राष्ट्रीय
01-Dec-2025
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नई दिल्ली,(ईएमएस)।बिहार विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल करने के बाद भाजपा मिशन बंगाल में जुट गई है। यहां बिहार के फार्मूले से पश्चिम बंगाल का सियासी समीकरण हल करने में जुटी भाजपा को जनता से क्या आनसर मिलेगा ये बाद में पता चलेगा। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया था कि अब पार्टी का लक्ष्य पश्चिम बंगाल में जीत हासिल करना है। लेकिन, क्या भाजपा बिहार के फॉर्मूले पर ही बंगाल में फतह हासिल कर सकती है? यह बड़ा सवाल है क्योंकि सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनीतिक हर तरीके से बंगाल, बिहार से अलग है। राज्य में भाजपा और टीएमसी के बीच सीधी टक्कर है। लेकिन, बीते तीन चुनावों यानी 2019 के लोकसभा, 2022 के विधानसभा और फिर 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों ने भाजपा को अपनी पुरानी रणनीति बदलने पर मजबूर कर दी है। भाजपा समझ गई है कि बंगाल में सिर्फ हिंदू राष्ट्रवाद के मुद्दे पर चुनावी फतह करना आसान नहीं है। क्योंकि इस राज्य में बिहार-उत्तर प्रदेश की तरह चुनाव में जाति बहुत अहम नहीं है। साथ ही इस राज्य में करीब 30 फीसदी मुस्लिम आबादी रहती है। एक भाजपा नेता ने कहा कि इस बार के चुनाव में पार्टी उन मुस्लिम वोटरों को टार्गेट कर रही है जो किसी भी कारण से ममता दीदी से नाराज चल रहे हैं। टीएमसी से नाराज ये मुस्लिम वोटर्स आमतौर पर कांग्रेस या फिर वाम दलों को वोट करते हैं। भाजपा की रणनीति इन मुस्लिम वोटर्स को अपने पाले में लाने की है। पार्टी के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य के बयान को भी इसी संदर्भ में देखा जा रहा है।पश्चिम बंगाल में मुस्लिम आबादी करीब 30 फीसदी है। राज्य की 294 सदस्यीय विधानसभा में केवल 40 से 50 सीटों पर ही मुस्लिम समुदाय बेहद प्रभावी है। इन सीटों को नजरअंदाज भी किया जा सकता है। लेकिन, राज्य में कई ऐसी सीटें हैं जहां मुस्लिम आबाद इतनी मजबूत नहीं है लेकिन जीत-हार तय करने में उनकी अहम भूमिका होती है। 2022 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनावों में इन सीटों पर भी भाजपा की हार हो गई थी। ऐसे में हम इस बार इन सीटों पर मौका नहीं चूकना चाहते हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक पश्चिम बंगाल में 27 फीसदी आबादी मुस्लिम है जबकि 70.5 फीसदी हिंदू हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 18 पर जीत हासिल की थी। उसे 40.25 फीसदी वोट मिले थे। यह भाजपा का सबसे शानदार प्रदर्शन था। लेकिन, 2021 के विधानसभा चुनाव में पार्टी यही मोमेंटम कायम नहीं रख पाई। उसका वोट प्रतिशत घट गया। उसे 27.81 फीसदी वोट मिले। उसकी सीटों की संख्या 77 थीं। हालांकि 2016 के विधानसभा की तुलना में यह प्रदर्शन शानदार था। फिर 2024 के लोकसभा में चुनाव में भी भाजपा अपनी पुरानी बढ़त कायम नहीं रख पाई। उसकी सीटें घटकर 12 हो गईं और उसका वोट प्रतिशत 39.10 फीसदी रहा। आनी बीते दो चुनावों में टीएमसी अपने 2019 के प्रदर्शन से आगे नहीं निकल पाई है। यही पार्टी के लिए सबसे बड़ी चिंता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस वक्त पश्चिम बंगाल में एसआईआर चल रहा है। इससे पहले बिहार में भी एसआईआर करवाया गया था। बिहार में एसआईआर के दौरान भाजपा घुसपैठ के बड़ा मुद्दा बनाने में कामयाब रही है। लेकिन, बंगाल में एसआईआर पर भाजपा का रुख थोड़ा अलग है। वहां वह कह रही है कि पार्टी राष्ट्रवादी मुस्लिमों के खिलाफ नहीं है। पश्चिम बंगाल में 2011 से ममता दीदी सत्ता में हैं। बंगाल में अलग फॉर्मूले की जरूरत है। क्योंकि जाति उतना अहम मुद्दा नहीं जितना बिहार और अन्य राज्यों में है। ऐसे में यहां भाजपा को क्षेत्रीय और धार्मिक समीकरणों में संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। वीरेंद्र/ईएमएस 01 दिसंबर 2025