व्यापार
01-Nov-2025
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- पांच साल में कंपनी का पहला बड़ा घाटा - 35,000 नौकरियाँ घटाने की योजना - जर्मन ऑटो उद्योग पर भी संकट के बादल जर्मनी (ईएमएस)। यूरोप की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी वोक्सवैगन को जुलाई से सितंबर 2025 तिमाही में 1.07 अरब यूरो (लगभग 1.24 अरब डॉलर) का घाटा हुआ है। यह कंपनी का पांच वर्षों में पहला तिमाही नुकसान है। 2020 की दूसरी तिमाही में कोरोना महामारी के दौरान वोक्सवैगन को आखिरी बार नुकसान हुआ था। कंपनी ने बताया कि यह घाटा मुख्य रूप से अमेरिकी टैरिफ, पोर्शे ब्रांड में समायोजन और मूल्य ह्रास के कारण हुआ है। वित्त प्रमुख आर्नो एंटलिट्ज़ ने कहा कि “पिछले साल की समान अवधि की तुलना में नतीजे काफी कमजोर हैं। ऊँचे टैरिफ, पोर्शे की उत्पाद रणनीति में बदलाव और उसके मूल्य में कटौती से लगभग 7.5 अरब यूरो का असर पड़ा है।” वोक्सवैगन के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए नए टैरिफों के कारण कंपनी को सालाना लगभग 5 अरब यूरो का नुकसान हो रहा है। जुलाई में घोषित ईयू-अमेरिका व्यापार समझौते के तहत अब यूरोपीय कारों पर 15% टैरिफ है, जो पहले 2.5% था। -पोर्शे बनी सिरदर्द कभी वोक्सवैगन की “मुकुटमणि” मानी जाने वाली पोर्शे अब कंपनी के लिए चिंता का कारण बन गई है। चीन में स्थानीय कंपनियों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा और इलेक्ट्रिक कारों की कमजोर मांग ने इसके मुनाफे को गहरा झटका दिया है। सितंबर में पोर्शे ने अपने मुनाफे के लक्ष्य घटा दिए, जिसके बाद वोक्सवैगन को 5.1 अरब यूरो का अतिरिक्त नुकसान झेलना पड़ा। कंपनी ने पोर्शे के शेयरों का मूल्य घटाया और पेट्रोल वाहनों की बिक्री को पहले की तुलना में अधिक समय तक जारी रखने का निर्णय लिया। अमेरिका में वोक्सवैगन को अपने टेनेसी संयंत्र के अलावा बाहर से आने वाले ऑटो पार्ट्स पर भी भारी शुल्क का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि कंपनी का कुल राजस्व 2.3% बढ़कर 80.3 अरब यूरो तक पहुँचा है, लेकिन यह बढ़त घाटे की भरपाई नहीं कर सकी। वोक्सवैगन पहले ही 2030 तक 35,000 नौकरियाँ घटाने की योजना बना चुकी है, जिससे सालाना 15 अरब यूरो की बचत हो सके। इसी बीच, कंपनी ने अक्टूबर में घोषणा की कि पूर्व मैकलेरन सीईओ माइकल लाइटर्स जनवरी 2026 से पोर्शे के नए मुख्य कार्यकारी अधिकारी बनेंगे। विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिकी टैरिफ, पोर्शे की कमजोर बिक्री और इलेक्ट्रिक वाहनों की धीमी प्रगति ने न केवल वोक्सवैगन बल्कि पूरे जर्मन ऑटो उद्योग को मुश्किल स्थिति में डाल दिया है।