लेख
30-Nov-2025
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के हर क्षेत्र में निजी हिस्सेदारी को बढाये जाने के पक्षधर हैं ताकि हर क्षेत्र में सरकार पर निर्भरता कम हो और निजी क्षेत्र हिस्सेदारी बढ़ाएं। देश की विमान सेवा के लिए विमानतलों का संचालन और संधारण, देश के रेलवे स्टेशनों का नवनिर्माण और उनका संचालन निजी क्षेत्र से हो इसके लिए सरकार के कदम आगे बढ़ चुके हैं और निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी के लाभ भी सामने आने लगे हैं। प्रधानमंत्री की पहल पर भारतीय सेना के तीनों अंगों के लिए अस्त्र-शस्त्र का निर्माण भी अब निजी क्षेत्र में होने लगा है। अब प्रधानमंत्री ने अंतरिक्ष में भी निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाने की दिशा में शुरुआत कर दी है। प्रधानमंत्री यह चाहते हैं कि अंतरिक्ष क्षेत्र को भी भारत को अपने कारोबार का एक हिस्सा बनाना चाहिए और दूसरे देशों के उपग्रहों को अंतरिक्ष में छोडऩे का काम भी करना चाहिए। निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी अब अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी शुरू हो गई है। निजी क्षेत्र का अब देश का पहला आर्बिटल रॉकेट विक्रम -1 उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। यह उम्मीद है कि 2 महीने के भीतर यानी वर्ष 2026 तक इसके जरिए उपग्रह की लॉन्चिंग की जा सकती है। यह रॉकेट एक बार में 300 किलो वजन तक के उपग्रहों को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित कर सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्बिटल रॉकेट विक्रम -1 का अनावरण करते हुए कहा कि देश उपग्रह लांचिंग के क्षेत्र में अपना दबदबा कायम करने के लिए तैयार है। वहीं निजी क्षेत्र की कंपनी का दावा है कि वह हर महीने ऐसा एक ऑर्बिटल रॉकेट तैयार कर सकती है। विक्रम -1 रॉकेट को तैयार करने में स्काई रूट एग्रो स्पेस को 4 वर्ष का समय लगा है। इसमें एक साथ कई उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने की क्षमता है। इसे पूरी तरह कार्बन फाइबर से तैयार किया गया है जिससे यह उत्कृष्ट स्ट्रैंथ टू वेट प्रदर्शन कर सकेगा। इसमें 3 डी प्रिंटेड हाईपरगोलिक इंजन लगाए गए हैं इसके साथ ही रॉकेट को कलाम 1200 बूस्टर स्टेज से भी लैस किया गया है। फिर बूस्टर स्टेज को उन्नत कार्बन कंपोजिट से तैयार किया गया है। प्रधानमंत्री ने अंतरिक्ष स्टार्टअप स्काई रूट एयरो स्पेस के इंफिनिटी परिसर के उद्घाटन और रॉकेट के अनावरण अवसर पर नई टेक्नोलॉजी की रचना करने के लिए जैन- जी पैशेवरों की प्रशंसा भी की है और कहा है कि जैन- जी इंजीनियर, डिजाइनर, कोडर और विज्ञानी नई टेक्नोलॉजी की रचना कर रहे हैं। आज भारत के अंतरिक्ष इकोसिस्टम में निजी क्षेत्र तेजी से उभर रहा है। 300 से अधिक अंतरिक्ष स्टार्टअप इस क्षेत्र को नई उम्मीद दे रहे हैं। इंफिनिटी केंपस भारत के नए विचारों, नवाचार और बड़ी युवा ताकत का प्रतिबिंब है युवाओं का नवाचार ,जोखिम उठाने की क्षमता और उद्यमशीलता नई ऊंचाइयां छू रहा है। भारत की निजी अंतरिक्ष प्रतिभा दुनिया भर में अपनी खुद पहचान बना रही है जिससे भारत का अंतरिक्ष के क्षेत्र में दबदबा कायम होगा । ईएमएस/30/11/2025