- विधानसभा शीत सत्र में कांग्रेस विधायक के सवाल पर सनसनी, उच्च शिक्षा मंत्री ने दिए जांच के आदेश भोपाल (ईएमएस)। मध्य प्रदेश की सरकारी यूनिवर्सिटी ही कोर्स के नाम पर स्टूडेंट्स को धोखा दे रही हैं। सरकारी यूनिवर्सिटी में ऐसे कोर्स संचालित किए जा रहे हैं, जिसे न तो मध्य प्रदेश सरकार ने मान्यता दी है और न ही केन्द्र सरकार ने। चौंकाने वाला यह तथ्य विधानसभा में उठाया गया। विधानसभा में कांग्रेस विधायक राजन मंडलोई ने इसको लेकर सरकार से सवाल पूछा। यह फर्जी कोर्स प्रदेश में पिछले 03 साल से संचालित किया जा रहा है। इस पर सरकार ने कहा कि परीक्षण के बाद इस मामले में कार्रवाई की जाएगी। कांग्रेस विधायक के सवाल के जवाब में उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने बताया कि राजधानी भोपाल के अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में इलेक्ट्रो होम्योपैथी कोर्स संचालित नहीं किया जाता, लेकिन विश्वविद्यालय के अध्ययन केन्द्रों में यह पाठ्यक्रम सत्र 2022-23 से संचालित किया जा रहा है। किसी भी कोर्स को संचालित करने के पहले संबंधित काउंसिल और विभाग से अनुमति ली जाती है, लेकिन इलेक्ट्रो होम्योपैथी कोर्स संचालित करने के लिए मध्यप्रदेश होम्योपैथिक काउंसिल और आयुष विभाग द्वारा मान्यता नहीं दी गई। जांच कराने के बाद कार्रवाई कांग्रेस विधायक द्वारा मंत्री से सवाल किया गया कि क्यों इलेक्ट्रो होम्योपैथी कोर्स को होम्योपैथिक काउंसिल से मान्यता दी गई? साथ ही क्या इलेक्ट्रो होम्योपैथी को उपचार करने की विधि के अनुरूप भारत सरकार द्वारा मान्यता दी गई है। लिखित जवाब में उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा, जी नहीं। हालांकि मंत्री ने कहा कि इस मामले में परीक्षण कराने के बाद कार्रवाई की जाएगी। बगैर मान्यता वाला कोर्स 3 साल से चल रहा अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय के अध्ययन केन्द्रों से यह कोर्स साल 2022-23 से चल रहा है और इसके लिए प्रति छात्र 30 हजार रुपए फीस भी तय की गई है। यानी मोटी रकम भरकर बच्चे ऐसा कोर्स कर रहे हैं, जिसकी सरकार ही मान्यता नहीं देती। अभी तक यह कोर्स 294 छात्र कर चुके हैं। इसमें अधिकांश मध्यप्रदेश के छोटे जिलों के छात्र ही हैं। इलेक्ट्रो होम्योपैथी एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है। इसका कोर्स करने के बाद छात्र प्रदेश में कहां-कहां प्रैक्टिस कर रहे हैं, सरकार के पास इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। कांग्रेस विधायक ने पूछा कि यह कोर्स करने के बाद कितने डॉक्टर के रूप में प्रैक्टिस कर रहे हैं और इनकी प्रैक्टिस से कितने मरीजों की मौत हुई है। जवाब में मंत्री ने कहा कि इस विषय में कोई भी जानकारी नहीं है। विनोद / 02 दिसम्बर 25