राष्ट्रीय
05-Nov-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। आधुनिक जीवनशैली के कारण विटामिन बी12 की कमी आज प्रमुख समस्या बन गई है। यह समस्या विशेष रूप से शाकाहारी लोगों में ज्यादा पाई जा रही है। यह विटामिन रक्त निर्माण, तंत्रिकाओं के स्वास्थ्य और मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। आयुर्वेद में इसे “मज्जावर्धक तत्व” कहा गया है, जो शरीर की ऊर्जा, स्थिरता और ओज को बनाए रखता है। विटामिन बी12 की कमी होने पर शरीर में थकान, कमजोरी, याददाश्त की कमी, चक्कर आना, मूड स्विंग्स और हाथ-पैरों में झनझनाहट जैसी समस्याएं उभर सकती हैं। बी12 की कमी के कई कारण होते हैं। सबसे आम कारण है शाकाहारी भोजन में इसका प्राकृतिक रूप से न मिलना। इसके अलावा, कमजोर पाचन तंत्र, अत्यधिक चाय या कॉफी का सेवन, लंबे समय तक दवाइयों का इस्तेमाल, आंतों के बैक्टीरिया का असंतुलन और पर्याप्त नींद की कमी भी इस विटामिन के अवशोषण को प्रभावित करते हैं। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से, यह कमी “मज्जा धातु” की कमजोरी से जुड़ी होती है, जो तंत्रिका शक्ति और मानसिक संतुलन का आधार है। आयुर्वेद में ऐसे कई प्राकृतिक उपाय बताए गए हैं जो बी12 की कमी को दूर करने में मदद कर सकते हैं। आंवला, गिलोय, अश्वगंधा, शतावरी, और तिल व सूरजमुखी जैसे ओमेगा-3 से भरपूर बीज इसके अच्छे स्रोत माने जाते हैं। इसके साथ ही, दूध, घी, मूंग दाल और साबुत अनाज का सेवन शरीर में पोषण संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है। आयुर्वेदिक विशेषज्ञ पाचन अग्नि को मजबूत करने पर विशेष जोर देते हैं, क्योंकि कमजोर पाचन बी12 के अवशोषण को बाधित करता है। इसके लिए त्रिफला चूर्ण या हिंगवाष्टक चूर्ण का नियमित सेवन लाभदायक माना जाता है। आधुनिक चिकित्सा में बी12 की कमी को दूर करने के लिए मिथाइलकोबालामिन टैबलेट्स या इंजेक्शन का उपयोग किया जाता है। हालांकि, आयुर्वेदिक हर्ब्स के साथ इन आधुनिक उपचारों का संयोजन और भी प्रभावी हो सकता है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि प्राकृतिक उपचार के साथ-साथ जीवनशैली में सुधार भी जरूरी है। रोज सुबह 10 से 15 मिनट तक धूप में बैठना, चाय-कॉफी का सेवन सीमित करना, नियमित योग और प्राणायाम करना तथा पर्याप्त नींद लेना बी12 की कमी को रोकने के लिए आवश्यक कदम हैं। सुदामा/ईएमएस 05 नवंबर 2025