:: मेदांता हॉस्पिटल में 100+ किलो वजन वाले मरीज का जटिल ट्रांसप्लांट सफल; सर्जरी के दौरान डोनर की किडनी से निकाले गए 7 स्टोन :: इंदौर (ईएमएस)। इंदौर के मेदांता हॉस्पिटल में चिकित्सा इतिहास में एक और असाधारण उपलब्धि जुड़ गई है। यहाँ 100 किलोग्राम से अधिक वजन वाले एक मरीज का सफलतापूर्वक किडनी ट्रांसप्लांट किया गया है। आमतौर पर अधिक वजन के कारण इन मरीजों को दिल्ली या मुंबई जैसे बड़े शहरों में रेफर किया जाता है, लेकिन मेदांता की विशेषज्ञ टीम ने इस जटिल सर्जरी को इंदौर में ही सफलतापूर्वक अंजाम दिया और अब मरीज पूरी तरह स्वस्थ है। धार जिले के 47 वर्षीय महमूद मोहम्मद वर्ष 2018 से क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) से पीड़ित थे। डॉक्टरों के अनुसार, मोटापा और अनियंत्रित ब्लड प्रेशर इस समस्या का मुख्य कारण थे। महमूद को 2022 से डायलिसिस पर रहना पड़ रहा था। लगभग तीन साल के संघर्ष के बाद, 1 सितंबर 2025 को आखिरकार उनका सफल किडनी ट्रांसप्लांट किया गया। :: पत्नी के अटूट प्रेम ने दिया जीवनदान :: महमूद को नया जीवन उनकी पत्नी नजमा ने अपनी किडनी दान करके दिया। महमूद ने शुरुआत में हिचकिचाहट दिखाई, लेकिन नजमा का अटूट निश्चय था। उन्होंने भावनात्मक रूप से कहा, “अगर तुम्हें कुछ हो जाएगा तो मैं कैसे ज़िंदा रहूँगी। जीवनसाथी के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ।” उनके इस निस्वार्थ प्रेम और बलिदान ने महमूद को नया जीवन दिया है। :: तकनीकी चुनौती : मरीज का वजन 108 किलो और डोनर की किडनी में स्टोन :: मेदांता हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट, रेनल केयर (नेफ्रोलॉजी एवं ट्रांसप्लांट इंचार्ज) डॉ. जय सिंह अरोरा ने इस केस की चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि मरीज का वजन 108 किलोग्राम था, जिसके कारण अत्यधिक चर्बी (Fat) की वजह से सर्जरी अत्यंत चुनौतीपूर्ण थी। वहीं, डोनर नजमा का वजन 70 किलो था, जिससे वजन और आकार के अंतर (Size Discrepancy) के कारण ट्रांसप्लांट तकनीकी रूप से और भी जटिल हो गया था। रेनल केयर (यूरोलॉजी) कंसल्टेंट डॉ. अंशुल अग्रवाल ने एक और बड़ी बाधा का खुलासा किया : जांच में पता चला था कि डोनर नजमा की किडनी में छह से सात स्टोन मौजूद थे। इसके बावजूद नजमा अपने निर्णय पर अडिग रहीं। डॉक्टरों की टीम ने असाधारण विशेषज्ञता का प्रदर्शन करते हुए, सर्जरी के दौरान जब किडनी शरीर से बाहर निकाली गई, केवल 15 मिनट के भीतर उसमें से सभी स्टोन निकाल दिए और फिर उसी किडनी का सफल ट्रांसप्लांट महमूद में किया गया। डॉ. अरोरा ने बताया कि यह जटिल सर्जरी पूरी तरह दूरबीन (लेप्रोस्कोपिक) तकनीक से की गई। अधिक वजन वाले मरीजों में संक्रमण (इंफेक्शन) का खतरा काफी बढ़ जाता है, लेकिन टीम की सतर्कता से ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा। महमूद का वजन अब घटकर 96 किलो रह गया है। नजमा को चार दिन बाद और महमूद को 12 दिन बाद अस्पताल से छुट्टी मिल गई। मेदांता हॉस्पिटल इंदौर ने पहले भी 76 वर्षीय मां द्वारा बेटी को किडनी दान करने जैसे जटिल ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किए हैं। डॉ. अरोरा ने जोर दिया कि डायलिसिस के मरीजों का पाँच साल बाद सर्वाइवल रेट लगभग 50% होता है, जबकि ट्रांसप्लांट के बाद यह दर 96% तक पहुँच जाती है, जो इस प्रक्रिया के महत्व को रेखांकित करता है। प्रकाश/12 नवम्बर 2025