मुंबई, (ईएमएस)। पुणे जिले के मुंढवा में 40 एकड़ महार वतन ज़मीन घोटाले के सामने आने के बाद महाराष्ट्र सरकार अलर्ट मोड पर आ गई है। इस मामले में आईटी पार्क के नाम पर गैर-कानूनी तरीके से स्टाम्प ड्यूटी में छूट लेने और सिर्फ़ 500 रुपये में डीड रजिस्टर करने का गंभीर आरोप है, और चूंकि इसमें उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के बेटे पार्थ पवार की कंपनी शामिल है, इसलिए रेवेन्यू एजेंसियों के काम करने के तरीके पर सवालिया निशान लग गया है। इसी को देखते हुए, राज्य के रजिस्ट्रेशन और स्टाम्प ड्यूटी डिपार्टमेंट ने एक बड़ा फैसला लिया है और हाल ही में स्टाम्प ड्यूटी में छूट या छूट पाने वाली हर डीड की अच्छी तरह से जांच करने का निर्णय लिया है। सभी मामले हर महीने की 5 तारीख तक इंस्पेक्शन के लिए डिस्ट्रिक्ट स्टाम्प ऑफिसर के पास भेजे जाएंगे। इस संदर्भ में जॉइंट इंस्पेक्टर जनरल ऑफ़ रजिस्ट्रेशन राजेंद्र मुथे ने राज्य के सभी सेकेंडरी रजिस्ट्रार ऑफिस को सख्त निर्देश दिए हैं। अगर डीड के रजिस्ट्रेशन के समय फीस में छूट या छूट दी गई है, तो आगे की प्रोसेस से पहले उसे वेरिफाई करना ज़रूरी होगा। साथ ही, हर महीने के ऐसे सभी केस हर महीने की 5 तारीख तक डिस्ट्रिक्ट स्टाम्प ऑफिसर को इंस्पेक्शन के लिए भेजने होंगे। इंस्पेक्शन में डॉक्यूमेंट में मौजूद डॉक्यूमेंट्स, एप्लीकेंट की जानकारी और छूट को सिस्टमैटिक तरीके से लागू करने की जांच की जाएगी। चूंकि स्टाम्प ड्यूटी राज्य के रेवेन्यू का एक ज़रूरी सोर्स है, इसलिए फ्रॉड से करोड़ों रुपये का नुकसान रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। हाल के दिनों में, रेरा या एनए की परमिशन के बिना डॉक्यूमेंट्स का रजिस्ट्रेशन करने, गलत तरीके से फीस में छूट पाने के कई मामले सामने आए थे। इस वजह से कुछ सब-रजिस्ट्रार को सस्पेंड भी किया गया है। ...तो डॉक्यूमेंट्स रजिस्ट्रेशन के लिए पूरी तरह से इनएलिजिबल हो जाएंगे 1) कानून से मना किए गए ट्रांजैक्शन: ऐसे ट्रांजैक्शन के डॉक्यूमेंट्स जो महाराष्ट्र राज्य के किसी कानून या भारत के सेंट्रल कानून में सीधे तौर पर मना हैं (जैसे बेनामी, क्रिमिनल प्रॉपर्टी, ड्रग्स से जुड़ी प्रॉपर्टी, टेररिस्ट प्रॉपर्टी, वगैरह), सब-रजिस्ट्रार द्वारा रजिस्टर नहीं किए जा सकते, अगर ऐसे डॉक्यूमेंट्स जमा किए जाते हैं, तो उन्हें तुरंत रिजेक्ट कर दिया जाएगा। 2) सरकारी और पब्लिक प्रॉपर्टी का बिना इजाज़त ट्रांसफर: सेंट्रल गवर्नमेंट, स्टेट गवर्नमेंट, म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन, ग्राम पंचायत, लोकल गवर्नमेंट, पब्लिक एंटरप्राइज, म्हाडा, सिडको, एसआरए, एमआईडीसी, पोर्ट ट्रस्ट या ऐसी किसी भी सरकारी/सेमी-गवर्नमेंट संस्था की ज़मीन/बिल्डिंग/फ्लैट का ट्रांसफर तभी रजिस्टर होगा जब वह उस संस्था के कानून/संविधान द्वारा ऑथराइज़्ड ऑफिसर/सेक्रेटरी/बोर्ड द्वारा किया गया हो। प्राइवेट लोगों, पार्टनर्स, ट्रस्टीज़, पावर ऑफ़ अटॉर्नी होल्डर्स या किसी दूसरे बिना इजाज़त वाले व्यक्ति द्वारा किए गए ऐसे डॉक्यूमेंट्स को सीधे रिजेक्ट कर दिया जाएगा। 3) ज़ब्त या सील की गई प्रॉपर्टी का लेन-देन: किसी भी अचल प्रॉपर्टी (ज़मीन, मकान, दुकान, गोदाम वगैरह) की बिक्री, किराया, गिरवी, गिफ्ट या कोई भी ट्रांसफर डॉक्यूमेंट जिसे कोर्ट, ईडी \, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, पुलिस, बैंक (SARFAESI के तहत), रेवेन्यू डिपार्टमेंट, डीआरटी, एनसीएलटी या किसी भी काबिल अथॉरिटी द्वारा कुछ समय के लिए या हमेशा के लिए ज़ब्त/सील/अटैच किया गया हो, सब-रजिस्ट्रार के ऑफिस में रजिस्ट्रेशन के लिए एक्सेप्ट नहीं किया जाएगा। अगर ऐसे डॉक्यूमेंट्स जमा किए जाते हैं, तो उन्हें तुरंत रिजेक्ट कर दिया जाएगा और संबंधित अथॉरिटी को रिपोर्ट कर दिया जाएगा। स्वेता/संतोष झा- १८ नवंबर/२०२५/ईएमएस