ज़रा हटके
01-Nov-2025
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कंस वध की 272 साल से जोश के साथ मनाई जा रही परंपरा शाजापुर,(ईएमएस)। जिले में 272 साल पुरानी कंस वध की परंपरा पूरे जोश के साथ की गई। शुक्रवार रात 12 बजे श्रीकृष्ण ने कंस का वध किया था, जिसके बाद गवली समाज के लोगों ने कंस के पुतले को लाठियों से पीटते हुए नई सड़क पर ले जाकर एक इमारत के ऊपर लटका दिया। यह आयोजन बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है। इस बार पहली बार रंगमंच के कलाकारों ने भी इस आयोजन में भाग लिया, जिन्होंने आजाद चौक में नाटक का मंचन कर लोगों का मन मोह लिया। यह अनोखा आयोजन करीब 272 साल पहले यूपी के मथुरा में होने वाले कंस वध के आयोजन से प्रेरित होकर शुरू हुआ था। गोवर्धननाथ मंदिर के मुखिया ने मथुरा में इस आयोजन को देखा और उन्हें यह बहुत पसंद आया। उन्होंने शहर के धर्मप्रेमी लोगों को इसके बारे में बताया और यहीं भी इसे शुरू करने की इच्छा जताई। शुरुआत में यह आयोजन सोमवारिया क्षेत्र में मंदिर परिसर में रासलीला के रूप में शुरू हुआ, और फिर सोमवारिया बाजार में आयोजित होने लगा। रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार देर रात बालवीर हनुमान मंदिर से चल समारोह शुरू हुआ, जो प्रमुख मार्गों से होते हुए आजाद चौक पहुंचा। यहां कंस और श्रीकृष्ण व उनके सेनापति, सैनिकों के बीच तीखे व्यंग्य और संवाद हुए, जिनका लोगों ने खूब आनंद लिया। इस बार ग्राम खोरिया एमा के रंगमंच कलाकारों ने भी आयोजन में हिस्सा लिया और आजाद चौक में नाटक का मंचन किया, जिसकी दर्शकों ने खूब तारीफ की। आयोजन में देव-दानवों की टोलियां शहर के मुख्य मार्गों से निकलीं। दानव बने कलाकार अट्टहास कर रहे थे, तो श्रीकृष्ण के सखा जयकार लगाते हुए साथ चल रहे थे। देवता और दानवों के बीच इस वाक युद्ध को देखने के लिए लोगों में खासा उत्साह था। आयोजन समिति के अध्यक्ष तुलसीराम भावसार ने बताया कि यह आयोजन बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है। कृष्ण और कंस की सेनाओं के बीच वाकयुद्ध, व्यंग्य, संवाद और अभिनय के माध्यम से यह दिखाया कि अहंकार और अत्याचार का अंत निश्चित है। भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा की प्रजा को कंस के अत्याचारों से मुक्त कराने उसका वध किया था। आज भी यह आयोजन उस धर्मयुद्ध और न्याय के संदेश को जीवंत रखता है। सिराज/ईएमएस 01नवंबर25 ----------------------------------