राष्ट्रीय
01-Dec-2025
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-ये बेस रैपिड डिप्लॉयमेंट फोर्स, इंटेलिजेंस यूनिट और पैरा स्पेशल फोर्स से लैस होंगे नई दिल्ली,(ईएमएस)। केंद्र सरकार सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे चिकन नेक भी कहा जाता है, यहां तीन नए मिलिट्री बेस बनाने पर काम कर रही है। यह कॉरिडोर भारत के नॉर्थ-ईस्ट राज्यों को बाकी देश से जोड़ने वाली करीब 22 किलोमीटर चौड़ी एक पतली पट्टी है। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब चीन, बांग्लादेश के साथ मिलकर इस संवेदनशील क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। भारत का यह कदम स्ट्रेटेजिक पोजीशन में एक बड़े बदलाव का संकेत है। भारत अपनी पूर्वी सीमा को मजबूत करने इन तीन नए सैन्य ठिकानों लचित बोरफुकन मिलिट्री स्टेशन, फॉरवर्ड बेस और फॉरवर्ड बेस का निर्माण कर रहा है। ये बेस सिर्फ रक्षा के लिए नहीं हैं। ये रैपिड डिप्लॉयमेंट फोर्स, इंटेलिजेंस यूनिट और पैरा स्पेशल फोर्स से लैस होंगे। इनका मुख्य उद्देश्य यह तय करना है कि इस जरूरी कॉरिडोर की सुरक्षा से कभी कोई समझौता न हो। चोपड़ा में बन रहा इंस्टॉलेशन बांग्लादेश की सीमा से एक किलोमीटर से भी कम दूरी पर है। इससे बॉर्डर पार निगरानी और जरूरत पड़ने पर सेना की तेज मोबिलाइजेशन आसान हो जाएगी। भारत का यह बड़ा मिलिट्री बिल्डअप बांग्लादेश में हाल ही में हुए राजनीतिक बदलावों की प्रतिक्रिया में आया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक बांग्लादेश 2.2 बिलियन डॉलर के चीनी जे-10सी फाइटर जेट खरीदने की योजना बना रहा है और ड्रोन बनाने के लिए बीजिंग के साथ सहयोग कर रहा है। पाकिस्तान ने भी जेएफ-17 ब्लॉक सी थंडर जेट्स ऑफर किए हैं। भारत के लिए एक संवेदनशील सीमा पर बांग्लादेश का अपने प्रतिद्वंद्वियों की ओर झुकना एक बड़ा रणनीतिक खतरा है। सिलीगुड़ी कॉरिडोर नॉर्थ-ईस्ट के 45 मिलियन से ज्यादा लोगों को मुख्य भूमि से जोड़ता है, इसमें कोई भी रुकावट देश के लिए बड़ी समस्या खड़ी कर सकती है। नए मिलिट्री बेस के अलावा भारत ने इस क्षेत्र में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए राफेल फाइटर जेट्स, ब्रह्मोस मिसाइलें और एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम तैनात किए हैं। यह संकेत देता है कि भारत अब सिर्फ प्रतिक्रिया देने वाली रक्षा से हटकर सक्रिय प्रभुत्व की ओर बढ़ रहा है। सिराज/ईएमएस 01 दिसंबर 2025