लेख
02-Nov-2025
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के फिर से परमाणु परीक्षण शुरू करने की घोषणा पर दुनिया में जबरदस्त हलचल मच गई है।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 33 साल बाद परमाणु परीक्षण का आदेश दिया है. चीन और रूस की टेस्टिंग के बीच यह फैसला वैश्विक तनाव बढ़ा सकता है और एनपीटी समझौते पर सवाल खड़े करता है। ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका के पास दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं, लेकिन इंटरनेशनल कैंपेन टू एबॉलिश न्यूक्लियर वेपंस के अनुसार, रूस के पास लगभग 5,500 परमाणु वारहेड हैं, जबकि अमेरिका के पास करीब 5,044 हैं। हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने परमाणु हमले की तैयारी के अभ्यास का आदेश दिया था. रूसी सेना ने इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल यार्स और सिनेवा मिसाइल का परीक्षण किया, साथ ही टीयू-95 बमवर्षक विमान से लंबी दूरी की क्रूज़ मिसाइल भी दागी. ट्रंप ने इन परीक्षणों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि पुतिन को युद्ध खत्म करने पर ध्यान देना चाहिए, न कि मिसाइल टेस्ट करने पर। ट्रंप के परमाणु परीक्षण के आदेश से वैश्विक स्तर पर हड़कंप मच गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम वैश्विक निरस्त्रीकरण प्रयासों को कमजोर कर सकता है और न्यूक्लियर नॉन-प्रोलिफरेशन ट्रीटी का उल्लंघन भी माना जा सकता है, जिसे अमेरिका ने 1992 में साइन किया था. आपको बता दें कि इस पर तीखी प्रतिक्रिया आ रही है। ईरानी के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने एक्स पर एक पोस्ट लिखकर ट्रम्प के बयान की तीखी आलोचना की। उनका कहना था कि अपने रक्षा विभाग का नाम बदलकर युद्ध विभाग रखने वाला परमाणु हथियारों से लैस दबंग देश खुद परमाणु हथियारों का परीक्षण करने जा रहा है। यही दबंग देश ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम को बदनाम कर रहा है और हमारे सुरक्षित परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले की धमकी दे रहा है। इससे पहले ये जानना जरूरी है कि परमाणु परीक्षण क्या है और इसके क्या नुकसान हो सकते हैं। नाभिकीय अस्त्र परीक्षण या परमाण परीक्षण उन प्रयोगों को कहते हैं जो डिजाइन एवं निर्मित किए गए नाभिकीय अस्त्रों के प्रभाविकता, उत्पादकता एवं विस्फोटक क्षमता की जांच करने के लिए किए जाते हैं। परमाणु परीक्षणों से कई जानकारियां प्राप्त होतीं हैं, जैसे ये नाभिकीय हथियार कैसा काम करते है, विभिन्न स्थितियों में ये किस प्रकार का परिणाम देते है, भवन एवं अन्य संरचनाएं इन हथियारों के प्रयोग के बाद कैसा बर्ताव करतीं हैं। इसके अलावा परमाणु परीक्षणों से वैज्ञानिक, तकनीकी एवं सैनिक शक्ति का प्रदर्शन करने की कोशिश भी की जाती है। बीसवीं सदी में कई देशों ने परमाणु परीक्षण किए थे। पहला परमाणु परीक्षण अमेरिका ने 16 जुलाई, 1945 में किया था जिसमें 20 किलोटन का परीक्षण किया गया था। अब तक का सबसे बड़ा परमाणु परीक्षण सोवियत रूस में 30 अक्टूबर 1961 को किया गया था जिसमें 50 मेगाटन के हथियार का परीक्षण किया गया था। 25 मई, 2009 को उत्तरी कोरिया ने परमाणु परीक्षण किया था, जिसे विश्व के अधिकांश देशों ने निंदनीय बताया है। विश्व के परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों ने अब तक कम से कम 2000 परमाणु परीक्षण किए हैं। हालांकि अब इस पर अंतर्राष्ट्रीय कानून बने हुए हैं, जिनका पालन करना दुनिया के हर देश का कर्तव्य है, लेकिन अब ट्रम्प ने परमाणु परीक्षण की बात कहकर दुनिया में हलचल मचा दी है। अगर अब परमाणु परीक्षण होता है, तो यह अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का घोर उल्लंघन है। इस तरह अमेरिकी राष्ट्रपति ने परमाणु परीक्षण की बात कहकर इन कानूनों का उल्लंघन किया है। ईरान के विदेश मंत्री का साफ कहना था कि अमेरिका दुनिया में परमाणु प्रसार का सबसे बड़ा खतरा है। उल्लेखनीय है कि श्री ट्रम्प ने दक्षिण कोरिया में एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) शिखर सम्मेलन से इतर चीन के प्रधानमंत्री शी जिनपिंग से मुलाकात से ठीक पहले गुरुवार को अपने टूथ सोशल प्लेटफॉर्म पर लिखा था कि उन्होंने अमेरिका के रक्षा विभाग को परमाणु हथियारों के परीक्षण का आदेश दिया है। अन्य देशों के परीक्षण कार्यक्रमों के कारण, मैंने युद्ध विभाग को निर्देश दिया है कि वे हमारे परमाणु हथियारों का समान परीक्षण शुरू करें। रूस ने अमेरिकी राष्ट्रपति के इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रूस ने हाल में कोई परीक्षण नहीं किया है, लेकिन अगर अमेरिका ऐसा करता है, तो रूस भी परमाणु हथियारों का परीक्षण शुरू कर देगा। सोवियत संघ ने आखिरी बार 1990 में, अमेरिका ने 1992 में और चीन ने 1996 में परमाणु हथियार का परीक्षण किया था। चीन ने हालांकि ट्रम्प के बयान पर संतुलित रुख अपनाया। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन का कहना था कि बीजिंग को उम्मीद है कि अमेरिका व्यापक परमाणु परीक्षण-प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) और परमाणु परीक्षणों पर उसके प्रतिबंधका पालन करेगा। नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाले जापानी परमाणु बम पीड़ितों के समूह निहोन हिडांक्यो ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की घोषणा कड़ी आलोचना की है और इसे पूरी तरह अस्वीकार्य बताया है। उधर अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) ने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका परीक्षण दोबारा शुरू करता है, तो यह हथियारों की नई दौड़ को जन्म दे सकता है. अमेरिकी सीनेटर एलिजाबेथ वॉरेन ने कहा, “ट्रंप परमाणु हथियारों को खिलौना बना रहे हैं.” दुनिया भर के विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका का यह कदम रूस और चीन के बढ़ते परमाणु प्रभाव के जवाब में है, लेकिन इससे अंतरराष्ट्रीय शांति और स्थिरता को बड़ा झटका लग सकता है.यह स्थिति विश्व भर में हथियारों की खतरनाक होड़ को जन्म दे सकती है। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं पिछले 38 वर्ष से लेखन और पत्रकारिता से जुड़े हैं) (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) .../ 2 नवम्बर/2025