लेख
07-Dec-2025
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देश की सीमाओं पर निगरानी व्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है और इसका प्रमाण हाल ही में लोकसभा में साझा किए गए वे आंकड़े हैं, जिनमें हवाई अड्डों पर बढ़ती जब्तियों, ड्रग्स पर निर्णायक कार्रवाई, वित्तीय निवेश के रुझानों और डिजिटल सुरक्षा उपायों का विस्तृत विवरण सामने आया। संसद में पेश किए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2025 के दौरान केवल पहले छह महीनों में ही हवाई अड्डों पर 461 मामलों में 260 किलोग्राम सोना जब्त किया गया। तस्करी की इस बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए केंद्र सरकार ने स्पष्ट संकेत दिया है कि हवाई अड्डों की सुरक्षा, सीमा शुल्क की सतर्कता और तकनीकी निगरानी को और अधिक उन्नत बनाया जाएगा, ताकि संगठित तस्करी पर पूरी तरह लगाम लग सके। सोने की जब्ती के साथ-साथ मादक पदार्थों की तस्करी से मुकाबले में भी डीआरआई ने वर्ष 2025 में अभूतपूर्व सफलता हासिल की। वित्तवर्ष 2025 के दौरान राजस्व खुफिया निदेशालय ने 3029 किलोग्राम नारकोटिक्स जब्त किया, जिसकी अनुमानित कीमत 3365 करोड़ रुपये से अधिक है। यह आँकड़ा पिछले पूरे वर्ष की तुलना में काफी अधिक है, क्योंकि 2024 में जब्त किए गए ड्रग्स का मूल्य लगभग 2505 करोड़ रुपये था। संसद में साझा आंकड़ों के अनुसार मादक पदार्थों से जुड़े कुल 549 मामलों का खुलासा हुआ, जो इस बात का प्रमाण है कि ड्रग माफिया की गतिविधियाँ अब अधिक परिष्कृत रूप ले रही हैं, परंतु सुरक्षा एजेंसियाँ भी उसी गति से उनका पीछा कर रही हैं। सरकार ने माना कि वैश्विक स्तर पर सिंथेटिक ड्रग्स की तस्करी में वृद्धि हुई है, जिसका प्रभाव भारत जैसे बड़े उपभोक्ता और ट्रांजिट देश पर भी पड़ता है, इसलिए सीमा पर निगरानी को और कड़ा करने की आवश्यकता बनी हुई है। लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों के एक अन्य महत्वपूर्ण हिस्से में एलआईसी के निवेश का विवरण भी शामिल था। इस विवरण के अनुसार अदानी समूह में एलआईसी का निवेश पिछले डेढ़ दशक में 24 गुना बढ़ा है। वर्ष 2007 में अदानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन में एलआईसी ने लगभग 192 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जो 2025 में बढ़कर 15,306 करोड़ रुपये तक पहुँच गया। यह सिर्फ इक्विटी निवेश नहीं, बल्कि इक्विटी और डेट दोनों का संयुक्त मूल्य है। वर्तमान में एलआईसी के कुल निवेश पोर्टफोलियो में अदानी समूह की पाँच कंपनियों में निवेश शामिल है। संसद में सरकार ने यह स्पष्ट किया कि यह वृद्धि बाजार की स्थितियों, कंपनियों के विस्तार और बीते वर्षों में बुनियादी ढाँचे के क्षेत्र में बढ़े अवसरों के कारण हुई है। ऐसे निवेश दीर्घकालिक रणनीति पर आधारित होते हैं और इनका उद्देश्य पॉलिसीधारकों के हितों को प्राथमिकता देना है। इसी तरह, पराली जलाने की घटनाओं में 90 प्रतिशत की भारी कमी भी संसद की चर्चा का हिस्सा रही। पिछले वर्षों की तुलना में यह गिरावट पर्यावरणीय दृष्टि से एक बड़ी राहत मानी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे राज्य सरकारों की सक्रियता, किसानों को वैकल्पिक प्रबंधन उपकरणों की उपलब्धता और आर्थिक प्रोत्साहनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पराली प्रबंधन मशीनें, सब्सिडी योजनाएँ और जागरूकता अभियानों के चलते पंजाब, हरियाणा और पश्चिम यूपी में पराली जलाने की प्रवृत्ति में भारी कमी दर्ज की गई है। सरकार ने बताया कि भविष्य में भी यह रुझान कायम रहे, इसके लिए अधिक तकनीकी समाधान और किसानों के लिए और बेहतर सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। जल जीवन मिशन से जुड़े मुद्दों ने भी संसद का ध्यान खींचा। मिशन से संबंधित 17 हजार शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें अकेले उत्तर प्रदेश से 84 प्रतिशत शिकायतें आईं। ये शिकायतें मुख्य रूप से जल गुणवत्ता, पाइपलाइन कनेक्शन की देरी, आपूर्ति में व्यवधान और संबंधित तकनीकी गड़बड़ियों से जुड़ी थीं। केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट किया कि शिकायतों के समाधान के लिए राज्यों और स्थानीय निकायों के साथ समन्वय को और तेज किया गया है और डिजिटल प्लेटफॉर्मों की सहायता से इन शिकायतों की निगरानी और निस्तारण की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया गया है। सरकार का कहना है कि जल जीवन मिशन का लक्ष्य सिर्फ पाइपलाइन बिछाना नहीं, बल्कि हर घर तक सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण पेयजल सुनिश्चित करना है, इसलिए शिकायतों का समयबद्ध निवारण अत्यंत आवश्यक है। डिजिटल लेनदेन और साइबर सुरक्षा से जुड़े मामलों में भी सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। संसद में यह जानकारी दी गई कि अवैध वित्तीय लेनदेन और धोखाधड़ी करने वाले 87 मोबाइल ऐप बंद किए गए हैं। इन ऐप्स का उपयोग अवैध ऑनलाइन लोन, उधार वसूली में धमकी, विदेशी सर्वर आधारित धोखाधड़ी और अनाधिकृत लेनदेन के लिए किया जा रहा था। सरकार ने स्पष्ट किया कि साइबर फ्रॉड के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए गृह मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय, साइबर सेल और वित्तीय नियामक निकायों की संयुक्त टीम लगातार निगरानी कर रही है। इन ऐप्स के संचालन में विदेशी तत्वों की संलिप्तता भी संदिग्ध पाई गई, जिसके चलते इंटर-एजेंसी ऑपरेशन चलाकर इन्हें ब्लॉक किया गया। सरकार का कहना है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था तभी सुरक्षित रह सकती है, जब नागरिकों की वित्तीय सुरक्षा सर्वोपरि हो और उसके लिए कठोर तथा त्वरित कार्रवाई आवश्यक है। इन सभी आंकड़ों और रिपोर्टों के बीच संसद में यह भी चर्चा रही कि देश में आर्थिक और सुरक्षा ढाँचा लगातार मजबूत हो रहा है। सोना तस्करी से लेकर ड्रग्स सिंडिकेट तक, वित्तीय निवेश से लेकर डिजिटल धोखाधड़ी तक, सरकार की विभिन्न एजेंसियाँ अधिक संयोजित तरीके से काम कर रही हैं। संसद में साझा किए गए ये आँकड़े केवल तथ्यों का लेखा जोखा नहीं, बल्कि उस व्यापक प्रशासनिक दृष्टि का प्रतिबिंब हैं जिसके तहत देश को सुरक्षित, पारदर्शी और आर्थिक रूप से अधिक स्थिर बनाने का प्रयास जारी है। देश के एयरपोर्ट पर बढ़ती जब्तियाँ यह संकेत देती हैं कि तस्करी करने वालों के तौर तरीकों में सुधार भले हुआ हो, पर सुरक्षा एजेंसियाँ उससे कई कदम आगे हैं। इसी प्रकार ड्रग्स पर हुए निर्णायक प्रहार से स्पष्ट है कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय ड्रग नेटवर्क के खिलाफ अपने अभियान को अब और अधिक कठोर और तकनीकी रूप से सक्षम बना दिया है। एलआईसी के निवेश से जुड़ा आंकड़ा वित्तीय क्षेत्र के विमर्श में नई रोशनी डालता है, जबकि पराली से जुड़ी कमी पर्यावरणीय नीतियों की सफलता का प्रमाण है। जल जीवन मिशन की शिकायतें इस बात की ओर संकेत करती हैं कि विकास योजनाएँ जितनी विस्तृत हों, उनके क्रियान्वयन का तंत्र उतना ही मजबूत और संवेदनशील होना चाहिए। वहीं, 87 अवैध ऐप्स का बंद होना इस बात का संकेत है कि डिजिटल काल में सुरक्षा का अर्थ अब केवल सीमाओं की सुरक्षा नहीं, बल्कि मोबाइल स्क्रीन की सुरक्षा भी है। संसद में रखी गई यह विस्तृत रिपोर्ट देश की वर्तमान प्रशासनिक और आर्थिक स्थिति का विस्तृत दस्तावेज है, जो यह दर्शाती है कि चुनौतियाँ भले जटिल और बहुआयामी हों, पर उनका सामना करने के लिए सरकार ने अपने प्रयासों को निरंतर गतिशील और सशक्त बनाए रखा है। (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) ईएमएस / 07 / 12 / 2025