नई दिल्ली (ईएमएस)। वाइस एडमिरल के. स्वामीनाथन ने मंगलवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय नौसेना की आक्रामक कार्रवाई के डर के कारण पाकिस्तान ‘‘संघर्षविराम का अनुरोध करने पर मजबूर हुआ। वाइस एडमिरल स्वामीनाथन ने नौसेना दिवस से पहले मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बहुत ही कम समय में 30 से अधिक जहाजों और पनडुब्बियों को अभूतपूर्व तरीके से तैनात किया गया। दुनिया की किसी भी नौसेना के लिए 30 युद्धपोतों का संचालन योग्य होना, जिन्हें चार, पांच या छह दिन के अल्प समय में तैयार करके तैनाती के लिए भेजा जा सके, एक बड़ी बात है। हमारे अग्रिम पंक्ति के जहाज, विमानवाहक पोत विक्रांत के ‘कैरियर बैटल ग्रुप के साथ में मकरान तट पर युद्ध के लिए तैयार थे। भारतीय नौसेना की आक्रामक तैनाती और रणनीतिक स्थिति में अप्रैल में एक के बाद एक सफल हथियार परीक्षण शामिल थे। इससे “पाकिस्तान नौसेना को अपने तट के करीब ही रहने के लिए मजबूर होना पड़ा। वाइस एडमिरल स्वामीनाथन ने कहा कि वास्तव में, भारतीय नौसेना द्वारा आक्रामक कार्रवाई के रुख को पाकिस्तान द्वारा संघर्षविराम का अनुरोध करने के महत्वपूर्ण कारकों में से एक माना जा सकता है। नौसेना हमले के लिए तैयार थी। यदि नौसेना हमला करती, तो तनाव पहले से कहीं अधिक बढ़ जाता। हम हमला करने के बहुत करीब पहुंच गए थे। हमने कुछ विमान उड़ाये और वायुसेना ने सीमा पार हमला किया। अगर तनाव और बढ़ता, तो हम अंदर घुस जाते। हमारा मानना है कि उन्हें पता चल गया था कि नौसेना आगे बढ़ रही है, इसलिए उन्होंने संघर्षविराम का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि नौसेना ने उस तनाव को नियंत्रित रखने और उनके लिए खतरा पैदा करने में अहम भूमिका निभाई। चूंकि हमने उनके लिए खतरा उत्पन्न किया, इसलिए हमें लगता है कि उन्होंने संघर्षविराम का अनुरोध किया। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी जलक्षेत्र में तुर्किये के एक नौसैनिक जहाज के बारे में बात करते हुए, स्वामीनाथन ने कहा, भारत हमेशा से उम्मीद करता रहा था कि चीन- पाक के बीच कुछ साजिश हो सकती है और तुर्किये भी इसमें भूमिका निभा सकता है। हमें हमेशा से आशंका थी कि कुछ मिलीभगत होगी। अब हमें बस यह देखना था कि ऑपरेशन के दौरान, साजोसामान हस्तांतरण के रूप में यह मिलीभगत कैसा रूप लेती है। वाइस एडमिरल ने कहा कि तुर्किये की नौसैनिक पोत के पाकिस्तान जाने की योजना पहले से बनाई गई थी। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद थी कि तुर्किये की पाकिस्तान के साथ साठगांठ है और हमने इसका प्रकटीकरण होते देखा। ऑपरेशन सिंदूर से मुख्य निष्कर्ष यह है कि उच्चतम स्तर पर “राजनीतिक और सैन्य समन्वय बहुत ही अच्छा था। सशस्त्र बलों के बीच भी तालमेल था और सेना के तीनों अंगों को ठीक-ठीक पता था कि दूसरा क्या कर रहा है। भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को जमीन, हवा और समुद्र में सभी तरह की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाइयों को तत्काल प्रभाव से रोकने के लिए एक सहमति बनी थी। यह सहमति चार दिनों तक सीमा पार से ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद बनी थी, जिससे दोनों देश पूर्ण युद्ध के कगार पर पहुंच गए थे। सुबोध/०२-११-२०२५