अंतर्राष्ट्रीय
02-Nov-2025
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वॉशिंगटन,(ईएमएस)। नब्बे के दशक में थमी परमाणु हथियारों की दौड़ एक बार फिर शुरू होने के संकेत दिख रही है। जो देश परमाणु निरस्त्रीकरण की बात करते थे, अब वे अपने जखीरे बढ़ाने में जुट गए हैं। हैरानी की बात यह है कि इसमें दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु शक्ति संपन्न देश अमेरिका भी शामिल है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में परमाणु परीक्षण की बात कहकर पूरी दुनिया को चौंका दिया है। जब पत्रकारों ने पूछा कि क्या अमेरिका वाकई भूमिगत परमाणु विस्फोट करने वाला है, तो ट्रंप ने रहस्यमय अंदाज में कहा कि बहुत जल्द पता चल जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि हम कुछ परीक्षण करने जा रहे हैं। दूसरे देश ऐसा कर रहे हैं, तो अगर वे करेंगे तो हम भी करेंगे। ट्रंप की यह टिप्पणी न केवल अमेरिकी नीति में बदलाव का संकेत देती है, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन पर भी गहरा खतरा पैदा कर रही है। हालांकि ट्रंप ने यह स्पष्ट नहीं किया कि ये परीक्षण मिसाइलों के होंगे या परमाणु वारहेड्स के। लेकिन उनकी हालिया सोशल मीडिया पोस्ट ने अटकलों को हवा दे दी कि अमेरिका लगभग तीस साल बाद फिर से परमाणु हथियारों का परीक्षण कर सकता है। उन्होंने इसका खंडन भी नहीं किया। अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने शुक्रवार को इस मुद्दे पर ज्यादा जानकारी नहीं दी, लेकिन उन्होंने कहा कि अगर हम परीक्षण फिर शुरू करते हैं तो यह एक जिम्मेदार कदम होगा। उनका कहना था कि राष्ट्रपति का मकसद अमेरिका के पास विश्वसनीय परमाणु प्रतिरोध क्षमता बरकरार रखना है। ट्रंप के इस बयान से अमेरिका के अंदर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता का माहौल है। अमेरिका ने 1992 के बाद से कोई परमाणु विस्फोट नहीं किया है। उसने परमाणु परीक्षण पूर्ण प्रतिबंध संधि पर हस्ताक्षर तो किए हैं, लेकिन उसे अब तक मंजूरी नहीं दी। इस संधि का पालन उत्तर कोरिया को छोड़कर लगभग सभी परमाणु संपन्न देश करते हैं। इस बीच रूस ने ट्रंप की पोस्ट पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। मॉस्को ने कहा कि उसने अब तक वैश्विक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं किया है, लेकिन अगर अमेरिका परीक्षण शुरू करता है तो रूस भी ऐसा करेगा। इससे शीत युद्ध जैसी स्थिति फिर बन सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका का यह कदम वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। ट्रंप के इस बयान से न केवल अमेरिका में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता और भ्रम फैल गया है, क्योंकि अमेरिका ने 1992 के बाद से कोई परमाणु विस्फोट नहीं किया है। हालांकि अमेरिका सीटीबीटी पर दस्तखत कर चुका है लेकिन उसे अब तक मंजूरी नहीं दी है। इस संधि का पालन उत्तर कोरिया को छोड़कर लगभग सभी परमाणु संपन्न देश करते हैं। इस बीच रूस ने ट्रंप की पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उसने अब तक वैश्विक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं किया है। रूस ने चेतावनी दी कि अगर अमेरिका परमाणु परीक्षण शुरू करता है, तो रूस भी ऐसा करेगा, जिससे फिर से शीत युद्ध जैसी स्थिति बन सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अमेरिका ने परीक्षण फिर शुरू किए, तो यह वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। वीरेंद्र/ईएमएस 02 नवंबर 2025