नई दिल्ली (ईएमएस)। भारतीय टेनिस के दिग्गज खिलाड़ी रोहन बोपन्ना ने पेशेवर टेनिस से संन्यास की घोषणा कर दी है। उनके इस ऐलान के साथ ही दो दशक से भी ज्यादा लंबे शानदार करियर का अध्याय समाप्त हो गया। 45 वर्षीय बोपन्ना ने इंस्टाग्राम पर एक भावनात्मक संदेश साझा करते हुए लिखा, “अलविदा... पर अंत नहीं। आप किसी ऐसी चीज को कैसे अलविदा कहेंगे, जिसने आपके जीवन को एक अर्थ दिया? हालांकि, टूर पर 20 अविस्मरणीय वर्षों के बाद अब समय आ गया है। मैं आधिकारिक तौर पर अपना संन्यास ले रहा हूं।” उन्होंने आगे लिखा, “जब मैं यह लिख रहा हूं, मेरा दिल एक साथ भारी भी है और आभारी भी।” कर्नाटक के कूर्ग से ताल्लुक रखने वाले बोपन्ना ने अपने संघर्ष और मेहनत की यात्रा को याद करते हुए बताया कि उन्होंने लकड़ी के लट्ठे काटकर अपनी सर्विस को मजबूत किया और कॉफी के बागानों में दौड़कर अपनी फिटनेस बनाई। उनके शब्दों में झलकता है कि यह सफर आसान नहीं था, लेकिन सपनों को पूरा करने का जुनून उन्हें आगे बढ़ाता रहा। बोपन्ना ने लिखा, “टेनिस मेरे लिए सिर्फ एक खेल नहीं रहा। इसने मुझे दिशा दी जब मैं भटका हुआ था, हिम्मत दी जब मैं टूटा था, और विश्वास दिलाया जब दुनिया ने मुझ पर शक किया। इस खेल ने मुझे धैर्य, दृढ़ता और आत्मविश्वास सिखाया।” बोपन्ना का करियर कई उपलब्धियों से भरा रहा। उन्होंने 2017 में फ्रेंच ओपन मिश्रित युगल खिताब जीता, जबकि चार बार ग्रैंड स्लैम फाइनल में पहुंचे। इसके अलावा, उन्होंने 2012 और 2015 में महेश भूपति और फ्लोरिन मर्जिया के साथ एटीपी फाइनल्स में फाइनल मुकाबले खेले। 43 वर्ष की उम्र में बोपन्ना ने विश्व नंबर 1 रैंकिंग हासिल कर एक अनोखा रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने कई बार भारत का प्रतिनिधित्व डेविस कप और ओलंपिक खेलों में भी किया। अपना आखिरी टूर्नामेंट उन्होंने पेरिस मास्टर्स 1000 में खेला, जहां उन्होंने एलेक्जेंडर बुब्लिक के साथ जोड़ी बनाई थी। बोपन्ना के संन्यास के साथ भारतीय टेनिस में एक स्वर्णिम युग का समापन हुआ है। उन्होंने अपने जुनून, समर्पण और अनुशासन से नई पीढ़ी के खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का रास्ता बनाया है। उनका यह सफर बताता है कि छोटे शहर से निकलकर भी अगर हिम्मत और मेहनत हो, तो दुनिया का कोई भी मंच जीतना असंभव नहीं। डेविड/ईएमएस 01 नवंबर 2025