- जातियों का कल्याण किए बिना भंग कर दिए गए बोर्ड भोपाल (ईएमएस)। विधानसभा चुनाव जीतने के लिए शिवराज सरकार ने 2023 में 14 समाजों के बोर्ड बनाए थे। कहा गया था, जिस समाज के लोग जो खास हुनर रखते है, उसके अनुरूप उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा। लेकिन सरकार द्वारा इन बोर्ड के लिए कोई फंड मुहैया नहीं कराया गया। इस कारण ये बोर्ड केवल अध्यक्षों के लिए ही कुछ लाभकारी रहे क्योंकि उन्होंने सिर्फ मंत्री के दर्जे का सुख भोगा। यानी लगभग सभी समाजिक बोर्ड केवल सफेद हाथ बनकर रह गए। यह मामला शीतकालीन सत्र में विधानसभा में भी उठा है। दरअसल, विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल ने सरकार से सवाल पूछा था, जिसके जवाब में तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री गौतम टेटवाल ने जानकारी दी कि विभिन्न समाजों के कल्याण के लिए बनाए गए 9 समाज कल्याण बोर्डों को सरकार ने दो साल में एक रुपया भी नहीं दिया। 8.34 करोड़ रुपए आवंटित होने के बावजूद किसी भी बोर्ड को राशि जारी नहीं की गई, जिसके कारण किसी भी समाज का एक भी व्यक्ति लाभान्वित नहीं हुआ। गौरतलब है कि सरकार ने अक्टूबर 2023 में दो वर्ष के लिए ये बोर्ड बनाए थे और 17 सितंबर 2025 को बिना किसी समीक्षा के सभी बोर्ड भंग कर दिए। ग्रेवाल द्वारा बैठकों और रणनीति से जुड़े सवाल पर मंत्री ने बताया कि जिले स्तर पर किसी भी बोर्ड की एक भी बैठक नहीं हुई। तीन बोर्डों ने 9 सितंबर 2024 को बैठक की। तीन बोर्डों ने फरवरी-मार्च 2025 में बैठक की। वहीं तीन ने 2025 में की, तीन ने एक भी नहीं की। समाजों के साथ धोखा विधायक प्रताप ग्रेवाल ने कहा कि मंत्री के उत्तर से स्पष्ट है कि समाजों को चुनाव में गुमराह करने के लिए बोर्ड बनाए गए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि- भाजपा पदाधिकारियों को अध्यक्ष/सदस्य बनाकर वाहन, मानदेय, ग्रह-भत्ता व दूरभाष सुविधा दी गई, लेकिन बोर्ड के काम के नाम पर एक रुपए का भी उपयोग नहीं हुआ, समाजों के युवाओं, बेरोजगारों और हितग्राहियों के लिए न कोई योजना बनी, न कोई रणनीति, न कोई चयन। ग्रेवाल ने कहा कि अप्रैल 2023 में चुनाव वर्ष में 15 समाज बोर्ड बनाए गए थे, जिनमें से 9 कौशल विकास विभाग के अधीन रखे गए। यही नहीं महाराणा प्रताप बोर्ड के अध्यक्ष और सचिव की नियुक्ति ही नहीं की गई, फिर बोर्ड भंग कर दिया गया। तेलघानी और जय मीनेष बोर्ड में सदस्यों की नियुक्ति नहीं हुई। रजक और वीर तेजाजी बोर्ड में चार के स्थान पर सिर्फ एक-एक सदस्य नियुक्त किया गया। कर्मचारियों की आउटसोर्स नियुक्ति उनके गठन के डेढ़ साल बाद नवंबर 2024 में हुई और अप्रैल-अगस्त 2025 के बीच उन्हें भी हटा दिया गया। चुनावी लाभ तक सीमित 2023 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने तमाम जातियों को साधने के लिए सामाजिक बोर्ड का गठन करके नेताओं को मंत्री का दर्जा दिया था। चुनावों में इन नेताओं ने अपनी जातियों के वोट बीजेपी को दिलाए और सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई। लेकिन, सरकार ने इन बोर्ड को दो साल में बजट के नाम पर ठेंगा दिखाया। लिहाजा, इन बोर्ड के गठन पर सवाल उठने लगे हैं। गौरतलब है कि पिछली शिवराज सरकार ने वोट बैंक की राजनीति के तहत 2023 में 14 सामाजिक कल्याण बोर्ड बनाकर जातिगत समीकरणों को साधने की कोशिश की गई थी। मीणा, यादव, गुर्जर, पाल, बंजारा, जाट, ब्राह्मण, क्षत्रिय जैसे समाजों के नाम पर बने ये बोर्ड खुद अपने अस्तित्व पर सवाल खड़े करने लगे थे। इनके कार्यकाल खत्म हो गए लेकिन समाज के नाम पर कोई ठोस कल्याण नहीं हो पाया। इन बोर्डों को बनाते वक्त कहा गया था कि समाज के युवाओं को हुनर आधारित ट्रेनिंग दी जाएगी, रोजगार के अवसर मिलेंगे, छात्रवृत्तियां और योजनाओं का लाभ मिलेगा। लेकिन सच्चाई यह है कि अधिकांश बोर्डों के पास न दफ्तर था, न स्टाफ और न ही कोई बजट। प्रशिक्षण एक भी नहीं हुआ। तत्कालीन सरकार ने जो बोर्ड बनाए थे, वे केवल सफेद हाथी साबित होकर रह गए। तकनीकी शिक्षा विभाग के अंतर्गत कुशवाह समाज के लिए मप्र कुश कल्याण बोर्ड, सोनी समाज के लिए स्वर्णकला बोर्ड, साहू समाज के लिए तेलघानी बोर्ड, मीना समाज के लिए जय मीनेष बोर्ड, कीर समाज के लिए मां पूरी बाई कीर बोर्ड, विश्वकर्मा समाज के लिए विश्वकर्मा बोर्ड, जाट समाज के लिए वीर तेजाजी बोर्ड और रजक समाज के लिए कल्याण बोर्ड बनाए गए थे। पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के अंतर्गत पाल समाज के लिए मां अहिल्या देवी बोर्ड और गुर्जर समाज के लिए देवनारायण बोर्ड बनाए गए। हाल ही में जैन बोर्ड भी बना था। इनमें से केवल देवनारायण बोर्ड और मां अहिल्या देवी बोर्ड को 10-10 लाख रुपए का बजट मिला। वहीं, सामाजिक न्याय विभाग का परशुराम बोर्ड अब भी सक्रिय है। इसके अध्यक्ष पंडित विष्णु राजौरिया ने कहा- हमारा बोर्ड अलग है और चल रहा है। अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति भी खत्म समाजों के जो बोर्ड बनाए गए थे इनमें से परशुराम बोर्ड को छोडक़र बाकी सभी बोर्ड भंग कर दिए गए हैं। इनके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति भी खत्म कर दी गई है। इस संबंध में आदेश संबंधित विभागों ने दो दिन पहले जारी किए। 14 में से 9 बोर्ड तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विभाग के अधीन थे। इनकी घोषणा मई-जून 2023 में हुई थी और अक्टूबर 2023 में कैबिनेट से मंजूरी मिली थी। विभाग की तरफ से 17 सितंबर को जारी आदेश में लिखा गया कि 7 जुलाई 2025 को बोर्ड का दो साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। इसलिए अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति समाप्त की जाती है। विधायक ग्रेवाल ने आरोप लगाया कि चुनाव में वोट लेने के नाम पर बोर्ड बनाए गए। भाजपा पदाधिकारी को अध्यक्ष, सदस्य नियुक्त किया। सुख-सुविधा देकर अपना काम निकलवाया। विनोद / 02 दिसम्बर 25