7 दिसम्बर का दिन भारत के लिए केवल एक औपचारिकता भर नहीं बल्कि कृतज्ञता का ज्वार है। यह वह अवसर है जब पूरा राष्ट्र अपने उन वीरों को याद करता है जिनकी बदौलत हम अपनी धरती पर सुरक्षित और स्वतंत्र सांस ले पाते हैं। सशस्त्र बल झंडा दिवस देश के शौर्य, समर्पण और पराक्रम की स्मृति को सहेजने का दिन है। यह हमारे राष्ट्रीय चरित्र का वह उजला पहलू है जो बताता है कि भारत अपने सिपाहियों के प्रति सम्मान, संवेदनशीलता और आभार प्रकट करने में कभी पीछे नहीं हटता। झंडा दिवस का इतिहास भले ही 1949 में सरकार द्वारा लिए गए निर्णय से शुरू हुआ हो, पर इसकी भावना अनादिकाल से भारतीय समाज में जीवित रही है। यह भावना हर उस परिवार के साथ खड़ी रहती है जिसका कोई सदस्य सीमा पर राष्ट्र की रक्षा में तैनात है। भारत के जवान जब बर्फीली चोटियों पर, मरुस्थल की तपती रेत में, समुद्र की गहराइयों में या आसमान की ऊंचाइयों पर डटे रहते हैं, तब 7 दिसम्बर का यह दिन उनकी ताकत बनकर सामने आता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि सैनिक केवल बॉर्डर पर नहीं लड़ता, बल्कि उसका परिवार भी हर दिन त्याग और धैर्य का दायित्व निभाता है। सरकार इस दिन के आयोजन को केवल औपचारिकता नहीं मानती, बल्कि इसे एक ऐसी राष्ट्रीय जिम्मेदारी समझती है जो सैनिकों के प्रति उसके संकल्प को मजबूती देती है। झंडा दिवस के माध्यम से जो निधि एकत्र की जाती है, उसका उपयोग घायल सैनिकों के उपचार, पुनर्वास, विकलांग सैनिकों की सहायता, वीर नारियों की आर्थिक सुरक्षा और शहीदों के बच्चों की शिक्षा के लिए किया जाता है। यह सहायता केवल आर्थिक नहीं बल्कि भावनात्मक भी होती है। इससे जवानों को यह भरोसा मिलता है कि उनकी कुर्बानी देश कभी नहीं भूलता और उनका परिवार राष्ट्र की सामूहिक जिम्मेदारी है। आज के समय में जब सुरक्षा की चुनौतियां बहुआयामी हो चुकी हैं, तब झंडा दिवस का महत्व और बढ़ जाता है। यह वह क्षण है जब सरकार और जनता दोनों एकजुट होकर सेना के साथ खड़े होते हैं। सरकार जवानों की आवश्यकताओं को समझते हुए आधुनिक हथियारों, उन्नत तकनीकों और बेहतर सुविधाओं की व्यवस्था करती है, वहीं समाज इस दिन के माध्यम से यह दिखाता है कि वह केवल सुरक्षा का लाभ नहीं उठाता बल्कि उसकी कीमत को भी समझता है। झंडा दिवस का संदेश यही है कि देश की सुरक्षा केवल फौजी चौकियों से नहीं बल्कि नागरिकों की भावनाओं, समर्थन और सहभागिता से भी मजबूत होती है। सेना के तीनों अंग इस दिन देशवासियों तक पहुंचते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों, प्रदर्शनियों और जनसंपर्क अभियानों के माध्यम से लोगों को अपने कार्यों और चुनौतियों से अवगत कराते हैं। यह केवल फौजी ताकत का प्रदर्शन नहीं होता बल्कि यह जनता और सेना के बीच भावनात्मक पुल को और मजबूत बनाता है। स्कूलों में, दफ्तरों में और सार्वजनिक स्थलों पर जो छोटे-छोटे झंडे लगाए जाते हैं, वे केवल प्रतीक भर नहीं, बल्कि अपने जवानों के प्रति सर्वोच्च सम्मान की अभिव्यक्ति हैं। झंडा दिवस समाज में सेवा और सहयोग की संस्कृति को भी बढ़ावा देता है। यह हमें याद दिलाता है कि राष्ट्रनिर्माण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं बल्कि नागरिकों की भी समान भूमिका है। जब हम झंडा दिवस को मनाते हैं, तब हम उस मूल भावना को स्वीकार करते हैं कि देश पहले है और उसके रक्षक सर्वोपरि हैं। उनकी हर जरूरत, हर तकलीफ और हर संघर्ष हमसे जुड़ा है। सैनिकों के लिए एकत्र किया गया धन उस विश्वास का संबल है कि जब जवान हमारी सुरक्षा के लिए खड़ा है, तो हम उसके परिवार की सुरक्षा के लिए खड़े हैं। इस दिन सरकार जवानों के प्रति अपने बदलते दृष्टिकोण को भी रेखांकित करती है। आधुनिक युद्ध तकनीक, स्मार्ट बोर्डर मैनेजमेंट और सैनिक कल्याण के नए मॉडल यह दर्शाते हैं कि भारत केवल सैन्य शक्ति में ही नहीं बल्कि मानवीय संवेदनाओं में भी मजबूत राष्ट्र बन रहा है। सैनिकों के लिए आवास, स्वास्थ्य सुविधाएं, कैरियर उन्नति और उनकी गरिमा सुनिश्चित करने के लिए नई नीतियां यह स्पष्ट संदेश देती हैं कि देश अपने सैनिक को केवल रक्षा का साधन नहीं बल्कि राष्ट्रीय गौरव का स्तंभ मानता है। साथ ही समाज में भी यह जागरूकता बढ़ रही है कि सेना के साथ खड़ा होना केवल देशभक्ति नहीं, बल्कि राष्ट्रीय कर्तव्य है। सशस्त्र बल झंडा दिवस इसीलिए विशेष है क्योंकि यह हमें राष्ट्र के प्रति हमारी जिम्मेदारियों का स्मरण कराता है। यह बताता है कि कृतज्ञता केवल शब्दों से नहीं, बल्कि कार्रवाई से व्यक्त होती है। यह दिन उस भावना का उत्सव है कि सैनिक और नागरिक के बीच कोई दूरी नहीं, दोनों मिलकर ही देश की सुरक्षा की दीवार बनाते हैं। भारत जब झंडा दिवस पर अपने वीरों के प्रति सम्मान व्यक्त करता है, तो यह केवल एक समारोह नहीं होता, बल्कि एक संकल्प होता है। यह संकल्प है कि हम अपने सैनिकों के साथ हर परिस्थिति में खड़े रहेंगे, उनकी कुर्बानी को हर दिन याद करेंगे और उनके परिवारों की मुस्कान को सुरक्षित रखने में कोई कमी नहीं छोड़ेंगे। झंडा दिवस राष्ट्र की आत्मा में बसे उस गौरव का प्रतीक है जो हमारे त्रिवर्ण की तरह शाश्वत और अटल है। (L 103 जलवन्त टाऊनशिप पूणा बॉम्बे मार्केट रोड मियर नन्दालय हवेली सूरत मो 99749 40324 वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार स्तम्भकार) ईएमएस / 06 दिसम्बर 25