लेख
02-Dec-2025
...


देश के बुनियादी ढांचे को वैश्विक स्तर तक पहुँचाने के लिए केंद्र सरकार जिस गति और प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है, उसका सबसे प्रभावी नमूना राष्ट्रीय राजमार्गों के वर्तमान विस्तार में देखने को मिलता है। परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितीन गडकरी न केवल महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को गति दे रहे हैं, बल्कि गुणवत्ता को किसी भी परिस्थिति में समझौते के दायरे में आने नहीं दे रहे। हाल ही में एनएचएआई की विभिन्न परियोजनाओं का जायजा लेने गुजरात पहुंचे केंद्रीय मंत्री का दौरा इस बात की पुष्टि करता है कि सरकार भारत में अमेरिका जैसी सड़कें बनाने के लक्ष्य से कितनी गंभीरता और सख्ती से आगे बढ़ रही है। गडकरी ने 20 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान करते हुए स्पष्ट कर दिया कि अब देश के किसी भी हिस्से में सड़कों की गुणवत्ता में कमी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दिल्ली-मुंबई नेशनल एक्सप्रेस-वे से लेकर गुजरात की कई अन्य परियोजनाओं तक, हर काम में तकनीक, मजबूती और गति तीनों का संतुलन आवश्यक है। इसी क्रम में उन्होंने अपने काफिले को सूरत में अचानक रोक कर निर्माणाधीन सड़क का औचक निरीक्षण किया। यह गडकरी की कार्यशैली की वह विशिष्टता है जो उन्हें देश के सबसे सक्रिय और परिणाम- सक्षम मंत्रियों में शामिल करती है। गुजरात के सूरत में हुए निरीक्षण के दौरान उन्होंने जिस सख़्ती से कार्य गुणवत्ता की परख की, उसने निर्माण एजेंसियों को भी यह संदेश दे दिया कि अब देरी या रिसर्फेसिंग जैसे घटिया तरीकों की कोई जगह नहीं बची है। गडकरी ने साफ कहा कि नेशनल हाईवे के निर्माण में यदि लापरवाही या कमजोर सामग्री का इस्तेमाल पाया गया तो जिम्मेदार ठेकेदार को तुरंत ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा। उनके इस रुख ने राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण में एक नया अनुशासन और पारदर्शिता स्थापित की है। सूरत में लोगों ने फूल-मालाओं से मंत्री का स्वागत किया, लेकिन गडकरी ने स्वागत की औपचारिकताओं से ज्यादा ध्यान स्थानीय समस्याओं को समझने और सुलझाने पर दिया। यह उनका वही व्यावहारिक दृष्टिकोण है जिसके चलते देश के आधुनिकीकरण में सड़क निर्माण एक मजबूत स्तंभ बनकर सामने आया है। स्थानीय निवासियों ने सड़क निर्माण में आ रही दिक्कतें और ट्रैफिक प्रबंधन से जुड़ी समस्याएँ सामने रखीं, जिन्हें गडकरी ने मौके पर ही अधिकारियों को समाधान के निर्देश दिए। राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग उनकी प्राथमिकता में हमेशा से रहा है। दिल्ली-मुंबई नेशनल एक्सप्रेस-वे इसका बड़ा उदाहरण है, जो देश में हाईवे निर्माण का चेहरा बदल देने की क्षमता रखता है। यह परियोजना न केवल यात्रा समय को घटाएगी, बल्कि लॉजिस्टिक्स लागत में भारी कमी लाकर देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देगी। गडकरी ने कहा कि महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को 30 दिसंबर तक हर हाल में पूरा करना होगा। उनका यह आदेश न केवल समयबद्धता पर जोर देता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि देश का इंफ्रास्ट्रक्चर अब देरी और अपूर्ण परियोजनाओं का बोझ नहीं उठाएगा। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के साथ हुई समीक्षा बैठक ने यह सुनिश्चित किया कि राज्य की सभी लंबित सड़क परियोजनाएँ समयसीमा में न केवल पूरी होंगी, बल्कि उनकी गुणवत्ता भी सर्वोत्तम मानकों के अनुरूप होगी। दोनों नेताओं ने मिलकर परियोजनाओं की प्रगति और आवश्यक संसाधनों पर विस्तार से चर्चा की। इस बैठक का परिणाम यह हुआ कि स्थानीय प्रशासन से लेकर ठेकेदारों तक सभी इकाइयों को स्पष्ट दिशा-निर्देश मिल गए हैं, जिससे कार्य की गति और गुणवत्ता दोनों में उल्लेखनीय सुधार दिखने लगा है। गडकरी अपनी साफ छवि और तेज रफ्तार कार्यशैली के लिए देशभर में पहचाने जाते हैं। उनका नाम उद्घाटनों, निरीक्षणों और समीक्षा बैठकों के साथ-साथ नवाचार और आधुनिक तकनीक के प्रयोग से भी जुड़ा है। राष्ट्र निर्माण में उनकी यह भूमिका सड़कों को केवल परिवहन का माध्यम नहीं, बल्कि आर्थिक विकास की धुरी बनाने की दृष्टि से प्रेरित है। उन्होंने पिछले वर्षों में जो योजनाएँ शुरू कीं, उन्होंने न केवल देश में सड़क नेटवर्क को मजबूत किया है बल्कि रोजगार, उद्योग, पर्यटन और निवेश के नए अवसर भी पैदा किए हैं। आज जब भारत विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, तब सड़क निर्माण का महत्व और भी बढ़ गया है। चाहे एक्सप्रेसवे हों या नेशनल हाईवे, हर सड़क अब आर्थिक विकास की धमनियों की तरह काम कर रही है। इन सड़कों से न केवल शहर और राज्य आपस में जुड़ते हैं, बल्कि व्यापार, कृषि और उद्योग को भी नई गतिशीलता प्राप्त होती है। गडकरी की दृष्टि स्पष्ट है।अमेरिका जैसी सड़कें भारत में होंगी और उनके निरीक्षण, निर्णय और कार्यान्वयन की गति इस लक्ष्य को साकार करने की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। एनएचएआई की परियोजनाओं में पिछले कुछ वर्षों में जितनी तेज कार्रवाई देखने को मिली है, वह पहले कभी नहीं दिखी। ठेकेदारों की जवाबदेही बढ़ी है, समयसीमा का पालन अनिवार्य हुआ है, और निरीक्षण की प्रक्रिया पहले से कहीं अधिक कड़ी हो गई है। गडकरी का सूरत दौरा इस नीति को और मजबूत करता है। सरकार के इन प्रयासों से भारत अब सड़क निर्माण में वैश्विक मानकों की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। अंततः, राष्ट्रीय राजमार्गों पर गडकरी की यह कड़ी निगरानी और समयबद्ध दृष्टिकोण न केवल वर्तमान परियोजनाओं को गति दे रहा है, बल्कि भविष्य की योजनाओं के लिए भी एक नया मानक स्थापित कर रहा है। उनका स्पष्ट संदेश है।गुणवत्ता पर कोई समझौता नहीं, और यही दृष्टिकोण भारत की सड़कों को विश्वस्तरीय बनाने का आधार है। आने वाले वर्षों में जब देश दूर-दराज के क्षेत्रों को नई सड़कों से जोड़ लेगा, तब यह कहा जा सकेगा कि गडकरी का योगदान केवल सड़कों तक सीमित नहीं था, बल्कि यह भारत के विकास कथा का मजबूत आधार था। ईएमएस / 2 / 12 / 2025