मुंबई (ईएमएस)। रुस और भारत के बीच राजनीतिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान ने दोनों देशों के पर्यटन, मनोरंजन उद्योग और आर्थिक स्तर पर भी सकारात्मक प्रभाव डाला। शीत युद्ध के दौर में जब राजनीतिक स्तर पर दोनों देशों के बीच संबंध गहरे हुए, उसी समय रूस ने अपने बाजार को भारतीय फिल्मों के लिए खोल दिया। इसका असर यह हुआ कि न केवल हिंदी फिल्मों को रूस में जबरदस्त लोकप्रियता मिली, बल्कि कई फिल्मों की शूटिंग भी वहां के खूबसूरत इलाकों में की गई। 1970 में रिलीज हुई राज कपूर की फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ रूस में इतनी पसंद की गई कि राज कपूर को वहां भगवान की तरह पूजा जाने लगा। फिल्म में रशियन अभिनेत्री सेनिया लावोव्ना रियाबिनकिना ने काम किया था और इसे मास्को में शूट किया गया था। बहुत कम लोग जानते हैं कि इस फिल्म ने भारत और रूस के फिल्मी रिश्तों की मजबूत नींव रखी। राज कपूर की ‘आवारा’ और ‘श्री 420’ जैसी फिल्मों ने भी रूस में ज़बरदस्त सफलता पाई और पूरा देश उनके गानों और अभिनय का दीवाना बन गया। 2005 में सलमान खान और स्नेहा उल्लाल की फिल्म ‘लकी: नो टाइम फॉर लव’ के गानों और कई बड़े सीक्वेंस को खूबसूरत शहर सेंट पीटर्सबर्ग में फिल्माया गया था। वहीं तमिल फिल्म ‘धाम धूम’, जिसमें कंगना रनौत की अहम भूमिका थी, की शूटिंग मास्को समेत रूस के कई हिस्सों में की गई। फिल्म की शुरुआत ही रूस के मनमोहक दृश्यों के साथ होती है, जिसने दर्शकों को उसकी लोकेशन से प्रभावित किया। साल 2022 में रिलीज हुई आर. माधवन की बायोग्राफिकल फिल्म ‘रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट’ के कुछ महत्वपूर्ण हिस्से रूस में शूट किए गए थे। बताया जाता है कि फिल्म की टीम ने 2019 में रूस में पांच दिन तक बेहद खराब मौसम का सामना करते हुए शूटिंग पूरी की। इसके अलावा सलमान खान की ‘एक था टाइगर’ और शाहरुख खान–दीपिका पादुकोण की सुपरहिट फिल्म ‘पठान’ के एक्शन और रोमांटिक सीन्स भी रूस के बैकाल झील क्षेत्र में फिल्माए गए थे। 1981 की फिल्म ‘एडवेंचर्स ऑफ अली बाबा एंड द फोर्टी थीव्स’ भारत और सोवियत संघ के संयुक्त सहयोग से बनाई गई थी और यह दोनों देशों की पहली अंतरराष्ट्रीय फिल्म परियोजनाओं में से एक मानी जाती है। यह वह दौर था जब सिनेमा ने राजनीतिक सीमाओं से आगे बढ़कर दिलों को जोड़ने का काम किया। हिंदी सिनेमा ने भारत और रूस के बीच सांस्कृतिक कूटनीति और ‘पीपल टू पीपल कनेक्ट’ को बेहद मजबूत बनाया। सुदामा/ईएमएस 07 दिसंबर 2025