लेख
05-Dec-2025
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देश के मनोरम भोपाल ताल में 20 शिकारा जलावतरण के साथ ही प्रदेश में जल पर्यटन में नवाचार के आयाम आरंभ हो गये हैं । ‘फाइबर रीइन्फोर्स्ड पॉलीयूरिथेन’ (FRP) तकनीक से बने यह शिकारे उत्तर, दक्षिण और मध्य भारत के पर्यटकों को जल विहार के साथ ही राज्यि के, हस्तFशिल्पक, कलाकृतियां, कृषि उत्पातद क्रय सहित विविध व्यंजन उपलब्धं कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। लगभग 2.40 लाख रुपए की दर से तैयार पर्यावरण अनुकूल प्रत्येक शिकारे में चार पर्यटकों के बैठने का स्था न है। उल्‍लेखनीय है कि वर्ष 2024 में परीक्षण के तौर पर नगर निगम ने एक शिकारा झील में उतारा था। इससे पहले वर्ष 2015 में पर्यटन निगम ने सैर-सपाटा उद्यान से छह शिकारा के साथ यह पहल शुरू कर दी थी। राज्यै द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन से आत्म निर्भरता की पहल सहित केन्द्रि सरकार द्वारा दी गई सौगातों से अभयारण्य , धरोहर पश्चाित इस पहल से रोजगार सृजन से प्रदेश के विकास को गति मिलेगी । गौरतलब है कि डीजल इंजन से होने वाले प्रदूषण के मद्देनजर हरित पंचाट (NGT)ने लगभग 10 महीने पहले भेपाल की बड़ी झील सहित प्रदेश के समस्‍त वेटलैंड्स में क्रूज और मोटर बोट पर रोक लगा दी थी। आदेश के अनुसार डीजल इंजन से निकलने वाले प्रदूषक जल को एसिडिक बनाते हैं, जो मानव स्वास्थ्य और जलीय जीवों के लिए हानिकारक है। पंचाट ने राज्ये सरकार को भोपाल झील या किसी अन्य आर्द्रभूमि स्थल पर क्रूज़ नौकाओं या किसी भी प्रकार की मोटर-चालित नौकाओं का संचालन बंद करने का आदेश दिया। जिसके विरुद्ध मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम (MPTDC) ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जिस पर सुनवाई करते हुए: सर्वोच्च न्यायालय ने मार्च 2024 में राष्ट्री य हरित पंचाट के फैसले को बरकरार रखा। इस कारण झील में सामान्य, पर्यावरण-सुरक्षित शिकारे ही संचालित किए जा रहे हैं। देश केी परिवर्तित पर्यटन पथ पर असहमति के बावजूद बाजारवाद प्रेरित अपशिष्टोंर की चुनौतियों के बीच यह नवाचार कितना सार्थक होगा यह प्रकृति के अनुप्रयोग के परिणाम से जानने की प्रतीक्षा है। राकेश वर्मा/05 दिसंबर2025