सबसे ज्यादा शासन किया।जबसे ईवीएम चलन में आया है तब से कांग्रेस पराजय हो रही है।इसलिए कांग्रेस को पुरानी पद्धति से चुनाव कराना ठीक लगता है।क्योंकि बुच कैप्चरिंग और फर्जी वोटो की कहानी हम हर चुनाव के बाद अखबारों में पड़ते थे।जब से निर्वाचन आयोग का गठन हुआ है,तब से चुनाव प्रक्रिया में सुधार हुआ है।अब एक वोट भी फर्जी तरीके से नही डाला जा सकता है।और न कोई फेरफार सम्भव है।कांग्रेस एक ऐसी विरासत थी,जिसका लोकतंत्र में कोई सानी नही था।दरअसल,कांग्रेस को गांवो में हाथ वाली सरकार कहते थे।लेकिन जब से जातिवाद का पंजा फैलने लगा है।उसके बाद तुष्टिकरण की राजनीति में बहुत फर्क आ रहा है।जनता सुशासन चाहती है। राहुल नरम हिन्दुत्व के साथ पींगे बढ़ाने के लिये माहिर है।मोदी ने अपनी सभा मे राहुल ने शिक्षा पर उठाए गए सवाल पर मोदी ने कहा कि बिहार में हमारी एनडीए सरकार का संकल्प है कि बिहार में पढ़ाई,कमाई,दवाई व सिंचाई के मौके उपलबन्ध हो।राजद पर पांच क का निशाना साधा।मोदी ने कहा कि दोनों युवराज जमानत पर और सत्ता के लालच में दोनो साथ साथ है।चीनी लोग मैड इन बिहार की बात करने वाली कांग्रेस इतने वर्षों तक बिहार और देश के लिए विकास क्यो नही किया?राहुल ने नीतीश कुमार सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने इतने साल सत्ता में रहकर क्या किया।निशाना साधने वाले कभी अपनी सरकार पर नजर डालकर देखे कि देश मे 60 साल शासन करने के बाद भी कांग्रेस के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह को विदेश में तवज्जो नही दी जाती थी।आज हमारी प्रखर विदेश नीति के तहत दुनिया झुक रही है।यही तो सुशासन की कड़ी है। राहुल का मकसद अस्थायी समाधान तलाशना नही है।कभी राहुल मुख्यमंत्री भी बन जाते,लेकिन उनको सीधा प्रधानमंत्री बनना है।उस दौर में बहुत अवसर थे।लेकिन अब कुंडली मार कर बैठे विकास पुरुष की वजह से केंद्र में कांग्रेस के शासन करने का समय बीत चुका है।कांग्रेस के प्रचार में सुस्ती की परत झाड़कर राहुल को तेज बनाने की कोशिश की जा रही है।राहुल के नीरस ब्यौरे तथा भीड़ भी घिसेपिटे डायलॉग से उकता चुकी है।शुरुआत में राहुल का भाषण कॉलेज में वाद विवाद में भाग ले रहे है जैसा लगता था।लेकिन इतने वर्षों के बाद भी भाषण की शैली उस तरह की है जो समझने वाले ही समझ सकते है।उनके भाषण में आज भी वजन नही है। मंच पर राहुल आज भी पहली बने हुए है।राजनीति के चलते उग्र भाषण पेल देते है।राहुल का कूदना कांग्रेस के लिए जरूरी था।लेकिन कांग्रेस की उम्मीदों पर से उस समय पानी फिर गया,जब सतारूढ़ पार्टी के विकास को राहुल चुनौती नही दे सके।राहुल अब बिहार को अपनी कर्मभूमि बनाने की सोच रहे है तो भी कांग्रेस का केंद्र में राज करने का समय नही है।देश मे विकास का उभार को देखते हुए अब जनता ज्यादा भरोसा नही कर सकती है।सतारूढ़ का विकास और देश की बढ़ती इकोनामी के साथ कानून व्यवस्था आदि पर जनता का भरोसा बढ़ता जा रहा है।कांग्रेस के लिए ठीक है।लेकिन राहुल गांधी अपने पुरखों की समृद्ध की गई पठकथा पढ़ कर सुना रहे है।आज भी देश समझता है कि राहुल नौशिखिया ही है।अपनी दादी ने सिंडीकेट के घाघ बूढो को मात देकर वे उनके साये में निकल आयी।राहुल का स्थान कहा पर है इसका अंदाजा कांग्रेस के सिवा कोई नही लगा सकता है। (L104 जलवंत टाऊनशिप पूणा बॉम्बे मार्केट, नियर नन्दालय हवेली सूरत मो 99749 40324 वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार-स्तम्भकार) ईएमएस / 01 नवम्बर 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