राज्य
10-Nov-2025


:: जल संसाधन मंत्री ने बाँध सुरक्षा की बैठक में दिए निर्देश; आईआईटी रुड़की और दिल्ली के साथ होगा एमओयू :: भोपाल/इंदौर (ईएमएस)। जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि रबी की फसलों की सिंचाई के लिए किसानों को पर्याप्त पानी मिले, यह सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने बताया कि प्रदेश के प्रमुख 286 जलाशयों में औसत जल-भराव 97 प्रतिशत है और रबी फसलों के लिए आगामी 15 नवंबर से पानी छोड़ा जाएगा। आज मंत्रालय भोपाल में बाँध सुरक्षा संबंधी बैठक में मंत्री सिलावट ने कहा कि पानी छोड़ने से पूर्व जल-स्रोतों, नहरों आदि की मरम्मत का कार्य अनिवार्य रूप से पूरा कर लिया जाए, जिससे डाउन स्ट्रीम के हर किसान के खेत तक पानी पहुँच सके। बैठक में अपर मुख्य सचिव जल संसाधन राजेश राजौरा, प्रमुख अभियंता विनोद देवड़ा, मुख्य अभियंता बोधी परियोजना आर.डी. अहिरवार एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित थे। मंत्री सिलावट ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रदेश को 3 बड़ी परियोजनाएँ (केन-बेतवा, पार्वती-कालीसिंध-चंबल और मेगा ताप्ती) दी गई हैं। उन्होंने लंबित अंतर्राज्यीय योजनाओं के समाधान के लिए प्रयास करने और आरआरआर (रिपेयर, रिनोवेशन) एवं ईआरएम (एक्सटेंशन, रिनोवेशन एण्ड मोडर्नाइजेशन) योजनाओं संबंधी प्रस्ताव केन्द्र सरकार को तैयार कर भिजवाने के निर्देश दिए। सिलावट ने कहा कि बाँधों की सुरक्षा सरकार के लिए उच्च प्राथमिकता है और इस संबंध में सरकार शीघ्र ही आईआईटी रुड़की और आईआईटी दिल्ली के साथ एमओयू (समझौता ज्ञापन) करेगी। गाँधी सागर बाँध की सुरक्षा के लिए ₹29 करोड़ 41 लाख की लागत से सुदृढ़ीकरण कार्य प्रगति पर है। बाँध सुरक्षा अधिनियम-2021 के अंतर्गत प्रदेश के चिन्हित 1365 बाँधों पर इंस्ट्रूमेंटेशन और अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाए जाने का कार्य किया जाएगा। :: सिंहस्थ कार्यों को समय पर पूरा करें :: मंत्री सिलावट ने निर्देश दिए कि सिंहस्थ-2028 के कार्यों को युद्ध स्तर पर किया जाए और इन्हें वर्ष 2027 तक पूरा किया जाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का संकल्प है कि सिंहस्थ में श्रद्धालु शिप्रा नदी के शुद्ध जल में स्नान-आचमन करें। वर्तमान में उज्जैन में विभाग के तीन कार्य प्रगतिरत हैं, जिन्हें उच्च गुणवत्ता के साथ समय-सीमा में पूर्ण करने के निर्देश दिए गए। :: प्रदेश के बेसिन में जल-भराव की स्थिति :: प्रदेश में इस बार अच्छी बारिश होने के कारण सभी 10 प्रमुख नदी बेसिनों में जल-भराव की स्थिति बहुत अच्छी है। आंकड़ों के अनुसार, नर्मदा बेसिन में सर्वाधिक 99.83 प्रतिशत जल-भराव हुआ है। इसके बाद, माही बेसिन में 98.67 प्रतिशत, बेतवा बेसिन में 97.99 प्रतिशत, सिंध बेसिन में 97.63 प्रतिशत और गंगा बेसिन में 97.19 प्रतिशत जल-भराव दर्ज किया गया है। चंबल बेसिन में 95.97 प्रतिशत और वेनगंगा बेसिन में 95.48 प्रतिशत जल-भराव हुआ है। न्यूनतम जल-भराव ताप्ती बेसिन (89.23 प्रतिशत) और धसान बेसिन (86.60 प्रतिशत) में रहा है। प्रकाश/10 नवंबर 2025