-केके मुहम्मद ने की मंदिर-मस्जिद विवादों में संयम बरतने की अपील नई दिल्ली,(ईएमएस)। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पूर्व रीजनल डायरेक्टर केके मुहम्मद ने मंदिर-मस्जिद विवादों में संयम बरतने की अपील की। उन्होंने कहा कि चर्चा के सेंटर में अब सिर्फ तीन जगहें- राम जन्मभूमि, मथुरा और ज्ञानवापी होनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि मुसलमानों को अपनी मर्जी से ये जगहें सौंप देनी चाहिए। केके मुहम्मद ने हिन्दुओं से भी कहा कि वे अब नया दावा पेश ना करें। उन्होंने जोर देकर कहा कि दावों को बढ़ाने से और ज्यादा दिक्कतें पैदा होंगी। केके मुहम्मद की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब मंदिर-मस्जिद विवाद से जुड़ी कई याचिकाएं देश भर की अदालतों में पेंडिंग हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक केके मुहम्मद ने बताया कि राम जन्मभूमि के अलावा मथुरा और ज्ञानवापी दो और जगहें हैं जो हिंदूओं के लिए उतनी ही ज़रूरी हैं जितनी मुसलमानों के लिए मक्का और मदीना हैं। अयोध्या विवाद पर बात करते हुए केके मुहम्मद ने 1976 में बीबी लाल की अगुआई में बाबरी मस्जिद की खुदाई में खुद के शामिल होने के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि यह विवाद एक कम्युनिस्ट इतिहासकार के असर की वजह से बढ़ा। उनके मुताबिक कम्युनिस्ट इतिहासकारों ने मुस्लिम कम्युनिटी को इस बात के लिए मनाया कि वे मस्जिद के नीचे मंदिर होने के सबूत को खारिज कर दें। मुहम्मद के मुताबिक ज्यादातर मुसलमान शुरू में विवादित जगह पर मंदिर बनाने की इजाजत देकर मामले को सुलझाने के पक्ष में थे। उन्होंने कहा कि इतिहासकार आर्कियोलॉजिस्ट नहीं थे और खुदाई के किसी भी स्टेज पर वह उस जगह पर नहीं गए थे। उन्होंने झूठी बातें फैलाने की आलोचना की और उस समय लोगों की राय पर असर डालने वालों के बीच सीधी जानकारी की कमी की ओर इशारा किया। मोहम्मद ने कहा है कि उस बहुत जरूरी समय में एक कम्युनिस्ट इतिहासकार ने इन सब चीजों में दखल दिया और मुस्लिम समुदाय को यकीन दिलाया कि प्रोफेसर लाल ने उस जगह की खुदाई की थी और उन्हें ऐसा कुछ नहीं मिला जिससे मंदिर के पहले से होने का पता चले। तो यह उनकी बनाई हुई चीज थी। इसलिए मुसलमानों के पास कोई और रास्ता नहीं था। उन्होंने कहा कि वे कभी उस जगह पर नहीं गए थे, न खुदाई से पहले, न खुदाई के दौरान और न ही खुदाई के बाद। केके मोहम्मद ने कहा कि इसलिए बिना सब्जेक्ट जाने, कम्युनिस्ट इतिहासकार इस तरह की झूठी कहानियां फैला रहे थे। इसलिए किसी को तो इसका जवाब देना ही था। इसलिए पहली बार प्रोफेसर बीबी लाल जिन्होंने टीम को लीड किया था, उन्होंने इसका करारा जवाब दिया। मंदिर-मस्जिद बहस के बड़े मुद्दे पर केके मुहम्मद ने सावधानी बरतने की सलाह देते हुए कहा कि हमें बहुत सावधान रहना चाहिए। उन्होंने राम जन्मभूमि के साथ-साथ मथुरा और ज्ञानवापी को हिंदू समुदाय के लिए खास महत्व वाली जगहों के तौर पर पहचाना और मुसलमानों के लिए उनकी अहमियत मक्का और मदीना जितनी बताई। उन्होंने आगे कहा कि इसलिए मुसलमानों को अपनी मर्जी से ये तीन जगहें सौंप देनी चाहिए। धार्मिक जगहों से जुड़ी दूसरी याचिकाओं के बारे में सवालों के जवाब में केके मुहम्मद ने कहा कि इन तीनों के अलावा हिंदू समुदाय की तरफ से कोई और मांग नहीं आनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी और दावे करने से समस्या हल नहीं होगी और आगे टकराव का खतरा रहेगा। उन्होंने ऐसी मांगों को लेकर अंदरूनी कंट्रोल की कमी पर भी कमेंट किया और कहा कि हिंदूओं के अंदर की समस्या को कंट्रोल करने वाला कोई नहीं है। उन्होंने ताजमहल के बारे में कुछ हिंदू संगठनों के आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया और उन्हें झूठा बताया। सांस्कृतिक विरासत के बचाव पर केके मुहम्मद ने कहा कि सरकार से जो उम्मीदें थीं खासकर उन जगहों की सुरक्षा को लेकर वे पूरी नहीं हुईं। उन्होंने मौजूदा समय को आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया का काला युग बताया, और खास तरक्की न होने की आलोचना की। सिराज/ईएमएस 02दिसंबर25