राज्य
02-Dec-2025


- 15 विश्वविद्यालयों में 70 फीसदी से ज्यादा टीचर्स नहीं, 5 में संख्या जीरो भोपाल (ईएमएस)। मध्य प्रदेश के सरकारी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई भगवान भरोसे चल रही है। प्रदेश में संचालित 19 सरकारी विश्वविद्यालयों में से 15 विश्वविद्यालयों में टीचर्स के 70 फीसदी से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। इससे भी चौंकाने वाली स्थिति प्रदेश के तीन विश्वविद्यालयों की है, जिसे सरकार ने खोल तो दिया, लेकिन इसमें टीचर्स एक भी नहीं हैं। यह चौंकाने वाली जानकारी विधानसभा में एक सवाल के जवाब में सरकार ने ही दी है। इस जानकारी के बाद कांग्रेस ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आरोप लगाया कि बेहतर शिक्षा के तमाम दावे जमीन पर खोखले हैं। स्कूलों से लेकर यूनिवर्सिटी तक पर्याप्त टीचर्स ही नहीं हैं, फिर इनमें पढ़ाई कैसी हो रही होगी, खुद समझा जा सकता है। प्रदेश की 5 यूनिवर्सिटी खाली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा, प्रदेश के विश्वविद्यालयों में टीचर्स की स्थिति को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। सबसे हैरान करने वाली स्थिति प्रदेश के पांच विश्वविद्यालयों की है। इन विश्वविद्यालयों में एक भी टीचर नहीं हैं। साल 2015 में खोले गए महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, छतरपुर में एक भी प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं हैं। विश्वविद्यालय में कुल स्वीकृत पद 140 हैं और सभी पद खाली पड़े हैं। यही स्थिति सागर के रानी अवंतीबाई लोधी विश्वविद्यालय की है। 2024 में स्थापित इस यूनिवसिर्टी में भी अभी तक एक भी टीचर्स की भर्ती नहीं की जा सकी है। यूनिवर्सिटी में स्वीकृत टीचर्स की कुल संख्या 140 है। छिंदवाड़ा में आदिवासी नायक राजा शंकर शाह के नाम पर खोली गई यूनिवर्सिटी में भी एक भी शिक्षक की भर्ती सरकार अभी तक नहीं कर पाई। इस यूनिवर्सिटी की स्थापना 2019 में की गई थी। इस यूनिवर्सिटी में सभी 175 पद खाली पड़े हैं। क्रांतिसूर्य टंटया भील विश्वविद्यालय, खरगौन की शुरुआत फरवरी 2024 में हुई, लेकिन तब से अब तक सरकार इसमें प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के एक भी पद नहीं भर सकी। यूनिवर्सिटी के सभी 140 पद खाली पड़े हैं। गुना के क्रांतिवीर तात्याटोपे विश्वविद्यालय की भी स्थिति भी खराब है। इस विश्वविद्यालय के सभी 140 पद खाली हैं। इस यूनिवसिर्टी की स्थापना फरवरी 2024 में हुई थी। भोपाल, इंदौर, उज्जैन की यूनिवर्सिटी में भी टीचर नहीं यूनिवर्सिटी में टीचर्स के पदों की यह स्थिति नए विश्वविद्यालय की ही नहीं, बल्कि सीधे सरकार की नाक के नीचे राजधानी भोपाल में चल रहे विश्वविद्यालय की भी है। भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल में पढ़ाई सिर्फ 36 टीचर्स के भरोसे हो रही है। यूनिवर्सिटी में 69 पद खाली पड़े हैं। उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय में भी टीचर्स के 161 में से 117 पद खाली हैं। इनमें 57 पद असिस्टेंट प्रोफेसर के खाली हैं। इंदौर के देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय में भी 154 में से 73 पोस्ट खाली हैं। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार से सवाल किया कि राज्य सरकार ने रिक्त पदों को भरने के लिए कोई समयबद्ध योजना या भर्ती अभियान तैयार किया है? आखिर इन पदों को भरने में देरी के क्या कारण हैं? उधर जवाब में उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि विश्वविद्यालय में खाली पदों को भरने के लिए समय-समय पर विज्ञापन जारी कर नियमानुसार कार्यवाही की जाती है। विनोद / 02 दिसम्बर 25