गुरु जी प्रणाम, आपके द्वारा मुझ में जो सुधार हुआ है ,आज वो मुझे एहसास करा रहा है कि मेरा आपके पास जाकर ज्ञानार्जन करना अति उत्तम विचार था । आपके माध्यम से जो मुझ मे क़ानून के ज्ञान और व्यावहारिक ज्ञान मे वृद्धि हई है ,उससे मेरे जीवन की दशा व दिशा दोनों ही बदल गईं है।अब मेरे सोचने की क्षमता मेरे साथ के लोगो से कई प्रकार भिन्न है । मेरे जीवन और मेरे व्यवहार के सभी परिवर्तन आपके कारण है जिस कारण अब मैं बहुत खुश हूँ और भगवान व आपका का धन्यवाद करता हूँ। ऐसे न जाने कितने पत्र न्यायविद वीके माहेश्वरी के पास हर रोज़ आते है,ये वे प्रतियोगी अभ्यर्थी है,जिन्होंने माहेश्वरी जी के निर्देशन में ज्यूडिशयरी परीक्षाओं की तैयारी कर सफलता के मुकाम को हासिल किया है। उत्तर प्रदेश में सहारनपुर जिले के कलसिया गांव में 15 मार्च 1949 को जन्मे वी.के. माहेश्वरी एक ऐसे न्यायाधीश रहे है ,जो प्राकृतिक न्याय के पक्षधर होने के साथ ही एक संवेदनशील इंसान भी है।सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने घर मे बैठकर आराम करने के बजाए उन बच्चों को मार्गदर्शन देने का कार्य शुरू किया हुआ है, जो जज बनने के अपने सपनो को साकार करना चाहते है।प्राथमिक व माध्यमिक पढाई अपने क्षेत्र से करने के बाद उन्होंने बी.एससी. सहारनपुर से की और फिर सन 1972 में एल.एल.बी. किया। तदुपरांत वे सहारनपुर में वकालत करने लगे।वकालत के 3 साल बाद ही सन 1975 में वे उत्तर प्रदेश से पीसीएस (जे) के लिए चयनित हुए और अपने बैच में प्रदेश भर में द्वितीय स्थान प्राप्त किया।एक न्यायाधीश के रूप में वीके माहेश्वरी ने मुरादाबाद, फरुखाबाद, मैनपुरी, रुड़की, बरेली, देहरादून, कानपुर और नैनीताल जिलों में न्यायिक मजिस्ट्रेट, सिविल जज से लेकर न्यायिक अधिकारी के रूप में विभिन्न पदों पर कार्य किया। 3 मार्च सन 2003 को उन्हें जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और उन्हें जिला चमोली में तैनात किया गया। 29 जून सन 2004 को वे उत्तराखंड उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के रूप में नियुक्त हुए। 31 मार्च सन 2009 को सेवानिवृत्त होने के बाद भी वीके माहेश्वरी उत्तराखंड पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल के उपाध्यक्ष भी रहे है।विभिन्न सामाजिक विषयों पर जनचेतना के लिए कलम चलाने वाले वीके माहेश्वरी की गिनती ईमानदार जजो में रही है।76 वर्ष की उम्र में भी विधि व्यवसाय में आई नई पीढ़ी को वे अपना अनुभव बांट रहे है और न्यायिक सेवाओं की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराकर देशभर में नए जज बनाने में सहयोगी सिद्ध हो रहे है।उनके मार्गदर्शन में प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल रहे अनेक ऐसे न्यायिक अधिकारी बने है,जो वीके माहेश्वरी को अपने गुरु के रूप में सम्मान देते है।बेहद साधारण और विन्रम भाव के धनी वीके माहेश्वरी की गिनती उन जजो में रही है जो समाज के लिए एक आईना बन गए है।तभी तो आज भी उनके प्रति हर किसी के मन मे सम्मान का भाव स्वतः आ जाता है।उम्मीद है उनके पढाये नए जज भी उन्हें आत्मसात कर न्याय के क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित करेंगे। (लेखक उपभोक्ता मामलों के वरिष्ठ अधिवक्ता व साहित्यकार है) (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है) .../ 2 नवम्बर/2025