राज्य
02-Dec-2025


पेड़ कट रहे सिंगरौली में लगेंगे सागर और रायसेन में जबलपुर / सिंगरौली (ईएमएस)। अदाणी पावर लिमिटेड कंपनी अब सिंगरौली जिले के धिरौली में कोयला खदान का संचालन करेगी। कंपनी को इस क्षेत्र में खदान संचालन की स्वीकृति मिल गई है। यही नहीअदाणी पावर को कोयला खदान की वन एवं पर्यावरण की अनुमति मिलने और इस आधार पर माइनिंग लीज ग्रांट आर्डर भी जारी हो जाने के फौरन बाद सिंगरौली में उक्त निजी कंपनी को आवंटित कोल ब्लॉक के लिए पेड़ों की कटाई का काम ताबड़तोड़ अंदाज में पुलिस प्रशासन के साये में चल रहा है। जिस तत्परता से और गोपनीय अंदाज में यहां कोल ब्लाक आवंटन के बाद हजारों की संख्या में पेड़ों की कटाई और वन क्षेत्र को उजाड़ने का काम आरंभ हुआ जिसे लेकर लोगों ने विरोध तो किया परंतु राजलनैतिक दलों में विरोध का वह स्वरूप देखने में नहीं आया जो स्थानीय मु़द्दों को लेकर तक मुखर हो जाता है। विरोध के नाम पर स्थानीय लोगें ने अपनी आवाज बुलंद की थी परंतु प्रशासनिक पावर से यह आवाज ज्यादा नहीं गूंज सकी । इसके बाद आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विक्रांत भूरिया जरूर सिंगरौली के सरई पहुंचे तथा इस दौरान उन्होंने बासी-बरदह के जंगलों में चल रहे कटाई कार्य का दौरा कर आरोप लगाये थे कि यहां पुलिस का पहरा आम लोगों और मीडिया को कटाई वाली जगह तक पहुंचने से रोकने के लिए लगाया गया है। भूरिया ने आरोप लगाया कि पेड़ों की कटाई जल्दबाजी और भारी पुलिस बल की मौजूदगी में की जा रही है। उन्होंने कहा कि हालांकि क्षेत्र के कईआदिवासी अपनी जमीन और जंगल छोड़ने के पक्ष में नहीं हैं, इसके बावजूद प्रशासन उनकी बात सुने बिना कार्रवाई कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में एक महापंचायत आयोजित की जानी चाहिए, जिसमें जमीन देने वाले और विरोध करने वाले लोगों को अलग-अलग खड़ा किया जाए, ताकि वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो सके। भूरिया का यह ईमानदार विरोध उनके अपने पार्टी फोरन में ही आगे नहीं बढ़ पाया । दूसरी ओर पर्यावरण को लेकर ब़े बड़े सेमीनार तथा अन्य आयोजन करने वाले स्वनामधन्य पर्यावरण प्रेमियों की आवाज भी इतने बड़े वन क्षेत्र से बड़ी संयख मेुं पेड़ों की कटाई पर नहीं उठी। सूत्रों की मानें तो उक्त क्षेत्र में लगभग 2 हजार हेक्टेयर जमीन एक निजी कंपनी को कोल ब्लॉक के लिए दी गई है। यहां कोयला उत्खनन शुरू होने से पहले वन विभाग की भूमि पर लगे करीब ढाई हजार पेड़ों की कटाई की जा रही है। इस पूरे मामले में वन एवं पर्यावरण विभाग के अलावा प्रशासन भी सब कुछ वैधानिक तरीके से और दायरे के भीतर ही किया जा रहा है। लेकिन इस मामले में एकऔर बात जो सूत्रों के माध्यम से सामने आयी है वह यह कि शासन की शर्ता के मुताबिक अदाणी पावर ने उक्त वन क्षेत्र से हजारों की संख्या में पेड़ों की कटाई पर क्षतिपूर्ति के रूप में राज्य शासन के पास 98 करोड़ रुपये जमा भी करा दिए हैं और इससेे सिंगरौली जिले से लंबे फासले पर सागर और रायसेन में वृक्षारोपण किया जाएगा। अब यहां प्रश्र ये खड़ा हो रहा है कि वन क्षेत्र तो सिंगरौली में उजाड़ा जा रहा है परंतु पौधे लगाए जाएंगे सागर और राससयसेन क्षेत्र में जो कि यहां से काफी लंबे फासले पर हैं। ्रबहरहाल कब पौधे लगेंगे और कब ये वृक्ष बनेंगे यह तो आने वाले समय में पता लगेगा परंतु फिलहाल तो प्रश्न यह है कि कोल ब्लाक के लिए लाखों पेड़ों का कत्लेआम जारी है और पक्ष विपक्ष पूरी तरह अपनी अपनी में व्यस्त है। गौरतलब हो कि सिंगरौली जिले के धिरौली सरई मड़वाडोर इलाके में अदाणी पावर लिमिटेड कंपनी को हाल ही में कोयला खदान संचालन की स्वीकृति मिल गई है। उक्त खदान की पीक उत्पादन क्षमता 6.5 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है। बताया जा रहा है कि इसमें से पांच एमटीपीए उत्पादन ओपन कास्ट माइनिंग से और शेष भूमिगत खनन से होगा। भू-विज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार इस ब्लाक में 620 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) ग्रास जियोलाजिकल रिजर्व और 558 एमएमटी शुद्ध भंडार मौजूद है, जो आने वाले कई दशकों तक स्थिर आपूर्ति, ईंधन सुरक्षा और परिचालन स्थिरता सुनिश्चित करेगा। यह भी दावा किया जा रहा है कि जिम्मेदार खनन पहल के तहत, अदाणी पावर खदान क्षेत्र में ही कोयले को धोकर और प्रोसेस करके उसकी अशुद्धियों को यहीं सीमित रखेगी, ताकि बाहरी क्षेत्र में अनावश्यक उत्सर्जन न हो और पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव पड़े। यह अदाणी पावर की पहली कैप्टिव खदान है। खदान की ओपन कास्ट पीक रेट क्षमता वित्त वर्ष 2027 तक हासिल करने का लक्ष्य है, जबकि भूमिगत खनन का आरंभ नौ वर्षों बाद किया जाएगा। अदाणी पावर के पास इस ब्लाक की 30 वर्ष की लीज़ है। .../ 2 ‎दिसम्बर /2025